भोपाल (आशीष नामदेव)। मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (Manit) में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले तीन दिवसीय भव्य हिंदी महोत्सव “तूर्यनाद” के 13वें संस्करण तूर्यनाद’ का शुभारंभ शुक्रवार की शाम को हुआ। इस महोत्सव ने अपनी शुरुआत से ही भाषा, संस्कृति और परंपरा के त्रिवेणी संगम का दर्शन कराया।
कार्यक्रम की शुरुआत राज्यपाल मंगूभाई पटेल की मौजूदगी में राष्ट्रगान के साथ हुई। वहीं तूर्यनाद’ के सांस्कृतिक मंच पर 'साधो द बैंड' ने अपनी ऊर्जावान और हृदयस्पर्शी प्रस्तुति से श्रोताओं का दिल जीत लिया। मंच पर आते ही 'साधो द बैंड' ने 'पिया घर आएंगे', 'राम आएंगे', 'तेरी दीवानी' गीतों से वातावरण को संगीतमय कर दिया। बैंड ने जैसे ही अपनी धुनें बिखेरीं, मैनिट का एल.आर.सी. भवन तालियों से गूंज उठा।
मातृभूमि और माता पिता को भी याद रखें
राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने विद्यार्थियों को आदर्श नागरिक बनने की सलाह देते हुए कहा- तकनीकी शिक्षा के साथ मातृभूमि और माता पिता के महत्व को भी याद रखें। राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने अपने उद्बोधन में भारत की समृद्ध आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत पर प्रकाश डालते हुए, 'तूर्यनाद' द्वारा किए जाने वाले कार्यों की सराहना कर समिति को गौरवान्वित किया। उन्होंने छात्रों को अपने ज्ञान और प्रतिभा को हिन्दी में प्रस्तुत करने और एक आदर्श नागरिक बनने का संदेश दिया।
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भाषा और संस्कृति का भव्य शंखनाद
वाराणसी से आए प्रख्यात शंखवादक रामजनम योगी ने 5 मिनट से अधिक समय तक लगातार शंखनाद कर, ‘तूर्यनाद’ शब्द के अर्थ को चरितार्थ किया। वहां उपस्थित सभी गणमान्य जनों और दर्शकों को रोमांचित कर दिया। वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर शंखनाद करने वाले 63 वर्षीय रामजनम योगी के प्रशंसक प्रधानमंत्री मोदी भी रहे हैं।
रामजनम योगी ने एल.आर.सी. भवन में कहा कि शंख को 14 रत्नों में एक, नव निधियों में एक और श्रीकृष्ण की कलाओं में एक बताया गया है। कार्यक्रम में मैनिट के पूर्व छात्र और पालन सेवा फाउंडेशन के संस्थापक, पराग अग्रवाल भी उपस्थित रहे, जो ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य और महिलाओं के स्वावलंबन के लिए कार्यरत हैं।
तूर्यनाद सबसे बड़ा हिंदी महोत्सव
तूर्यनाद समिति की संयोजिका डॉ. सविता दीक्षित ने हिन्दी के उत्थान के प्रति तूर्यनाद की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए युवाओं को इस महोत्सव से प्रेरणा लेने और अपनी अंतर्निहित क्षमताओं को उजागर करने के लिए प्रेरित किया। मैनिट के निदेशक प्रो. करुणेश कुमार शुक्ल ने हिंदी भाषा के महत्व पर जोर देते हुए छात्रों को भारतीय परंपराओं और मूल्यों को बनाए रखने और आगे बढ़ाने का संदेश दिया। उन्होंने अपने उद्बोधन में तूर्यनाद महोत्सव को तकनीकी महाविद्यालयों में आयोजित होने वाला सबसे बड़ा हिंदी महोत्सव बताया।