Bhojshala Issue : मध्य प्रदेश के धार जिले में भोजशाला के विवादित परिसर को लेकर जैन समुदाय द्वारा लगाई गई याचिका वापस ले ली गई है। प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति की ओर से इस पर कहा गया कि याचिकाकर्ता द्वारा इस पर उचित प्रारूप पेश नहीं किया गया और न ही देरी से याचिका को दायर करने का कारण स्पष्ट किया गया।
नए सिरे से याचिका लगाने का समय
विवादित परिसर को लेकर जैन समुदाय के वकील सलेक चंद जैन की रिट याचिका को वापस लेते हुए अब कहा गया है कि प्रारूप को नए सिरे से तैयार कर याचिका लगाने के लिए कोर्ट से समय मांगा गया है। न्यायमूर्ति के द्वारा याचिका को लेकर किए गए सवाल के बाद इसे वापस ले लिया गया है।
मौखिक टिप्पणी के अलावा उचित प्रारूप नहीं
न्यायमूर्ति प्रणय वर्मा की एकल पीठ में इस याचिका पर सुनवाई की गई। यह याचिका दिल्ली के सामाजिक कार्यकर्ता सलेक चंद जैन की ओर से लगाई गई थी। रिट याचिका पर सुनवाई के दौरान मौखिक टिप्पणी के अलावा उचित प्रारूप नहीं पेश किया गया है और साथ ही याचिका के देरी से दायर करने के कारणों को न्यायमूर्ति के सामने सही से बताया जा सका।
जैन समुदाय का गुरुकुल
इंदौर एकल पीठ में सलेक चंद जैन की ओर से जो याचिका दायर की गई थी। उसमें यह बताया गया था कि विवादित परिसर कभी जैन समुदाय का गुरुकुल हुआ करता था। यह जैन मंदिर था जहां देवी अंबिका की मूर्ति स्थापित थी। याचिका में कहा गया था कि जहां जैन समुदाय के विद्वानों यहां पर समाज के बच्चों को शिक्षा दीक्षा दी जाती थी। यहां पर संस्कृत, प्राकृत सहित भाषाओं में ग्रंथों के अनुवाद किया जाता था। साथ ही यह गुहार भी लगाई गई थी कि यहां रखी मूर्तियों जो अब लंदन के संग्रहालय में रखी हैं उन्हें भारत वापस लाकर भोजशाला में स्थापित किया जाए। बता दें कि विवादित परिसर को लेकर हिंदू समुदाय और मुस्लिम समुदाय द्वारा अपने अपने दावे किए गए हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम द्वारा यह जांच भी की जा रही है।