MP News : बुंदेलखंड की एक नदी खूडर छतरपुर जिले के राजनगर के 55 गांवों से होकर गुजरती है। यह सतना और कुटिया गांव से उद्गमित होती है और 44.14 किमी का सफर तय करती धौगुवां गांव स्थित केन नदी में मिल जाती है। नदी ढलान पर होने से इसका ज्यादातर पानी बहकर निकल जाता था।

नदी के सूखने से खेती नहीं होती थी 
नदी के सूखने से आस-पास के 200 से 250 हेक्टेयर में खेती नहीं होती थी। गांव के कुएं सुख जाते थे, जिससे जल संकट बना रहता था। परमार्थ समाज सेवी संस्थान ने लोगों और विशेषज्ञों के साथ मिलकर नदी की स्थिति सुधारने का जिम्मा उठाया और इसका संरक्षण, संवर्धन और विकास सुनिश्चित किया।

लोगों की आजीविका में सुधार आने लगा
इसे प्रदूषण मुक्त कर ग्रामीणों के लिए पेयजल और सिंचाई की सुविधा मुहैया करवाई। इससे वातावरणीय परिवर्तन के साथ-साथ लोगों की आजीविका में सुधार आने लगा। पलायन थम गया। संस्था के सचिव संजय सिंह ने बताया कि खूडर नदी के जीर्णोद्धार के लिए ग्राम पंचायतों के साथ कई बैठकें की। ग्राम पंचायत के साथ मिलकर कार्य योजना बनाई गई और इससे सफलता मिली।

3 फीट चौड़े एवं 8 फीट ऊंचे 12 स्टॉप गेट बनवाए
नदी के पानी को रोकने के लिए संस्था ने 2021-22 में 3 फीट चौड़ाई एवं 8 फीट ऊंचाई के 12 स्टाॅप गेट बनवाये। गांव के लिए जल बचाने वाले योद्धाओं ने श्रमदान किया। कुछ दिनों बाद ही संस्था ने बोट के ऊपर एक-एक फीट के गेट और लगवा दिर साए जिससे अब वर्ष पर्यंत पाली का ठहराव होने लगा। अब ग्राम पंचायत की ओर से नदी में घाट का निर्माण भी करवाया गया है। इस तरह परमार्थ संस्था ने तकनीकी का प्रयोग करते हुए नदी को पुनर्जीवित किया।

रबी, खरीफ एवं जायद फसलें लेने लगे किसान 
नदी में पानी होने के कारण अब तक किसान तीन फसलें (रबी, ,खरीफ एवं जायद, लेने लगे हैं। गांव के किसान दीपक सिंह बताते हैं कि गांव में नदी के किनारे अब कई लोग जायद की बुवाई कर लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं। खेती में 400 एकड़ तल का रकबा बढ़ गया है। 4-4 पाली मिलने से खेती में दोगुना फायदा हुआ है। फसल उर्वरता में भी वृद्धि हुई है।