MP Government Employees: मध्य प्रदेश में तबादला चाह रहे कर्मचारियों के लिए निराश करने वाली खबर है। ट्रांसफर की उनकी इच्छा इस साल पूरी होना असंभव लगा रही है। क्योंकि, सरकार भी नहीं चाहती कि मिड सेशन में तबादले से कोई अव्यवस्था हो। बीच सत्र में तबादले से कर्मचारियों के साथ उनके बच्चों पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है।
दरअसल, मध्य प्रदेश के कर्मचारी संगठन लोकसभा चुनाव के बाद से ही ट्रांसफर से प्रतिबंध हटाने की मांग कर रहे हैं। कई बार मंत्रियों ने भी इसे लेकर मुख्यमंत्री मोहन यादव से मांग की, लेकिन मुख्यमंत्री निर्णय नहीं ले पा रहे।
कैबिनेट मीटिंग में चर्चा तक नहीं
सितंबर की कैबिनेट बैठक में तबादले को लेकर डिस्कशन हुआ, लेकिन तब सीएम ने अक्टूबर में प्रतिबंध हटाने की बात कहकर मामले को टाल दिया था। अक्टूबर की कैबिनेट बैठकों में इस पर चर्चा भी नहीं हुई। ऐसे में बीच सत्र तबादले की संभावना कम ही है। बहुत जरूरी हुआ तो सीएम के समन्वय से तबादले किए जाते रहेंगे।
मंत्री-अफसरों ने दिए संकेत
मोहन मंत्रिमंडल के मंत्री और अफसर भी अब मार्च-अप्रैल तक ही तबादलों से प्रतिबंध हटने की बातें करने लगे हैं। शुक्रवार को एक मंत्री ने स्पष्ट तौर पर यह बात स्वीकारी है। अफसर भी इस पर सहमत दिख रहे हैं।
शिक्षा विभाग में सर्वाधिक कर्मचारी
मध्य प्रदेश में बीच सत्र तबादले न होने के पीछे बड़ी वजह स्कूल शिक्षा विभाग है। क्योंकि कर्मचारियों की सर्वाधिक संख्या इसी विभाग में हैं। अर्धवार्षिक परीक्षाएं हो गईं, लेकिन वार्षिक की तैयारी शुरू हो गईं। ऐसे में बीच सत्र तबादले होने से व्यवस्था लड़खड़ा सकती है। सरकार इस स्थिति से बचना चाहती है।
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MP में तबादला नीति
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में शिक्षकों की तबादला नीति बनी थी। इसमें ऑनलाइन आवेदन कर तीन स्कूल च्वाइस करने होते थे। इस तबादला नीति से शिक्षक भी खुश थे। क्योंकि पद रिक्त होने पर आसानी से बिना सिफारिश उनकी पदस्थापना मिल जाती थी। तबादले भी गर्मी की छुट्टियों में होते थे, जिस कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित नहीं होती थी। इस वर्ष चुनाव और नई तबादला नीति के चलते यह संभव नहीं हो पाया।