MP Assembly Session: मध्यप्रदेश विधानसभा शीतकालीन सत्र का आज अंतिम दिन है। कांग्रेस विधायक संसद में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के डॉ. भीमराव अंबेडकर पर दिए गए बयान का विरोध करने के लिए विधानसभा पहुंचे। कांग्रेस ने इस बयान को संविधान का अपमान बताया है। मध्यप्रदेश विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई है। इसके अलावा, कांग्रेस ने मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) द्वारा आयोजित परीक्षाओं में हुई गड़बड़ी का भी मुद्दा उठाया। वहीं, पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव ने इस मामले का निष्पक्ष रूप से ऑडिट कराया जाने की बात कही है। कांग्रेस के विधायकों ने सदन में नीले गमछे लहराए। दोनों ओर से शोर-शराबे और हंगामे के चलते स्पीकर ने कार्यवाही स्थगित कर दी।
संविधान का अपमान
कांग्रेस विधायक विधानसभा में संविधान की प्रतियां लेकर पहुंचे और उन्होंने इस मामले में बीजेपी की आलोचना की। कांग्रेस नेता और विपक्ष के नेता उमंग सिंघार ने आरोप लगाया कि बीजेपी द्वारा संविधान का अपमान किया जा रहा है और अंबेडकर जी के बारे में गलत शब्द कहे गए हैं। सिंघार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अभी तक इस विवादित बयान पर माफी नहीं मांगी है।
राहुल गांधी पर लगे झूठे आरोप
उमंग सिंघार ने कहा, "राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे जब इस मामले पर बात कर रहे थे, तो बीजेपी के सांसदों ने न केवल उनका विरोध किया, बल्कि उन्हें शारीरिक रूप से धक्का-मुक्की भी की। इसके बाद राहुल गांधी पर झूठे आरोप भी लगाए गए। हमारी मांग है कि अमित शाह इस टिप्पणी के लिए माफी मांगें और राहुल गांधी पर जो झूठा मामला दर्ज किया गया है, उसे वापस लिया जाए।"
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MPPSC परीक्षा गड़बड़ी का मामला भी उठा
इसके अलावा, कांग्रेस ने मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) द्वारा आयोजित परीक्षाओं में हुई गड़बड़ी का भी मुद्दा उठाया। इस पर विधानसभा में कांग्रेस के विधायक ने तीखा विरोध जताया। हाल ही में इंदौर में MPPSC मुख्यालय के बाहर युवाओं का प्रदर्शन जारी है, जिसमें परीक्षाओं में गड़बड़ी के आरोप लगाए जा रहे हैं। यह प्रदर्शन लगातार दो दिनों से जारी है, और युवा सरकारी नौकरियों की प्रक्रिया में पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं।
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार ने इस मामले में उचित कार्रवाई नहीं की और छात्रों की परेशानियों को नजरअंदाज किया। उनका कहना था कि सरकार को युवाओं की मांगों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और परीक्षा प्रणाली में सुधार की दिशा में कदम उठाना चाहिए।