भोपाल। पंजाब के कुख्यात शिकारी पुजारी ने तमिलनाडु में चार बाघों का शिकार किया। तमिलनाडु के वनाधिकारी शिकार की घटनाओं से अनजान थे। मध्यप्रदेश ने यह खबर दी तो पहले उन्हें भरोसा ही नहीं हुआ। जब मप्र वन विभाग की स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स (एसटीएसएफ) के अधिकारी आरोपी पुजारी बावरिया को तमिलनाडु लेकर पहुंचे और यह बात बताई तो वे हैरान रह गए। एसटीएसएफ के प्रभारी धीरज चौहान ने बताया कि तस्कर कल्ला ने जो खाल खरीदी वह मप्र नहीं, बल्कि तमिलनाडु में मारे गए बाघों की थी। बता दें  कि तीन साल पहले पुजारी ने नीलगिरि सामान्य वन मंडल समेत अन्य वन क्षेत्रों में बाघ के शिकार की घटनाओं को अंजाम दिया था। 

पुजारी ने कल्ला को बेची थी बाघ की खाल 
पुजारी ने शिकार के बाद दो बाघों की खाल अंतरराष्ट्रीय तस्कर आदिन उर्फ कल्ला बावरिया को मध्यप्रदेश में बेची थी। इसी कल्ला को मप्र एसटीएसएफ ने पहली बार 18 अगस्त 2023 को विदिशा-सागर मार्ग पर ग्यारसपुर से गिरफ्तार किया था। एसटीएसएफ ने कल्ला की रिमांड ली। पूछताछ में कल्ला ने पुजारी से दो खाल खरीदना स्वीकार किया।

पहली बार पकड़ाया था कल्ला 
कल्ला पर महाराष्ट्र, असम और नेपाल समेत कई जगह शिकार कराने व उनके अवशेषों की तस्करी के अपराध दर्ज हैं। नेपाल सेंट्रल इंवेस्टिगेशन ब्यूरो समेत कई एजेंसियों को तलाश थी। वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (डब्ल्यूसीसीबी) नई दिल्ली के इनपुट के आधार पर उसे मप्र एसटीएसएफ ने अगस्त 2023 में पहली बार पकड़ा था।

महाराष्ट्र में भी किया था बाघों का शिकार 
नर्मदापुरम की सेंट्रल जेल में बंद तस्कर कल्ला ने जब पुजारी से खाल खरीदने का खुलासा किया, तब पुजारी महाराष्ट्र की चंद्रपुर जेल में बंद था। क्योंकि उसने महाराष्ट्र में भी बाघों का शिकार किया था। एसटीएसएफ के अधिकारी मामले को भांप चुके थे। तमिलनाडु को जानकारी देकर महाराष्ट्र वन विभाग को भी सूचना दी। दिसंबर 2023 के दूसरे सप्ताह में कल्ला को लेकर तमिलनाडु पहुंची। जहां शिकारी पुजारी ने शिकार वाले वन क्षेत्रों की तस्दीक कराई है।

हम इस प्रकरण में और भी गहराई तक जाएंगे
एसटीएसएफ प्रभारी धीरज सिंह चौहान  का कहना है कि कल्ला ने जो खाल खरीदी वह तमिलनाडु में शिकार किए गए बाघों की थी। मप्र का इससे सीधा वास्ता नहीं था, तब भी एसटीएसएफ ने मामले की गंभीरता को देखते हुए आरोपी की महाराष्ट्र से रिमांड ली। उसे तमिलनाडु लेकर गए। वहां उसने घटनास्थल की शिनाख्त कराई। अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक  शुभरंजन सेन ने बताया कि  वन्यजीवों की कोई सीमा नहीं होती। वे किसी भी प्रदेश के क्यों न हों, यदि उनका शिकार हुआ है तो ऐसा करने वाले किसी शिकारी व तस्कर को नहीं छोड़ेंगे। हम इस प्रकरण में और भी गहराई तक जाएंगे।