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MP News: मध्य प्रदेश में सोयाबीन के घटे दामों ने किसानों, व्यापारियों और सोया प्लांटो को लाखों रुपए के घाटे में डाल दिया है। नाज व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष समीर भार्गव ने बताया कि बीते साल की अपेक्षा ऑफ सीजन में भी इन दिनों मंडियों में सोयाबीन की आवक दोगुनी है।

MP News: मध्य प्रदेश में सोयाबीन दाम बढ़ने की उम्मीद में व्यापारियों और सोया प्लांट वालों ने पिछले सीजन में सोयाबीन का कैरी ओवर स्टॉक किया था, लेकिन सोयाबीन के दाम पूरे साल नहीं बढ़े। जिससे व्यापारियों और सोया प्लांट वालों को वेयरहाउस किराया, ब्याज की रकम मिलाकर सोयाबीन में अब 2 हजार रुपए क्विंटल का भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।

प्लांटो को लाखों रुपए के घाटे
अनाज, दलहन और तिलहन के थोक व्यापारी और कृषि उपज मंडी सिरोंज के अनाज व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष समीर भार्गव के अनुसार सोयाबीन के घटे दामों ने किसानों, व्यापारियों और सोया प्लांटो को लाखों रुपए के घाटे में डाल दिया है। भार्गव ने बताया कि बीते साल की अपेक्षा ऑफ सीजन में भी इन दिनों मंडियों में सोयाबीन की आवक दोगुनी है। मौजूदा समय में व्यापारियों और सोया प्लांट वालों के पास पिछले दो साल से सोयाबीन का कैरी ओवर स्टॉक पड़ा हुआ है। आलम यह है कि व्यापारियों और उद्योगों के पास हजारों, लाखों टन सोयाबीन का स्टॉक जमा हो गया है।

बीते साल के भाव से 1700 से 2200 रु. क्विंटल
व्यापारियों के अनुसार बीते साल दिवाली के मौके पर मंडियों में  सोयाबीन का भाव 5000 से 5200  रुपए क्विंटल था। लेकिन  सोयाबीन भाव के मौजूदा हालात को देखते हुए उम्मीद है कि सितंबर के अंत और अक्टूचर माह में आने वाला सोयाबीन मंडियों में 3000 से 3500 रुपए क्विंटल के भाव विकेगा।

उद्योग और आर्थिक गतिविधि प्रभावित 
भोपाल सेन मर्चेंट एंड ऑयल सीड्स एसोसिएशन के अध्यक्ष हरीश ज्ञानचंदानी और प्रवक्ता, अनाज कारोबारी संजीव जैन ने कहा कि सोयाबीन प्रदेश की सबसे प्रमुख नकदी फसल है। इसका असर से प्रदेश के उद्योग और आर्थिक गतिविधि भी प्रभावित होने की आशंका है। दाम बढ़ने की उम्मीद में किसानों ने बीते साल की उपज को स्टॉक कर लिया था। इस पूरे साल दाम तो बढ़े नहीं उलटे और घट गए। सितंबर अंत में  सोयाबीन की नई फसल आ जाएगी। ऐसे में दाम जमीन पर आने की आशंका है। सोयाबीन के दाम घटने से किसान, व्यापारी और सोया प्लांट वाले परेशान है।

सोया तेल का उत्पादन 
किसानों की परेशानी तेल उद्योग भी हरा हुआ है। मालवा-निमाड़ क्षेत्र में बड़े पैमाने पर तेल मिले हैं। हालांकि उनमें भी सोयाबीन की खरीद व कशिंग कम हो रही है। 2021-22 में खाद्य तेलों के दाम बढ़ने के बाद सरकार ने  सोयाबीन वायदा पर प्रतिबंध लगाया था व खाद्य तेलों के आयात की अनुमति दे दी। दि सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन आफ इंडिया ने केंद्र सरकार से मांग की है कि खाद्य तेलों के आयात पर ड्यूटी बढ़ानी चाहिए। सोयाबीन उत्पादकों के अनुसार दो साल का सोयाबीन मी किसानों ने स्टॉक कर रखा था। अमीद थी कि दाम उह हजार रुपए तक होंगे तो बेचेंगे। उलटे दाम घट गया, सरकार ने 2019-20 में प्रति क्विंटल सोयाबीन पर 500 रुपए देने की घोषणा की थी, वह भी नहीं मिले।

40-50 सोया प्लांट लबालब
समीर भार्गव ने कहा कि भोपाल देवास इटारसी, मंडीदीप इंदौर सहित समूचे मध्यप्रदेश में करीब 40 से 50 सोया प्लांट है। इन सभी प्लाट्स में सोयाबीन का कैरी ओवर स्टॉक है तो बासौदा, अशोक नगर, विदिशा आष्टा गजबासरीया, सीहोर, देवास, इंदौर सहित प्रदेश की अन्य मंडियों में संयचीर का व्यापार कर रहे व्यापारियों के पास हजारो टन सोयाबीन का स्टॉक जमा है।

फसल लागत साढ़े 4 हजार
सेवाचीन उत्पादक किसानों को फसल लागत खड़े 4 हजार  रुपए पड रही है, लेकिन भोपाल सहित प्रदेश की मंडियों में सोयाबीन का मौजूदा माथ 4 हजार रुपए के आसपास है। अतः किसानों को 400 रुपए प्रति  क्विंटल नुकसान पर है। 

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