Bhopal: यूट्यूब पर सफलता और कमाई के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है। जो भी युवा कंटेंट क्रिएटर बनने का सपना देख रहे हैं, उन्हें धैर्य रखना होगा और लगातार अच्छे कंटेंट पर फोकस करना होगा। कई बार यूट्यूब पर कुछ क्रिएटर्स की चमक-धमक भरी लाइफस्टाइल देखकर युवा इसे आसान करियर समझ लेते हैं, लेकिन यह उतना सरल नहीं है। यह कहना है वरिष्ठ बिज़नेस पत्रकार, यूट्यूबर और ‘बी वेल्दी’ की फाउंडर स्वाति कुमारी का। स्वाति कुमारी मीडिया गुरु स्वर्गीय पुष्पेंद्र पाल सिंह की दूसरी पुण्यतिथि पर मंगलवार को सप्रे संग्रहालय में आयोजित शैक्षणिक संवाद में बतौर वक्ता शामिल हुईं। यह कार्यक्रम स्वर्गीय पुष्पेंद्र पाल सिंह के शिष्यों द्वारा आयोजित किया गया था।

सोशल मीडिया की पत्रकारिता विषय पर बोलते हुए स्वाति कुमारी ने विद्यार्थियों को यूट्यूब चैनल शुरू करने के कुछ अहम टिप्स दिए। उन्होंने कहा, "जब हम मेहनत से वीडियो बनाते हैं, तो लगता है कि इस पर अच्छे व्यूज़ आएंगे, लेकिन कई बार ऐसा नहीं होता। वहीं, कोई स्टॉक टिप्स देता है तो उसके वीडियो पर तुरंत व्यूज़ आ जाते हैं। सीरियस विषयों पर काम करने वालों को व्यूज़ लाने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ता है।"
स्वाति ने सलाह दी कि एल्गोरिद्म के पीछे भागने के बजाय अपनी वैल्यूज़ पर टिके रहना जरूरी है। अच्छे कंटेंट पर ध्यान केंद्रित करेंगे तो भले ही वक्त लगे, लेकिन सफलता जरूर मिलेगी। "जॉब सटिस्फैक्शन तब आता है जब आप अच्छा काम करें और टिके रहें। यही असली तरक्की है।

पुष्पेंद्र जी क्लासरूम टीचर नहीं, मैदान में सिखाने वाले शिक्षक थे – विजयदत्त श्रीधर 
कार्यक्रम में सप्रे संग्रहालय के संस्थापक पद्मश्री विजयदत्त श्रीधर ने कहा, "पुष्पेंद्र पाल सिंह का शिक्षण का तरीका पारंपरिक क्लासरूम से अलग था। वह विद्यार्थियों को सिर्फ पढ़ाते नहीं थे, बल्कि उन्हें मीडिया के मैदान में उतारकर सिखाते थे। कार्यशालाएं, संगोष्ठियां और संवाद उनके शिक्षण का हिस्सा थीं। वे हमेशा कहते थे कि कार्यक्रम में सिर्फ नोट्स बनाना काफी नहीं है, सवाल पूछना भी जरूरी है।"
उन्होंने भावुक होकर कहा, "पुष्पेंद्र जी विद्यार्थियों के साथ आत्मीयता से जुड़े रहते थे। वे रिश्ते बनाने और निभाने में माहिर थे। उनके लिए हर छात्र परिवार का हिस्सा था।"

पुष्पेंद्र सर हमारे लिए पिता तुल्य थे – अनुराग द्वारी 
कार्यक्रम में एनडीटीवी मध्यप्रदेश के रेजिडेंट एडिटर अनुराग द्वारी ने ‘न्यूज़रूम का भविष्य, एआई, ऑटोमेशन और पत्रकारिता’ विषय पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा, "पुष्पेंद्र सर हम सबकी परेशानियों में उतने ही परेशान होते थे, जितने हम खुद। वे हमारे लिए शिक्षक से बढ़कर पिता तुल्य थे।"

एआई और पत्रकारिता पर बात करते हुए अनुराग ने कहा, "बुद्धि मौलिक होती है, तकनीक बदलने से घबराने की जरूरत नहीं है। अगर एआई को दोस्त बना लिया जाए तो यह हमारे काम को आसान कर सकता है।"
उन्होंने मज़ाकिया अंदाज में कहा, "एआई को अपनी टीम का इंटर्न बना लीजिए, जो 24x7 काम करने के लिए तैयार रहेगा। लेकिन याद रखें, सृजनात्मकता (Creativity) के लिए एआई पर पूरी तरह निर्भर नहीं हुआ जा सकता।"

 न्यूज़रूम में अन्य भूमिकाओं को निभाना उतना ही कठिन – देवेंद्र साहू 
स्टार स्पोर्ट्स के क्रिकेट प्रोग्रामिंग हेड देवेंद्र साहू ने कहा, "रिपोर्टर या एंकर बनना जितना मुश्किल है, उतना ही कठिन किसी न्यूज़रूम में अन्य भूमिकाओं को निभाना भी है। अगर खुद को मजबूत करना है तो सेल्फ स्टडी बेहद जरूरी है। साथ ही, ऐसे सेमिनार और संवाद में शामिल होकर ज्ञान बढ़ाना चाहिए।"

उन्होंने कहा, "हर पत्रकार को यह तय करना चाहिए कि उसकी रुचि किस फील्ड में है। जो डॉक्टर हर बीमारी की दवा देता है, वह झोला छाप कहलाता है। इसी तरह, पत्रकार को भी किसी खास विषय, जैसे खेल, विज्ञान या बिज़नेस में विशेषज्ञता हासिल करनी चाहिए।"
देवेंद्र साहू ने कहा, "न्यूज़रूम में एंकर भले ही सामने दिखते हैं, लेकिन एक शो को सफल बनाने के पीछे कई अनदेखे नायक होते हैं - स्क्रिप्ट लिखने वाले, रिसर्च करने वाले, प्रोड्यूसर और टेक्निकल टीम। इन सभी की मेहनत से ही खबरें दर्शकों तक पहुंचती हैं।"

कार्यक्रम का आयोजन और समापन 
इस शैक्षणिक संवाद का आयोजन स्वर्गीय पुष्पेंद्र पाल सिंह के विद्यार्थियों ने मिलकर किया। कार्यक्रम का संचालन बेहद आत्मीय और प्रेरक माहौल में हुआ, जहां विद्यार्थियों ने न केवल अपने गुरु को याद किया, बल्कि पत्रकारिता के वर्तमान और भविष्य को लेकर महत्वपूर्ण सीख भी ली।