Maharaja Chhatrasal Jayanti: भोपाल में रविवार को महाराजा छत्रसाल जी की 375वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई। इस मौके पर काफी संख्या में सामाजिक कार्यकर्ताओं ने श्रध्दांजलि दी। महाराज छत्रसाल के महान चरित्र के संबंध में जानकारी दी गई। उनकी महान गाथा के बारे में सबको अवगत कराया गया। 

काफी संख्या में समाजसेवी रहे मौजूद
यह कार्यक्रम बुंदेलखंड एकता मंच, विरासत बचाओ मंच मध्य प्रदेश, श्री राम सेवक साहित्य बुन्देली परिषद के संयुक्त तत्वावधान में किया गया था। जिसमें महाराजा छत्रसाल जयंती छत्रसाल नगर फेस टू में मुख्य अतिथि किशन सूर्यवंशी नगर निगम अध्यक्ष, सुरेंद्र सिंह बेबी राजा पूर्व संसदीय सचिव, आर एस कुंभकार, अखिलेश मालवीय, जीत राजपूत पार्षद, महेन्द्र सिंह परमार, पी एस बुंदेला, विजय दुबे, सुनील श्रीवास्तव, सत्येंद्र साहू, वासिद दीक्षित ने छत्रसाल महाराज की मूर्ति पर माल्यार्पण पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। 

महान गाथा से कराया अवगत
इस अवसर पर पी एस बुंदेला ने महाराजा छत्रसाल जी के महान चरित्र के संबंध में जानकारी दी कि उन्होंने बताया कि महाराजा छत्रसाल ने कैसे 52 से अधिक लड़ाई लड़ी। जिसमें धूमघाट के तीन युद्ध शामिल थे। पासा का युद्ध केशव राव डांगी से हुआ था और सभी में विजय हासिल करके हिंदुत्व की रक्षा की। ओरछा और बुंदेलखंड के सभी मंदिरों की टूटने से बचाया। 

बुंदेलखंड के महान शासक थे महाराज छत्रसाल
सुनील श्रीवास्तव ने कहा कि महाराजा छत्रसाल के गुरु प्राणनाथ के मार्गदर्शन में राजतिलक एवम महाराजा की उपाधि दी गई। वहीं जी एल यादव (अर्जुन अवार्ड) ने बताया कि महाराजा शिवाजी से प्रेरणा ले कर भवानी तलवार प्राप्त कर बुंदेलखंड में 5 घुड़सवार और 25 सैनिकों के साथ अपनी विजय यात्रा आरंभ की। 

महाराजा छत्रसाल जी के चरित्र को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की कही बात
पूर्व संसदीय सचिव सुरेन्द्र सिंह बेबी राजा ने महाराजा छत्रसाल को याद करते हुए कहा कि छत्रसाल जी के चरित्र को राष्ट्रीय स्तर पर स्थान दिलाना चाहिए। इसके लिए मुझसे जो भी सहयोग होगा उसके लिए मैं हमेशा तत्पर रहूंगा। विजय दुबे ने कहा कि बुंदेलखंड एकता मंच महाराजा छत्रसाल के सम्मान को उचित स्थान दिलाने के लिए प्रयास करते हैं और हमेशा करते रहेंगे। 

जेके रोड का नाम महाराजा छत्रसाल रोड करने की कही बात
किशन सूर्यवंशी ने 375वीं जयंती के अवसर पर कहा कि छत्रसाल जी का ऐसा चरित्र था कि हिंदू सेना नही मारी जाए इसके लिए द्वंद युद्ध तीन पहर तक किया और अंत में सिर काटने के बाद उनके दोनो बेटो को मुंह बोला बेटा मानकर उनका राज उन्हें बापिस किया, ऐसा उनका चरित्र था। उन्होंने वहां पर मौजूद लोगों को आश्वास्त किया कि जे के रोड का नामकरण महाराजा छत्रसाल रोड करने के लिए प्रयास करेंगे।