MP News: मध्य प्रदेश में मोहन सरकार ने मुखबिरों को सरकारी विभाग में नौकरी अब नहीं देने का फैसला लिया है। प्रदेश के चंबल क्षेत्र में डकैतों की मुखबरी करने वालों को पहले सरकारी नौकरी देने का फैसला कांग्रेस की सरकार में किया गया था। स्वर्गीय पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने इस पर परिपत्र जारी करते हुए अधिकारियों को नौकरी देने का प्रावधान बनया था।
43 साल पहले का फैसला
मोहन सरकार ने अब 43 साल पहले के इस फैसले को पलट दिया है। जिसमें मुखबिरों को सरकारी विभाग में नौकरी देने का प्रावधान था। अब मुखबिरों को - सरकारी विभाग में नौकरी देने की कोई बाध्यता नहीं है। सरकार ने मुखबिरों को सरकारी नौकरी देने के प्रावधान को अब खत्म कर दिया है।
चंबल के बीहड़ों में डकैतों का आतंक
बता दें कि प्रदेश में पूर्व में चंबल के बीहड़ों में डकैतों का आतंक रहा है। फूलन देवी, निर्भय गुर्जर, ददुआ, मलखान सिंह, पूजा ठाकुर सहित कई बड़े डकैत गिरोह सक्रिय रह चुके हैं। इसलिए पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने वर्ष 1981 में सामान्य प्रशासन विभाग के जरिए सभी कलेक्टरों को एक परिपत्र जारी किया था कि डाकुओं की सूचना देने वाले लोगों को सरकारी विभाग में नौकरी दी जाए।
सूचनाओं के आदान-प्रदान में रूचि
पहले की सरकार के इस निर्णय के बाद बड़ी संख्या में लोगों ने सूचनाओं के आदान-प्रदान में रूचि दिखाई। परिणाम यह हुआ कि बीहड़ों में डकैतों का खात्मा हो गया। इसी फैसले को अब डॉ. राज्य सरकार ने निरस्त कर दिया है। सामान्य प्रशासन विभाग का कहना है कि अब प्रदेश में डकैत नहीं है। डकैतों का पूरी तरह खात्मा हो चुका है, इसलिए 43 साल पुराने परिपत्र को निरस्त कर दिया गया है। सरकार ने सभी विभाग प्रमुख को नए सिरे से परिपत्र जारी किया है।