MP News: देश के हृदयप्रदेश मध्यप्रदेश ने कला जगत में अनमोल कलाकार दिए हैं। आज दर्शकों के सबसे पंसदीदा ओटीटी के दौर में यहां के कलाकार अपने हुनर का जलवा बिखेर रहे हैं। यहां हर वो चीज़ उपलब्ध है जो फिल्म निर्माण जगत के लिए महत्वपूर्ण है। मेरा यकीन है कि एमपी जल्द ही कला जगत में हुनर प्रदेश नाम से जाना जाएगा। यह कहना है बॉलीवुड के मशहूर एवं वरिष्ठ अदाकार रज़ा मुराद का। उन्होंने यह बात बुधवार को राजधानी भोपाल में कही।

‘ओवरऑल पर्सनालिटी में निखार जरूरी’  
दशकों से बॉलीवुड में अपने अभिनय के दम पर छाप छोड़ने वाले श्री मुराद ने कलाकारों के निखार के पहलुओं के सवाल पर कहा कि एक कलाकार की पर्सनालिटी में हर तरीके से निखार की जरूरत होती है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं मध्यप्रदेश से निकल कर दुनिया में छा जाने वाले किशोर कुमार। वे अदाकारी के साथ गाने व नृत्य में भी निपुण थे। वे सम्पूर्ण कलाकार कहे जाते हैं। मेरा मानना है की ऐसे नगीने प्रदेश के दामन में छिपे हुए हैं। 

फिल्मी दुनिया में संघर्ष अब पहले जैसा नहीं रहा। अगर कलाकार में हुनर है तो वो दर्शकों द्वारा सराहा जाएगा और उसके लिए आगे दरवाजे ख़ुद-ब-ख़ुद खुल जाएंगे। जरूरत है कि लोकल टैलेंट को तराशा जाए और उन्हें मौके दिलवाए जाएं। इस दिशा में यश एंटरटेनमेंट वाक़ई अच्छा काम कर रहा है। इस नेक काम में मैं भी उनके साथ जुड़ गया हूं। अपने 73 साल के अनुभव को नए कलाकारों के साथ बांटना चाहता हूं।

‘लोकल टैलेंट को सपोर्ट करना जरूरी’
मुराद ने कहा कि मध्य प्रदेश में लोकल स्तर पर टैलेंट छिपा हुआ है। इस टैलेंट को दुनिया के सामने लाने के लिए महज फिल्में ही एक माध्यम नहीं रह गई हैं। मनोरंजन चैनलों पर आने धारावाहिकों से ज्यादा अब ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर दर्शक अपना वक़्त बिता रहे हैं। बड़े-बड़े कलाकार ओटीटी प्लेटफार्म की वेब सीरीज के लिए अभिनय कर रहे हैं। इससे ओटीटी की गंभीरता का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। कई ऐसी फिल्में आई हैं, जिनमें बड़े कलाकार नहीं थे, लेकिन उन्होंने दर्शकों को खींचा। 12th फेल इसका एक बेहतरीन उदाहरण है।

कर रहे वेब सीरीज का निर्माण, प्रदेश के टैलेंट को भी मौका: नंदिनी राजपूत
डायरेक्टर नंदिनी राजपूत ने बताया कि हम वेब सीरीज निर्माण के लिए काम कर रहे हैं। इसमें प्रमुख रूप से मध्य प्रदेश के लोकल टैलेंट को मौका दिया गया है। उन्हें भविष्य में अच्छे अवसर प्राप्त होंगे। हमने अपने एक्सपर्ट्स से भी कलाकारों की ग्रूमिंग करवाई है। हमें मध्य प्रदेश में हर वो संभावना नजर आती है, जो एक बेहतर प्रोडक्शन के लिए जरूरी है। स्टूडियो की ओर से आगे एक गरबा इवेंट भी किया जाएगा। यश स्टूडियो का उद्देश्य केवल मनोरंजन प्रदान करना नहीं, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और प्रोत्साहित करना भी है।

भोपाल से जज्बाती रिश्ता, आज भी एक खंबे को सलाम करता हूं: रजा मुराद
रजा मुराद ने पुराने दिनों को याद करते हुए बताया कि भोपाल मेरा अपना शहर है। इससे मेरा बड़ा जज्बाती रिश्ता रहा है। यहीं मेरा पूरा परिवार फला फूला। मैंने एक खंबे के नीचे लगी लाइट में 10 दिन परीक्षा की तैयारी की और पेपर दिया। मैं जब भी वहां से गुरता हूं, तो खंबे के नीचे रुककर उसे सलाम करता हूं। जब भी आप कोई नेक काम करते हैं तो लोग आपके साथ जुड़ते चले जाते हैं। नंदिनी भी बड़ा नेक काम कर रही हैं, इसलिए में भी उनके साथ जुड़ गया हूं। किसी भी काम के लिए पहले आपको ट्रेनिंग लेनी पड़ती है। मुंबई महंगा है वहां रहने और खाने की समस्या है। इसलिए भोपाल एक बेहतर ऑप्शन हो सकता है। 
 
‘20% स्थानीय कलाकारों को मिले फिल्मों में काम’
राजधानी में फिल्म सिटी बनाए जाने की मांग पर श्री रजा मुराद ने कहा कि एक बार पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कोलार में एक फिल्म सिटी बनाने का प्लान बनाया था। इसके लिए वो मुंबई भी आए और मैं भी उनसे मिला था, लेकिन ये काम आगे नहीं बढ़ पाया। मैं नई सरकार से भी फिल्म सिटी के लिए दरख्वास्त करता हूं।   

मध्य प्रदेश में स्थानीय कलाकारों को फायदा पहुंचाने के लिए उन्होंने सुझाव दिया कि जब भी कोई प्रोड्यूसर फिल्म या वेब सीरीज बनाने के लिए भोपाल आए तो सबसे पहले उसके साथ सरकार एक कॉन्ट्रैक्ट साइन करे। जिसमें शर्त रखी जाए कि आप जिन कलाकारों को काम देंगे, उनमें 20 फीसदी स्थानीय आर्टिस्ट होने चाहिए। साथ ही मध्य प्रदेश की असली पहचान और छवि को पेश करने की भी शर्त जरूरी है।
 
1957 में बुधनी में नया दौर की शूटिंग हुई थी, तब दिलीप कुमार आए थे। इसके बाद एक लंबा गैप रहा। फिर प्रकाश झा ने फिल्मों में भोपाल की खूबसूरती दिखाई। एमपी की छवि को फिल्मों में दिखाया जाना चाहिए।
 
ओटीटी कंटेंट के लिए सेंसरशिप जरूरी: रजा मुराद
ओटीटी सीरीज में अभद्र भाषा, गालियों के इस्तेमाल पर श्री रजा मुराद का मानना है कि सरकार को इस पर तुरंत लगाम लगानी चाहिए। ताकि हम समाज को ऐसा कंटेंट मुहैया करा पाएं, जिसे लोग परिवार के साथ घर में टीवी पर एक साथ देख पाएं। ओटीटी में सेंसरशिप बहुत जरूरी है। बहुत अभद्र भाषा का प्रयोग हो रहा है। जिसे हम परिवार के साथ नहीं देख पाते हैं। हमारे मुल्क की एक तहजीब है। सरकार को इस पर लगाम लगानी चाहिए। अगर कोई नहीं माने तो सख्ती से कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए।