भोपाल। मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय द्वारा प्रदेश के जनजातीय चित्रकारों को चित्र प्रदर्शनी और चित्रों की बिक्री के लिये सार्थक मंच उपलब्ध कराने की दृष्टि से प्रतिमाह एक जनजातीय चित्रकार की प्रदर्शनी सह विक्रय का संयोजन शलाका नाम से किया जाता है। इसी क्रम में शनिवार से गोंड समुदाय के चित्रकार संतू टेकाम के चित्रों की प्रदर्शनी सह-विक्रय का संयोजन 46वीं शलाका चित्र प्रदर्शनी 29 फरवरी तक निरंतर रहेगी। जिसमें संतू ने प्रकृति के मनोरम दृश्यों को रंगों की कूची से कैनवास पर उकेरा।
जंगल-पहाड़ों से घिरे ग्रामीण वातावरण में गुजरा बचपन
गोण्ड चित्रकार संतू टेकाम का जन्म मध्यप्रदेश के जनजातीय बहुल क्षेत्र डिण्डौरी जिले के पाटनगढ़ ग्राम में वर्ष 1989 में हुआ। बचपन जंगल-पहाड़ों से घिरे ग्रामीण वातावरण में गुजरा। खेती-किसानी वाले परिवार में पले-बढ़े और 12वीं तक औपचारिक शिक्षा हासिल करने के बाद आपने अपने बड़े भाई रमेश तेकाम और भाभी राधा तेकाम, जो कि गोण्ड चित्रकला के सुपरिचित कलाकार हैं, के सान्निध्य में रहकर अपनी पारंपरिक गोण्ड चित्र-शैली की बारीकियों को सीखा-समझा और समय के साथ धीरे-धीरे अपने अनुभवों के आधार पर अपनी स्वतंत्र शैली विकसित करने की कोशिश की।
बेहद मनभावन रंगों से की प्रकृति की कल्पना
संतू टेकाम के चित्रों में बेहद मनभावन रंगों से प्रकृति की कल्पना को कूची से उकेरा, आपके चित्रों में प्रकृति और पर्यावरण सहित पशु-पक्षियों का चित्रण भी प्रमुखता से देखने को मिली। आपने राजधानी दिल्ली, भोपाल, जयपुर, चैन्नई, देहरादून, उदयपुर सहित कई जगहों में एकल एवं संयुक्त चित्रकला प्रदर्शनियों में भाग लिया है।