Digvijaya Singh EVM Queries: लोकसभा चुनाव के लिए वोटिंग 19 अप्रैल से शुरू होगी। पहले फेज में मध्य प्रदेश में भी मतदान डाले जाएंगे। इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर ईवीएम राग छोड़ा है। साथ ही चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। दिग्विजय सिंह ने कहा कि इलेक्शन कमीशन से कई बार सवाल पूछ चुका हूं, लेकिन न तो जवाब दिया रहा है और न ही मिलने का समय मिल रहा है।
पक्षपाती है चुनाव आयोग
दिग्विजय सिंह ने यह बातें राजगढ़ में पत्रकारों से कही। उन्होंने कहा कि मुझे चुनाव आयोग से शिकायत है, वे हमें किसी भी मुद्दे पर जवाब नहीं देते और मिलने का समय नहीं देते हैं। मैंने यह बात संसद में और सदन के बाहर भी कही है। मेरे तीन बुनियादी सवाल हैं। पहला- क्या यह (ईवीएम) एक स्टैंड-अलोन मशीन है? दूसरा- क्या वीवीपैट में इंटरनेट की कोई कनेक्टिविटी है? तीसरा- मैं जानना चाहता हूं कि आपने वीवीपैट में कौन सा सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किया है?
कांग्रेस नेता ने कहा कि एक राष्ट्रीय पार्टी (कांग्रेस) अप्रैल 2023 से समय मांग रही है, लेकिन वे हमें समय नहीं देते हैं। मुझे ईसीआई से शिकायत है, वे अपने काम में पूरी तरह से पक्षपाती हैं।
बैलट पेपर से चुनाव कराने की मांग
पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह राजगढ़ से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। वे 16 अप्रैल को अपना नामांकन दाखिल करेंगे। इससे पहले वे लगातार ईवीएम के बजाए बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग कर रहे हैं। राजगढ़ संसदीय क्षेत्र में एक सभा के दौरान दिग्विजय सिंह ने कहा कि अगर 400 उम्मीदवार राजगढ़ से नामांकन दाखिल करें तो बैलेट पेपर से चुनाव हो सकते हैं।
भाजपा ने दिग्विजय पर किया पलटवार
दिग्विजय सिंह द्वारा ईवीएम के बजाए बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग पर बीजेपी ने पलटवार किया है। बीजेपी के प्रदेश मंत्री रजनीश अग्रवाल ने एक्स पोस्ट में लिखा कि कहीं दिग्विजय सिंह की यह मांग जार्ज सोरोस के भारत विरोधी प्रोपेगेंडा का हिस्सा तो नहीं हैं?
रजनीश अग्रवाल ने दिग्विजय सिंह पर पलटवार करते हुए 5 सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में जोरदार हार की आशंका से उपजी राजनीतिक कुंठा से ग्रस्त और अपनी खीझ मिटाने के लिए ईवीएम विरुद्ध बेलेट पेपर का प्रश्न करने वाले दिग्विजय सिंह से 5 प्रश्न हैं-
1- देश का धन, ऊर्जा और समय बर्बाद करने के लिए आतुर क्यों हैं?
2- संवैधानिक संस्था भारत निर्वाचन आयोग और भारत की न्याय व्यवस्था के विरुद्ध भी क्या आपकी यह भूमिका जान नहीं पड़ती है?
3- लगातार बढ़ता हुआ मतदान भारत के लोकतंत्र के प्रति मतदाताओं की गहरी आस्था को स्पष्ट करता है। क्या उनकी आस्था पर भी प्रश्न खड़ा नहीं किया जा रहा है?
4- पहले सार्वजनिक इंकार के बाद भी जबरिया चुनाव लडा देने में अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने मात्र का एक नकारात्मक प्रयास नहीं है?
5- दुनिया में लोकतंत्र के जन्मदाता भारत की छवि धूमिल करने के पीछे आखिर आपकी ऐसी मंशा क्यों है ? क्या यह भी जार्ज सोरोस के भारत विरोधी प्रोपेगेंडा का हिस्सा तो नहीं है?