भोपाल। मध्यप्रदेश की मोहन यादव सरकार नए साल पर प्रदेशवासियों को बड़ी सौगात देने जा रही है। CM मोहन यादव की इस पहल से जमीन कारोबार और कृषि कार्य से जुड़े लोगों को काफी राहत की उम्मीद है। 1 जनवरी 2024 को शुरू हो रही नई व्यवस्था से प्रदेश की कुछ तहसीलों में पेपरलेस कार्य होगा। जमीन की रजिस्ट्री कराते ही नामांतरण की प्रक्रिया भी हो जाएगी। पटवारी व कानूनगो के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। तय समय में ऋण पुस्तिका मिल जाएगी।
शपथ के बाद ही CM ने की थी घोषणा
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव चाहते हैं कि राजस्व प्रकरणों का निराकरण कम से कम समय में हो जाए। भू-अभिलेखों में अमल के बाद सभी भू-अभिलेखों व आदेशों की सत्यापित प्रतिलिपि पक्षकार को आसानी से मिल सके। अनावश्यक रूप से उन्हें परेशान न किया जाए। मुख्यमंत्री की शपथ लेने के बाद उन्होंने इस संबंधी पहली घोषणा की थी। जिस पर विचार विमर्श के बाद साइबर तहसील का यह कॉन्सेप्ट अस्तित्व में आया है।
हर साल 14 लाख प्रकरण
प्रदेश में हर साल नामांतरण के लगभग 14 लाख प्रकरण पंजीबद्ध होते हैं। इनमें से विक्रय विलेखों के निष्पादन के बाद नामांतरण के लिए दर्ज होने वाले प्रकरणों की संख्या 8 लाख होती है। इसमें संपूर्ण खसरा के क्रय-विक्रय से जुड़े 2 लाख अविवादित नामांतरण प्रकरण पंजीबद्ध किए जाते हैं।
आसान हो जाएगा त्रुटि सुधार
जमीन की रजिस्ट्री होने के बाद नामांतरण और ऋण पुस्तिका प्राप्त करने में अभी दो से तीन महीने लग जाते हैं। साइबर तहसील शुरू होने के बाद यह प्रक्रिया 15 से 17 दिन में पूरी हो जाएगी। यानी तहसीलों में पेपरलेस, फ़ेसलेस व्यवस्था से नामांतरण और भू-अभिलेख अपडेट कराना काफी आसान हो जाएगा।
खरगोन से शुभारंभ, नहीं आएंगे शाह
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सोमवार को खरगोन जिले से साइबर तहसीलों का समारोह पूर्वक शुभारंभ करेंगे। साइबर तहसील की व्यवस्था हर जिले में 1 जनवरी 2024 से लागू हो जाएगी। इस कार्यक्रम में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को भी आना था, लेकिन एक दिन पहले उनका प्रस्तावित कार्यक्रम रद्द होने की सूचना मिली है। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव इस दौरान खरगोन में संभागीय बैठक भी करेंगे।