Exclusive Interview CM Mohan Yadav:  मध्यप्रदेश के सीएम डॉ. मोहन यादव का लाड़ली बहना योजना पर कहना है कि हम लाखों करोड़ों का बजट बनाते हैं, उसमें से 1200 रुपए अपनी बहनों के हाथ पर रख देते हैं, तो उसमें बुराई क्या है। मेरा बस चले, तो मैं 10 हजार रुपए महीने दूं। हमारी परंपरा को राजा विक्रमादित्य से समझिए, उन्होंने सभी का कर्जा माफ किया और जितना कर्जा था उतना ही लोगों को नगद दे दिया। रायसेन, भोपाल जैसी जगहों पर जहां रेडीमेड गारमेंटस बनाने वाली इंडस्ट्रीज में बहनें काम कर रही हैं, उन्हें 15 से 20 हजार रुपए महीना वेतन मिल रहा है। इसमें से 5 हजार इंसेंटिव मप्र सरकार दे रही है। राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न जिम्मेदारियां देने के मुद्दे पर डॉ. यादव ने कहा कि ये तो पीएम माेदी का भरोसा है। उनका जो भी आदेश होता है हम एक सिपाही के तौर पर अमल करते हैं। वो काम के आधार पर मूल्यांकन करते हैं और जिम्मेदारी सौंपते हैं। हरिभूमि व आईएनएच न्यूज चैनल के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी विशेष कार्यक्रम ‘सार्थक संवाद’ में डॉ. यादव से खास बातचीत की।

सवाल: आप बहुत तेज गति से कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ रहे हैं ये कैसे कर पा रहे हैं, खासतौर से तब जब केंद्र में मोदी और शाह जैसे धुरंधर नेता बैठे हों?
जवाब:
ये तभी कर पा रहे हैं, जब केंद्र में पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह मौजूद हैं। राजनीति की निर्मल धारा की पवित्रता के लिए नए खून, नए लोगों की जरूरत है। ये पीएम मोदी और शाह के रहते ही संभव है। उनके नेतृत्व में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और हरियाणा जैसे कई राज्यों में नए लोगाें को मौका दिया गया है। हम जैसे सामान्य कार्यकर्ताओं को इतना बड़ा मौका देना उन्हीं के नेतृत्व में संभव है।

सवाल:  मुख्यमंत्री तो दूसरे राज्यों में भी बने, लेकिन स्टार कैंपेन हो या दूसरे आयोजन। सभी में राष्ट्रीय स्तर पर डॉ.यादव दिखाई देते हैं?
जवाब:  
ये तो पीएम माेदी का भरोसा है। उनका जो भी आदेश होता है हम एक सिपाही के तौर पर अमल करते हैं। वो काम के आधार पर मूल्यांकन करते हैं और जिम्मेदारी सौंपते हैं।

सवाल:  आपको मिली भूमिका को एक साल पूरा हुआ है। आप किस तरह न्याय कर पाए हैं?
जवाब:  
बीते 44 सालों से लगातार विभिन्न पदों पर रहकर अपने दायित्वों को पूरा कर रहा हूूं। सिर्फ मैं ही नहीं और भी लोग हैं, जिन्होंने समर्पण के साथ काम किया है पार्टी उन्हें मौका देती है। सबसे यही कहता हूूं कि अपने नेतृत्व पर भरोसा रखो और काम करते चलो। पार्टी कब कहां पहुंचा दे, कोई नहीं जानता।

