Logo
Nagar Nigam Bhopal: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में नगर निगम अपने सौर ऊर्जा से संबंधित प्रयासों को और बढ़ाने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए पहले से तैयार हो रहे सोलर प्लांट के अलावा नए और प्लांट लगाने की तैयारी की जा रही है।

Nagar Nigam Bhopal: राजधानी भोपाल में बड़े तालाब के किनारे 500 किलोवाट क्षमता के सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने के बाद नगर निगम मुख्यालय के साथ वार्ड और जोन कार्यालयों की दो लाख वर्ग फीट की छत पर सोलर पैनल लगाने की योजना है। पांच करोड़ रुपए से लगने वाले इस संयंत्र से निगम को एक मेगावाट बिजली मिलेगी। 

बिजली कंपनी जबलपुर को पत्र
नगर निगम बढ़ते बिजली के खर्च से राहत पाने के लिए सौर ऊर्जा पर निर्भरता बढ़ा रहा है। पिछले दिनों पायलट प्रोजेक्ट में मिली सफलता के बाद अब नगर निगम के सभी छोटे वार्ड कार्यालयों पर इनको लगाया जा रहा है। नगर निगम भोपाल का नीमच में प्लांट कंपलीट हो गया। इस संबंध में बिजली कंपनी जबलपुर को पत्र लिखा गया है, जिससे उसका लाभ भोपाल को मिल सके। निगम के पायलट प्रोजेक्ट ईदगाह हिल्स सहित सभी फिल्टर प्लांट में सोलर प्लांट लगे हुए हैं।

निगम अधिकारियों के अनुसार सभी कार्यालयों और भवनों की छत पर एक मेगावाट का सोलर पैनल लगाया जा रहा है। इससे प्रतिदिन चार हजार यूनिट बिजली मिलेगी। इसके संचालन और मरम्मत का काम 15 वर्षों तक निजी कंपनी संभालेगी। वहीं नगर निगम को रियायती दरों पर बिजली मिलेगी।

यह भी पढ़ें: Bhopal News: डेंगू लार्वा की दवा का छिड़काव, पूरे शहर में एक साथ उतरीं निगम की टीमें

8 रुपए की दर से बिजली खरीद
शहर में वर्तमान में निगम बिजली कंपनी से जलकार्य और स्ट्रीट लाइट के लिए 5.90 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदता है। जबकि निगम के कार्यालय व अन्य भवनों के लिए 8 रुपए की दर से बिजली खरीदता है। लेकिन रूफ टॉप सोलर पैनल लगने के बाद निजी कंपनी 3.36 रुपए की दर से बिजली देगी। इससे निगम को प्रति यूनिट 4.64 रुपए की बचत होगी। इसमें तीन करोड़ ठेका कंपनी और दो करोड़ रुपए नगर निगम को देना होगा। इससे निगम को प्रतिमाह 1.20 लाख यूनिट बिजली मिलेगी। हर माह निगम को 6 लाख रुपये की बचत होगी। वहीं सालाना 70 लाख रुपए बचेंगे।

सोलर पैनल से हर माह बच रहे तीन लाख
इसके पहले स्मार्ट सिटी द्वारा बड़े तालाब के किनारे 500 किलोवाट का सोलर पैनल लगाया है। यहां 1500 सोलर प्लेटों से प्रतिदिन दो हजार यूनिट बिजली बनती है। लेकिन स्वयं का प्लांट होने से इसका बिल नहीं चुकाना पड़ता है। इससे बनने वाली बिजली का उपयोग कर्बला जल शोधन संयंत्र और वीआईपी रोड की स्ट्रीट लाइट को रोशन करने में किया जा रहा है। इससे हर माह तीन लाख रुपये की बचत हो रही है।

यह भी पढ़ें: महिला सुरक्षा: केन्द्र सरकार से निर्भया फंड के लिए मांगी राशि, पीएचक्यू का प्रस्ताव

5379487