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International Dog Day: इंटरनेशनल डॉग डे पर राजधानी भोपाल के डॉग लवर्स ने बताया कि डॉग्स उनके जीवन में कितना मायने रखते हैं। साथ ही लोग कितने अर्से से इन्हें पालते आ रहे हैं और डॉग्स से उनका गहरा नाता कब से बन गया।

International Dog Day: किसी भी व्यक्ति के जीवन में किसी न किसी वफादार साथी का बेहद महत्व है लेकिन आधुनिक समाज में जब लोग व्यस्त हो गए हैं, एक दूसरे के लिए समय की कमी है। ऐसे में घर में पलने वाला पालतू जानवर उसका सबसे अच्छा दोस्त और वफादार साबित होता है और जब इन पेट्स के मालिक पर कोई विपत्ति आती है तो सबसे पहले परेशान यही होते हैं।

डॉग्स से गहरा नाता
मालिक और पेट के बीच एक ऐसा नाता बन जाता है कि यह मालिक की खुशियों में खुश होता है तो मालिक को उदास देख मुंह लटका लेता है। आज इंटरनेशनल डॉग डे पर हरिभूमि ने कुछ ऐसे ही डॉग लवर्स को तलाशा जिनके लिए उनका पेट काफी मायने रखता है, यह कई अर्से से डॉग्स को पालते आ रहे हैं और इन डॉग्स से इनका गहरा नाता बन चुका है।

जीवन खुशियों से भर दिया
जी टीवी के शो भाग्य लक्ष्मी में भोपाल की ऐश्वर्या खरे ने अपने प्यारे पालतू डॉग्स द्वारा उनकी जिंदगी में लाई गई खुशियां और निस्वार्थ प्यार के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि मुझे बचपन से ही डॉक्स से बहुत लगाव रहा है, लेकिन मेरी मां ने मुझे कभी कुते पालने की इजाजत नहीं दी। लेकिन हाल ही में मैंने एक खूबसूरत शिह-त्जू डॉग 'बर्फी' को पाल लिया है।

2005 से स्ट्रीट डॉग्स को पाल रहे
राजधानी के नेहरू नगर निवासी प्रेमांशु शुक्ला ने कहा कि वह करीब 2005 से स्ट्रीट डॉग्स को पाल रहे हैं, उन्होंने बताया कि साल 2005 में हमारी गली में एक फीमेल डोंग ने बच्चे दिए जो नाली में फंस गए थे, जिस वजह से वह काफी परेशान थी और फिर मैंने उन सभी बच्चों को निकाला और अपने घर में जगह दी और उनका बहुत ख्याल रखा।

सदस्य करते हैं बच्चे की तरह प्यार
नीलबड़ निवासी सविता गुप्ता ने बताया कि 10 सालों के अंदर उनके पास दो फीमेल डॉग रहे हैं, जिनमें करीब 5 साल टुक-टुक नाम की एक फीमेल डॉग उनके पास रही थी। इस वक्त उनके पास करीब पांच साल से इशी नाम की फीमेल डॉग है। जिसको परिवार के सभी सदस्य बिल्कुल बच्चे की तरह प्यार करते हैं। हर जगह उसको हम साथ लेकर जाते हैं।

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