MP News: मध्यप्रदेश के सतना जिले की अकौना ग्राम पंचायत में एक दलित महिला सरपंच श्रद्धा सिंह (28) के साथ हुए दुर्व्यवहार का मामला सामने आया है। ग्राम सभा की बैठक में उन्हें बैठने के लिए कुर्सी नहीं दी गई, बल्कि उनसे कहा गया कि वह अपने घर से कुर्सी लेकर आएं या जमीन पर बैठ जाएं। यह घटना रामपुर बघेलान जनपद पंचायत की अकौना ग्राम पंचायत की है, जिसने न केवल सरपंच के मान-सम्मान को ठेस पहुंचाई है, बल्कि समाज में व्याप्त जातिगत भेदभाव की ओर भी इशारा किया है।

ग्राम सभा में कुर्सी के लिए घर से लाने का आदेश
सरपंच श्रद्धा सिंह ने पंचायत मंत्री प्रहलाद पटेल को पत्र लिखा है। पत्र में बताया कि 17 अगस्त को ग्राम सभा की बैठक के दौरान जब उन्होंने कुर्सी मांगी, तो उप सरपंच और सचिव ने उन्हें कुर्सी देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, "अगर कुर्सी चाहिए तो अपने घर से लेकर आओ, नहीं तो जमीन पर बैठ जाओ या खड़े रहो।" यह घटना न केवल सरपंच के प्रति असम्मान का प्रदर्शन है, बल्कि इसमें उनकी जाति के आधार पर भेदभाव की बू भी आती है।

स्वतंत्रता दिवस पर भी हुआ अपमान
श्रद्धा सिंह ने अपने पत्र में यह भी लिखा कि स्वतंत्रता दिवस पर राज्य सरकार के आदेश के अनुसार ध्वजारोहण सरपंच को ही करना था। लेकिन जब वे पंचायत भवन पहुंचीं, तब तक उप सरपंच धर्मेंद्र सिंह बघेल ने ध्वजारोहण कर दिया। सरपंच का कहना है कि यह घटना भी उनके खिलाफ एक साजिश थी और इसे उनके अपमान का एक और उदाहरण बताया।

कांग्रेस ने किया कड़ी कार्रवाई की मांग
इस घटना पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। कांग्रेस ने कहा कि यह घटना दलित समाज के प्रति बीजेपी सरकार की विरोधी मानसिकता को दर्शाती है। कांग्रेस ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, "मध्यप्रदेश के सतना में एक दलित महिला सरपंच को ग्राम सभा में बैठने के लिए कुर्सी नहीं दी गई। कुर्सी मांगने पर कहा गया- कुर्सी घर से लेकर आओ, नहीं तो जमीन पर बैठ जाओ। यह मामला बेहद गंभीर है, और इसमें दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।"

जातिगत भेदभाव और महिला सशक्तिकरण का मुद्दा
मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि कांग्रेस की लड़ाई इसी जातिगत भेदभाव और अन्याय के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की जातिगत जनगणना की मांग का उद्देश्य भी यही है कि समाज में समानता और न्याय का भाव हो।

इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि हमारे समाज में आज भी जातिगत भेदभाव और सामाजिक असमानता गहरी जड़ें जमाए हुए हैं। यह समय है कि ऐसे मामलों को गंभीरता से लिया जाए और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में किसी भी व्यक्ति को उसकी जाति या लिंग के आधार पर अपमानित न किया जाए।