Shivraj Singh Chouhan: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को बड़ी जिम्मेदारी मिली है। प्रधानमंत्री मोदी ने शिवराज सिंह उन्हें निगरानी समिति का अध्यक्ष बनाया है। शिवराज सिंह की अध्यक्षता वाला मंत्रियों का समूह सरकार की योजनाओं, बजट और परियोजनाओं के क्रियान्वयन की समीक्षा करेगा। इस मॉनिटरिंग ग्रुप की पहली बैठक 18 अक्टूबर को प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO)में हुई। इसमें केंद सरकार के सभी सचिव भी शामिल हुए।
हर माह होगी योजनाओं की समीक्षा
शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में गठित निगरानी समूह हर माह PMO में बैठक करेगा। इस बैठक का उद्देश्य (government schemes monitoring) उन केंद्र सरकार की सभी योजनाओं की समीक्षा करना है। मॉनिटरिंग ग्रुप बजट में घोषित योजनाएं, बुनियादी ढांचे के प्रोजेक्ट्स सहित अन्य महत्वपूर्ण कानूनों की निगरानी करेगा।
सचिव स्तर के अधिकारी बनाए गए नोडल
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) द्वारा गठित इस समूह में वरिष्ठ अफसरों जैसे अतिरिक्त सचिव और संयुक्त सचिव भी शामिल किए गए हैं। यह IAS अधिकारी विभिन्न योजनाओं के नोडल अधिकारी होंगे। शिवराज सिंह चौहान के साथ योजनाओं की प्रगति पर चर्चा करेंगे। सरकार का उद्देश्य योजनाओं को तेजी से लागू करना है। ताकि, समय रहते लोगों को फायदा मिले।
योजनाओं क्रियान्वयन में तेजी लाने की कवायद
प्रधानमंत्री मोदी ने चौहान को 2014 से लेकर अब तक की सभी घोषित योजनाओं की प्रगति की समीक्षा करने का अधिकार दिया है। ताकि, योजनाओं को जल्दी और बेहतर तरीके से लागू किया जा सके। शिवराज सिंह चौहान कुशल प्रशासक माने जाते हैं, उन्हें इस जिम्मेदारी के लिए चुना गया है।
PM मोदी की चिंता दूर करने की पहल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने व्यस्त शेड्यूल के चलते कई योजनाओं की समीक्षा नहीं कर पाते। इसलिए उन्होंने मनीटरिंग समिति गठन किया है। ताकि, योजनाओं के क्रियान्वयन में देरी न होने पाए। निगरानी समूह की प्रमुख जिम्मेदारी है कि वह पीएम द्वारा घोषित योजनाओं और उनके कार्यान्वयन की समीक्षा करे। ऐसी परियोजनाओं को प्राथमिकता दी जाएगी, जिनकी नींव पीएम ने रखी है।
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इसलिए पॉवरफुल हुए शिवराज
शिवराज सिंह चौहान को संगठन और सरकार चलाने का लंबा अनुभव है। मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री रहते और फिर केंद्रीय मंत्री के तौर पर सुशासन के नए आयम स्थापित किए हैं। बतौर कृषि मंत्री शिवराज ने हर माह किसान संगठनों से संवाद शुरू कर उनकी नाराजगी दूर की। उनकी इस पहल से हरियाणा चुनाव में भी फायदा हुआ है। शिवराज के पास अभी झारखंड विधानसभा चुनाव की बड़ी जिम्मेदारी है। इस बीच मानिटरिंग समिति का अध्यक्ष बनाया जाना, उनके बढ़ते सियासी कद का असर माना जा रहा है।