Mayank Adivasi Borewell Rescue Operation: 160 फीट गहरे बोरवेल में गिरे रीवा के मयंक आदिवासी को जिंदा नहीं बचाया जा सका। 44 घंटे की मेहनत के बाद रविवार दोपहर रेस्क्यू दल ने जैसे ही बाहर निकाला, चिकित्सा टीम तुरंत अस्पताल लेकर रवाना हुई, लेकिन डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। मयंक 42 फीट गहराई में पत्थर और मिट्टी के बीच फंस गया था। जहां दम घुटने से उसकी मौत हो गई।
8 जेसीबी मशीनों से खुदाई, सुरंग बनाने में लगा समय
मयंक को बाहर निकालने 8 जेसीबी मशीनों से बोरबेल के समानांतर खुदाई की गई, लेकिन 60 फीट से पहले ही उसमें पानी निकल आया। जिस कारण कुछ देर रेस्क्यू रोककर गड्ढे का पानी खाली कराया गया और ड्रिल मशीन से बोरवेल तक पहुंचने सुरंग बनाई गई। सख्त मिट्टी पर ड्रिल काम नहीं कर रही थी, इसिलए मैनुअली खुदाई शुरू की, जिसमें काफी समय लग गया।
रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान सलामती की दुआ करते रहे परिजन
रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान मयंक की मां शीला, पिता विजय, दादा हिंचलाल और नानी निर्मला सहित अन्य परिजन और आसपास के सैकड़ों ग्रामीण शुक्रवार शाम से ही घटनास्थल पर ही बैठे रहे। इस दौरान वह मयंक की सलामती के लिए दुआ करते रहे।
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घटना स्थल पर डटी रहीं कलेक्टर, CM ने ली अपडेट
रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान रीवा कलेक्टर प्रतिभा पाल व अन्य प्रशासनिक अधिकारी मौके पर डटे रहे। मेडिकल टीम के साथ एंबुलेंस और टेक्नीशियन भी मौके पर मौजूद रहे। डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल, सांसद जनार्दन मिश्रा, त्योंथर विधायक सिद्धार्थ तिवारी और कांग्रेस की लोकसभा प्रत्याशी नीलम मिश्रा, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी पल पल की अपडेट लेते रहे।
घटना जनेह थाना क्षेत्र के मनिका गांव की है। जो रीवा से 90 किमी दूर है। शुक्रवार दोपहर तकरीबन 3.30 बजे से 4 बजे के बीच मयंक आदिवासी (6) पिता विजय खुले बोरवेल में गिर गया था। बोरवेल की गहराई 160 फीट बताई गई। हालांकि, कलेक्टर ने 70 फीट बताया है।