सवाल:  मेरा सवाल ये है कि आप क्या कर पाए?
जवाब:
देखिए, इस सबंध में मैं कुछ बोलूंगा, तो अतिश्योक्ति होगी। मेरा काम पार्टी, प्रदेश और समाज देख रहा है। केवल 4 माह में तीन विश्वविद्यालय मप्र काे मिले हैं। एक खरगोन, दूसरा गुना और तीसरा सागर में नए विश्वविद्यालय खोले गए हैं। कुलपति से कुलगुरु तक का ये सफर चंद महीनों में ही पूरा किया गया है। इसके अलावा हुकुमचंद मिल के श्रमिकों का भुगतान बीते 30 सालों से लंबित था। उनका भुगतान 8 दिनों में करवा दिया गया। इसके अलावा तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मप्र में सिंचाई का रकबा 7 लाख से 48 लाख हेक्टेयर तक पहुंचाया था। अब हम इसे बढ़ाकर 1 लाख हेक्टेयर तक पहुंचाने के लिए काम कर रहे हैं। यही नहीं, खनिज के क्षेत्र में सबसे ज्यादा निवेश के प्रस्ताव लाने और राज्य में 55 ई-एक्सीलेंस कॉलेज खोलने और ई-समन की व्यवस्था करने में मध्य प्रदेश अग्रणी राज्य बना है।

इसके अलावा देश में दुग्ध उत्पादन में मध्य प्रदेश की हिस्सेदारी 9 प्रतिशत की है। आने वाले समय यह हिस्सेदारी देश में तीसरे नंबर पर होगी। जब नई सरकार का गठन हुआ, तो आशंकाओं के बादल घिरे हुए थे। कहा जा रहा था कि मप्र में लाड़ली बहना योजना बंद हो जाएगी। कर्जा इतना बढ़ेगा कि ओवर ड्रॉफ्ट हो जाएगा। जबकि हकीकत यह है न तो ओवर ड्रॉफ्ट हुआ और न ही लाड़ली बहना योजना बंद हुई। राज्य की ग्रोथ लगातार हो रही है। सवा तीन लाख का बजट बढ़ाकर साढ़े तीन लाख करोड़ का किया है। इस बार हम 4 लाख करोड़ का बजट करने जा रहे हैं। आने वाले समय से बजट बढ़कर 7 लाख करोड़ तक पहुंचाएंगे।

सवाल:  डॉ. मोहन यादव कभी गो-शाला, तो कभी सिंचाई के लिए जुट जाते हैं कभी हिंदुत्व जागा, तो कोई फरमान जारी कर देते हैं, आखिर करना क्या चहते हैं?
जवाब:
  सर्वांगीण विकास... मध्य प्रदेश पर परमात्मा ने कई क्षेत्रों में बड़ी कृपा की है। देश, दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है। इसमें मध्य प्रदेश का बड़ा योगदान रहे इसके लिए हम काम कर रहे हैं। हर एक युवा के हाथ में काम हो। गरीब, किसान और महिलाएं खुशहाल हों, इस पर फोकस किया जा रहा है। पीएम मोदी के नेतृत्व में चौतरफा विकास कार्य हो रहे हैं।

सवाल:  पीएम के नेतृत्व और उनके मार्गदर्शन में आप काम कर रहे हैं, ऐसे में आपके सहयोगी मंत्री कितना सहयोग कर रहे हैं। खासतौर से तब जब कैबिनेट में ऐसे कई चेहरे हैं, जो लंबे समय से सीएम बनने के इंतजार में हैं?
जवाब:
 देखिए,भाजपा की परंपरा रही है कि नेतृत्व कोई भी करे। सहयोग में कोई कमी नहीं करता और न ही परेशानी खड़ी करता है। जब शिवराज सीएम बने थे, तब सुंदरलाल पटवा, कैलाश जोशी, उमा भारती जैेसे कई सीनियर मौजूद थे। बाद में सभी ने शिवराज का भरपूर सहयोग किया। भाजपा की परंपरा है- सब साथ मिलकर काम करते हैं। इसमें कोई बड़ा या छोटा नहीं होता है।

सवाल: आपने 7 रीजनल कॉन्क्लेव किए और अगले महीने भी इंटरनेशनल कॉन्क्लेव करने जा रहे हैं। ये क्रियान्वयन से ज्यादा सेरेमनी बन रहे हैं?
जवाब: 
आप देखिए... लगातार भूमिपूजन और लोकार्पण हो रहे हैं। वहां अकेला मैं नहीं होता हूं, सांसद, विधायक और उद्योगपति मौजूद रहते हैं। टाेरंटो कंपनी 18 हजार, टीएमटी ने साढ़े 3 हजार, रिलायंस ने 6 हजार करोड़ के एमओयू किए हैं।  

