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Navratri 2024: शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ हो गया है। मध्यप्रदेश में कई विश्व विख्यात देवी मां के मंदिर हैं। हरिभूमि आपको 9 देवी मंदिरों के दर्शन करवा रहा है। पहले दिन गुरुवार(3 अक्टूबर) को भोपाल की कर्फ्यू वाली माता के दर्शन कीजिए...।

Navratri 2024: शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ हो गया है। मध्यप्रदेश में कई विश्व विख्यात देवी मां के मंदिर हैं। हरिभूमि आपको 9 देवी मंदिरों के दर्शन करवा रहा है। हम रोज आपको एक प्रसिद्ध मंदिर की खासियत, महिमा, महत्व और मान्यता के बारे में बताएंगे। पहले दिन गुरुवार(3 अक्टूबर) को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की कर्फ्यू वाली माता के दर्शन करवा रहे हैं। चलिए जानते हैं भवानी चौक सोमवारा स्थित कर्फ्यू वाली माता का मंदिर कितना खास है...।

नारियल में अर्जी लिखकर मांगते हैं मन्नत
भोपाल के भवानी चौक सोमवारा में कर्फ्यू वाली माता का प्रसिद्ध मंदिर है। श्रद्धालुओं में यह मंदिर आस्था का केंद्र है। नवरात्र में यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। साथ ही सालभर यहां दर्शयों की भीड़ लगी रहती है। मातारानी के इस दरबार में मन्नत के लिए श्रद्धालु नारियल में अर्जी लिखकर लगाते हैं। इससे श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी होती है। कर्फ्यू माता मंदिर के नाम के पीछे भी बड़ी रोचक कहानी है।  

1982 में हुआ विवाद, प्रशासन ने लगाया था कर्फ्यू
मंदिर के पुजारी रमेश चौबे ने बताया कि अश्विन नवरात्रि में यहां झांकी बैठती थी। झांकी के सामने मातारानी की प्रतिमा स्थापना को लेकर वर्ष 1982 में विवाद हो गया। विवाद इतना बढ़ा कि यहां प्रशासन को कर्फ्यू लगाना पड़ा। एक महीने तक कर्फ्यू लगा रहा उसके बाद यहां प्रतिमा की स्थापना हुई और मंदिर का निर्माण हुआ। तब से मंदिर को  कर्फ्यू वाली माता के नाम से जाना जाता है।

कलावा बांधकर भी मांगते हैं मन्नत
मंदिर समिति की सदस्य जया सक्सेना ने बताया कि कर्फ्यू वाली माता के दरबर से शहरवासियों की श्रद्धा जुड़ी है। यहां मन्नत मांगने वाले श्रद्धालु नारियल में लिखकर मां के चरणों में अर्जी लगाकर जाते हैं। यहां आने वाले भक्त कलावा बांधकर भी मन्नत मांगते हैं। मन्नत पूरी होने पर भक्त प्रसाद चढ़ाते हैं। सुरक्षा के लिए CCTV कैमरे लगाए गए हैं। 50 रुपए से अधिक का दान यहां केवल चेक के माध्यम से स्वीकार किया जाता है।

मंदिर में सोने का वर्क और चांदी का सिंहासन
श्रद्धालु अमिता अग्रवाल ने बताया कि मंदिर की साज-सज्जा में कई धातुओं का इस्तेमाल किया गया है। मंदिर में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के सानिध्य में श्रीयंत्र की स्थापना की गई है। जो चांदी का है, उस पर सेने का वर्क है। यहां स्वर्ण कलश भी है। 130 किलो चांदी का आकर्षक गेट, 18 किलो चांदी की छोटी प्रतिमा और 21 किलो चांदी का सिंहासन है। आधा किलो सोने का वर्क दरवाजों और दीवारों पर किया है।

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