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DAP Fertilizer crisis : मध्यप्रदेश में रबी सीजन के लिए 7 लाख मीट्रिक टन डीएपी खाद चाहिए, लेकिन उपलब्धता 1.38 लाख मीट्रिक ही है। बोवनी के पीक सीजन में किसान हैं। वितरण केंद्रों में विवाद की स्थिति बन रही है।

DAP Fertilizer crisis : मध्य प्रदेश में रबी सीजन की फसलों का बुवाई सीजन चल रहा है, लेकिन किसान DAP (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) खाद के लिए परेशान हैं। सागर-सतना और भिंड सहित कुछ जिलों खाद की किल्लत इस कदर है कि किसानों को सुबह 4 बजे से वितरण केंद्र के बाहर कतार लगाकर खड़े हो जाते हैं। रविवार को राजधानी भोपाल में भी खाद के लिए जमकर हंगामा हुआ

किसान संघ ने प्रदेशभर में ज्ञापन सौंपा 
भारतीय किसान संघ ने खाद संकट को लेकर सोमवार को लेकर प्रदेशभर में विरोध प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा। संगठन के अध्यक्ष सर्वज्ञ जी. दीवान ने बताया कि बोवनी के सीजन में ही किसानों को यूरिया-डीएपी नहीं मिल रही। व्यापारी अफसरों से मिलीभगत कर खाद की कालाबाजारी करते हैं। किसान मनमानी कीमतें चुकाने को मजबूर हैं।  

खाद पर सियासत 
MP में खाद संकट को लेकर सियासत भी गर्म है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और पीसीसी चीफ जीतू पटवारी पटवारी ने इसे सरकार की नाकामी बताया है। कहा, केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान,  सीएम मोहन यादव और कृषि मंत्री ऐंदल सिंह कंसाना अपने जिले के किसानों को पर्याप्त खाद नहीं दिला पा रहे। इस पर कृषि मंत्री ने पलटवार करते हुए कहा, एमपी में खाद का पर्याप्त स्टॉक है। कांग्रेस झूठ न फैलाए। 

किसानों की लंबी कतारें बता रहीं असलियत 
बहरहाल, सरकार और उसके मंत्री कुछ भी दावा करें, लेकिन वितरण केंद्रों के बाहर किसानों की लगी लंबी कतारें खाद के किल्लत की कहानी खुद ही बयां कर रही हैं। कृषि मंत्री खाद संकट के लिए इजरायल-यूक्रेन को भी जिम्मेदार ठहराया था, जिस पर कुछ लोगों ने उनका मजाक भी उड़ाया, लेकिन हकीकत यह भी है।

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खाद किल्लत की मुख्य वजहें 

  • भारत में डीएपी उर्वरक का अधिकांश हिस्सा इम्पोर्ट पर निर्भर है। रॉक फॉस्फेट डीएपी का मुख्य घटक है, जो दक्षिण अफ्रीका से आता है, लेकिन यूक्रेन युद्ध के चलते स्वेज नहर से शिपिंग रूट प्रभावित है। लिहाजा, दक्षिण अटलांटिक अथवा भूमध्य सागर के जरिए इसे मंगाना पड़ता है। ऐसे में परिवहन लागत दोगुनी हो जाती है।  
  • इजरायल यूक्रेन युद्ध के चलते न सिर्फ खाद की आपूर्ति और उत्पादन प्रभावित हुआ है, बल्कि परिवहन कास्ट और जहजों की बीमा लागत बढ़ने से इसकी कीमतें भी काफी बढ़ गई हैं। 
  • चीन डीएपी खाद का बड़ा उत्पादक देश है, लेकिन वह घरेलू मांग को ही पूरा नहीं कर पा रहा। निर्यात प्रतिबंधित कर दबाव बढ़ाने का प्रयास कर रहा है। 
  • फॉस्फेट रॉक के 72 फीसदी भंडार मोरक्को के पास हैं। वह भारत का प्रमुख आपूर्तिकर्ता है, लेकिन रेड सी और स्वेज नहर के आसपास वैश्विक तनाव के चलते आपूर्ति में दिक्कत हो रही है।  
  • खाद संकट की बड़ी वजह वितरण प्रणाली भी है। एमपी में खाद का वितरण तीन स्तर पर किया जाता है। खाद का ज्यादातर हिस्सा व्यापारियों के हवाले कर दिया गया है। मार्कफेड, एमपी एग्रो और सहकारी सोयायटियों से भी खाद का वितरण होता है, लेकिन वित्तीय बोझ के चलते निजी डीलरों को ज्यादा प्राथमिकता दी जाती है। जो मुनाफे के लिए जमाखोरी और ब्लैक मार्केटिंग भी करते हैं। समस्या को देखते हुए सरकार ने हाल ही में 250 से ज्यादा नए खाद वितरण केंद्र खोलने की मंजूरी दी है। 

MP में खाद की उपलब्धता 
मध्य प्रदेश में रबी सीजन के लिए 7 लाख मीट्रिक टन डीएपी खाद की जरूरत होती है। सरकार का दावा है कि उसके पास खाद का पर्याप्त स्टॉक है। बताया, एमपी में इस समय 16.43 लाख मीट्रिक टन खाद उपलब्ध है। इसमें 6.88 लाख मीट्रिक यूरिया, 1.38 लाख मीट्रिक डीएपी, 4.86 एसएसपी और 0.61 लाख मीट्रिक टन एमओपी खाद मौजूद है। 

खाद पर सब्सिडी 
डीएपी की एक बोरी खाद सरकार 2,200 रुपए खरीदती है और किसानों को 1,250 में उपलब्ध कराती है। यानी लगभग 1000 रुपए प्रति बोरी सब्सिडी दी जाती है। इसका परिवहन, भंडार और वितरण भी एक बड़ी चुनौती है। 

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