सवाल: सवाल ये भी है कि मध्यप्रदेश और उद्योगपति पहले भी थे, ये अब क्यों आ रहे हैं?
जवाब:
 ये तो उनसे पूछो न...लेकिन बता देता हूं कि आकर्षक नीतियां, इंफ्रास्ट्रक्चर, बेहतर कानून व्यवस्था जैसे कई कारण हैं, जिसकी वजह से उद्योगपति यहां निवेश के लिए आगे आ रहे हैं। मप्र को सभी तरह के उद्योगों की जरूरत है। यहां बड़े, छोटे, लघु और कुटीर उद्योग युवाओं को रोजगार देने में अग्रणी भूमिका निभा सकते हैं। यही वजह है कि निवेश के लिए केवल बड़े शहर नहीं, बल्कि संभाग स्तर पर भी निवेश पर जोर दिया है। आने वाले समय में जिला स्तर पर भी निवेश के लिए कार्य योजना तैयार की जाएगी।

सवाल: जहां से डॉ.मोहन यादव चले हरदा-उज्जैन, वो प्राथमिकता में कहां हैं?
जवाब: 
हमारे लिए उज्जैन ही नहीं, इंदौर भी बोलिए। इंदौर इस प्रदेश का चमकता हीरा है। ऐसा ही हीरा हमें पूरे प्रदेश को बनाना है। इंदौर को मुंबई जैसा बनाने की हमारी प्राथमिकता है। जहां तक उज्जैन की बात है, तो इस धार्मिक नगरी में जब 2022 में प्रधानमंत्री मोदी ने महालोक का उद्घाटन किया है, तब से उज्जैन की काया ही पलट गई। धार्मिक पर्यटन है और उद्योगों की यहां अनंत संभावनाएं हैं। भौगोलिक दृष्टि से भी उज्जैन देश का केंद्र बिंदु है।

सवाल: उज्जैन में रात गुजराने के फैसले से आपके जीवन में क्या परिवर्तन आया?
जवाब: 
भगवान जन्मदाता है प्राण नहीं लेता है। एक मिथ्या से लोग डरे हुए थे। उस डर को निकालने के लिए मैंने रात गुजारी। कई लोग सुबह आ गए। मैंने उनसे कहा कि आप लोग क्या मुझे मरा हुआ समझ रहे थे। बाबा महाकाल की कृपा हम सब पर है। वे हमारे पालनहार हैं।

सवाल:  लाड़ली बहना जैसी योजनाओं में पैसे बढ़ाने की बात हो रही है, आप क्या कहते हैं?
जवाब: 
मैं इसका समर्थक हूं। हम लाखों करोड़ों का बजट बनाते हैं, उसमें 12 सौ रुपए अपनी बहनों के हाथ पर रख देते हैं, तो उसमें बुराई क्या है। मेरा बस चले तो मैं 10 हजार रुपए महीने दूं। हमारी परंपरा को विक्रमादित्य से समझिए, उन्होंने सभी का कर्जा माफ किया और जितना कर्जा था उतना ही लोगों को नगद दे दिया। 

सवाल: 10 हजार की स्थिति में कब पहुंचेंगे?
जवाब: 
5 हजार तो अभी दे रहे हैं। रायसेन, भोपाल जैसी जगहों पर जहां रेडीमेड गारमेंटस बनाने वाली इंस्ट्रीज में बहनें काम कर रही हैं, उन्हें 15 से 20 हजार रुपए महीना वेतन मिल रहा है इसमें से 5 हजार इंसेंटिव मप्र सरकार दे रही है। गौ-शालाओं जैसी बड़ी योजनाओं पर काम कर रहे हैं। इससे सिस्टम में कुछ बदलाव होगा।