भोपाल (प्रकाश भोमरकर): जेल प्रशासन द्वारा शुरू किया गया पेट्रोल पंप अब चल पड़ा है। 26 अगस्त को गांधी नगर स्थित सेंट्रल जेल की भूमि हिंदुस्तान पेट्रोलियम (HP) का पेट्रोल पंप की शुरुआत हुई थी। यहां हर दिन 2300 लीटर फ्यूल की खपत हो रही है। हर दिन 1500 लीटर पेट्रोल बिक रहा है तो डीजल 800 लीटर बिक रहा है। हालांकि पावर पेट्रोल की सेल थोड़ी कम है। इस पेट्रोल पंप की खास बात यह है कि जेल में सजायाफ्ता बंदी इसका संचालन कर रहे हैं। सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक अलग-अलग शिफ्टों में काम कर रहे हैं।
पूर्व से चल रहे जेल के पेट्रोल पंप और हिंदुस्थान पेट्रोलियम द्वारा बंदियों को ट्रेनिंग दी गई है। इसके अलावा मैनेजर का काम जेल के कर्मचारी को दिया गया है। हालांकि बंदियों को क्या मेहनाताना दिया जाएगा, यह तय नहीं किया गया है।
जेल अधीक्षक राकेश भांगरे ने बताया कि उनके मेहनाताना सम्मानजनक रहेगा। प्रतिदिन गाइडलाइन के अनुसार, बंदियों को 154 रुपए दिए जाते हैं। यहां पेट्रोल पंप पर काम करने वाले बंदियों को 154 रुपए प्रतिदिन तो मिलेंगे ही इसके अलावा उन्हें पंप पर ड्यूटी करने का अतिरिक्त मेहनाताना भी दिया जाएगा।
जेल अधीक्षक राकेश भांगरे ने बताया कि जब वह इंदौर जेल में पदस्थ थे, तब वहां नया पेट्रोल पंप खुला था। उस समय ही उन्होंने पेट्रोल पंप के बारे में जानकारी जुटा ली थी। अब भोपाल में 26 अगस्त से पेट्रोल पंप की शुरुआत हुई है। लिहाजा इंदौर में लिया गया अनुभव अब उन्हें यहां काम आ रहा है। उन्होंने बताया कि पेट्रोल पंप पर 6 बंदियों को रोजगार मिला है। पंप पर बंदी सेल्समैन का काम कर रहे हैं।
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मॉनिटरिंग के लिए रखे अधिकारी
जिन जेल बंदियों का व्यवहार संतोषजनक है और जो विश्वसनीय है, उन्हें ही यहां काम दिया गया है। उनकी निगरानी के लिए एक अधिकारी को नियुक्त किया गया है। इसके अलावा पेट्रोल पंप में लगे सीसीटीवी कैमरे से जेल के आला अधिकारियों के पास मॉनिटरिंग की जा रही है। उल्लेखनीय है कि जेल में सजा काट रहे बंदियों के सुधार के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। यह भी एक सराहनीय प्रयास किया गया है। प्रदेश में इंदौर, दमोह, टीकमगढ़ और भोपाल जेल में पेट्रोल पंप का संचालन किया जा रहा है।
तो बढ़ सकती है पंप की और भी सेल
जेल अधीक्षक राकेश भांगरे ने बताया कि पेट्रोल पंप पर बिकने वाले पेट्रोल-डीजल के लिए कुछ सरकारी विभाग द्वारा उधारी में माल मांगा जाता है। वे चाहते हैं कि उधारी न हो और पंप बेहतर चले इसलिए केवल नकद में ही माल दिया जा रहा है। यदि उधारी में माल दिया जाता है तो सेल और भी बढ़ जाएगी।
बंदियों की मेहनत और पंप पर ग्राहकों से अच्छा व्यवहार काम आ रहा है। एक महीने से कम समय में सेल अच्छी हो गई है। इससे बंदियों को फायदा तो होगा ही साथ जेल प्रशासन को भी लाभ होगा।
राकेश भांगरे, जेल अधीक्षक