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'पुनर्योजी कृषि' विषय पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन हुआ। यह कार्यक्रम रीजनरेटिव एग्रीकल्चर, खेती योग्य भूमि के स्वास्थ्य में सुधार और रसायन मुक्त कृषि तकनीकों की खोज पर केंद्रित रहा।

भोपाल। विश्व मृदा दिवस (वर्ल्ड सॉइल डे 2024) के उपलक्ष्य में शुक्रवार को 'मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार, कार्बन पृथक्करण को बढ़ाने और अनुकूलित जलवायु के निर्माण के लिए 'पुनर्योजी कृषि' विषय पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन हुआ।

यह क्रॉन्फ्रेंस भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR-IISS) और सॉलिडरीडाड ने संयुक्त रूप से आयोजित की गई। विश्व स्तरीय सम्मेलन भोपाल स्थित आईसीएआर के भव्य सभागार में हुआ, जिसमें देश-दुनिया के प्रतिष्ठित कृषि वैज्ञानिक, मृदा विशेषज्ञ, कृषि सलाहकार, कृषि छात्र और सैकड़ों किसान शामिल हुए। कॉन्फ्रेंस का उद्देश्य पुनर्योजी कृषि (रीजनरेटिव एग्रीकल्चर) को बढ़ावा देना, खेती योग्य भूमि के स्वास्थ्य में सुधार और रसायन मुक्त कृषि तकनीकों की खोज पर केंद्रित रहा।

प्रकृति के साथ सद्भाव से रहें 
ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी, अमेरिका के प्रतिष्ठित प्रोफेसर और विश्व खाद्य पुरस्कार विजेता पद्मश्री डॉ. रतन लाल ने 21वीं सदी की कृषि के सामने आने वाली गंभीर चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने पानी के उपयोग की दक्षता बढ़ाने, मिट्टी के संरक्षण, फसल अवशेषों का पुनर्चक्रण और पशुधन से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करके भारतीय कृषि में क्रांति लाने की महत्वपूर्ण पहल की ओर ध्यान आकर्षित किया।

प्रोफेसर लाल ने संरक्षण कृषि, संतुलित पोषक तत्व अनुप्रयोग, पेड़ों और पशुधन के साथ फसलों को एकीकृत करने जैसे परंपरागत तरीकों से प्राकृतिक संसाधनों के सतत प्रबंधन के महत्व पर जोर दिया। साथ ही उन्होंने घटती कृषि भूमि की चुनौती से निपटने के लिए एक्वापोनिक्स और हाइड्रोपोनिक्स जैसी शहरी खेती के तरीकों की वकालत की। 

प्रोफेसर लाल ने एक संदेश में कहा- 'स्वस्थ मिट्टी स्वस्थ आहार को बढ़ावा देती है, जो बदले में लोगों के लिए बेहतर स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्र सुनिश्चित करती है।'

सॉइल हेल्थ मैनेजमेंट की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए डॉ. रतन लाल ने कहा कि हम सबके लिए जरूरी है कि लॉ ऑफ रिटर्न यानी वापसी के नियम का पालन करें। हम जो मिट्टी से ले रहे हैं, उसे प्रकृति को लौटाना शुरू करें। अगर ऐसा नहीं कर पा रहे हैं तो हम प्रकृति को लूट रहे हैं। इसके अलावा पद्मश्री डॉ एमएच मेहता (माननीय ट्रस्टी) अध्यक्ष- विज्ञान आश्रम/गुजरात लाइफ साइंस और पूर्व कुलपति- गुजरात कृषि विश्वविद्यालय ने भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सभागार में उपस्थित प्रतिभागियों को संबोधित किया।   

पुनर्योजी कृषि पर अल्फाबेट बुक लॉन्च करेगा सॉलिडरीडाड 
सॉलिडरीडाड एशिया के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. शतद्रु चट्टोपाध्याय ने सॉलिडरीडाड द्वारा पुनर्योजी कृषि को बढ़ावा देने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की जानकारी प्रदान की। उन्होंने कार्बन, जलवायु और समुदाय को ध्यान में रखते हुए एक बैलेंस इकोसिस्टम और सस्टेनेबल सप्लाई चेन तैयार करने के लिए सॉलिडरीडाड का वैश्विक दृष्टिकोण सबके सामने रखा। उन्होंने पुनर्योजी कृषि से जुड़ी अल्फाबेट बुक की जरूरत पर जोर दिया और जल्द ही इसे लॉन्च करने का आश्वासन भी दिया। सॉलिडरीडाड के जनरल मैनेजर डॉ. सुरेश मोटवानी ने पुनर्योजी कृषि को बढ़ावा देने और आगे बढ़ाने की दिशा में सॉलिडरीडाड के हस्तक्षेप पर एक विषयगत चर्चा का नेतृत्व किया।

किसान सॉइल हेल्थ कार्ड का उठाएं लाभ
मुख्य अतिथि डॉ. एसके चौधरी, DDG (NRM) भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने केंद्र सरकार द्वारा किसानों के कल्याण के लिए चलाई जा रही योजनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आज भारत सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई प्रकार की योजनाएं संचालित कर रही है।

उन्होंने किसानों को रासायनिक उर्वरक पर निर्भरता कम करने के लिए वर्मी कंपोस्टिंग, अपघटन कैप्सूल, पोटेशियम के लिए ग्लूकोनाइट और फॉस्फोरस के लिए रॉक फॉस्फेट- आईआईएसएस द्वारा विकसित नवाचारों जैसी तकनीकों के उपयोग का सुझाव दिया।

डॉ. एसके चौधरी ने कहा कि किसान सॉइल हेल्थ कार्ड का लाभ उठाएं। अगर मिट्टी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा, तो फसलों की पैदावार भी अच्छी होगी। वहीं, डॉ एस. मंगराज, प्रभारी निदेशक, आईसीएआर-केंद्रीय कृषि इंजीनियरिंग संस्थान (CIAE) ने पुनर्योजी कृषि में कृषि यंत्रीकरण के महत्व पर जोर दिया।

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