Sri Sri Radha Madanmohanji Temple Inauguration: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार (16 जनवरी) को नवी मुंबई के खारघर में इस्कॉन द्वारा स्थापित श्री श्री राधा मोहन मंदिर का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने मंदिर की वास्तुकला की प्रशंसा करते हुए इसे आस्था और विज्ञान का अनूठा संगम बताया। पीएम मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत 'हरे कृष्णा... हरे कृष्णा' के पवित्र मंत्र से की और इस्कॉन के प्रयासों को ज्ञान और भक्ति की पवित्र भूमि पर एक महत्वपूर्ण योगदान करार दिया।
नवी मुंबई का इस्कॉन मंदिर युवा पीढ़ी को प्रेरित करेगा
मंदिर परिसर में महाभारत और रामायण पर आधारित एक आधुनिक संग्रहालय बनाया गया है, जो खासतौर पर युवा पीढ़ी को प्रेरित करेगा। इसके अलावा, वृंदावन के 12 पवित्र वनों से प्रेरित एक सुंदर उद्यान भी विकसित किया गया है।
भारत एक जीवंत और सांस्कृतिक परंपरा है: PM मोदी
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत केवल भौगोलिक सीमाओं से बंधा एक भूखंड नहीं है, यह एक जीवंत और सांस्कृतिक परंपरा है। हमारी संस्कृति की चेतना इसकी आध्यात्मिकता में निहित है। भारत को समझने के लिए इसकी आध्यात्मिक आत्मा को अपनाना जरूरी है।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत की विविध भाषाओं और परंपराओं में एकता का भाव इसकी सांस्कृतिक चेतना में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
Speaking at the inauguration of Sri Sri Radha Madanmohanji Temple in Navi Mumbai. https://t.co/ysYXd8PLxz
— Narendra Modi (@narendramodi) January 15, 2025
सेवा का असली अर्थ
पीएम मोदी ने सेवा को भारतीय आध्यात्मिकता का मूल बताया। उन्होंने कहा कि हमारी आध्यात्मिक संस्कृति नि:स्वार्थ सेवा के सिद्धांत पर आधारित है। भगवान कृष्ण ने सेवा का असली अर्थ समझाया है- यह नि:स्वार्थ और व्यक्तिगत लाभ से परे होनी चाहिए।
पीएम मोदी ने इस्कॉन द्वारा कुम्भ मेले जैसे बड़े आयोजनों में किए गए सेवा कार्यों की सराहना की और इसे भारत के सामूहिक आध्यात्मिक मूल्यों का प्रतीक बताया।
PM Modi inaugurates the Sri Sri Radha Madanmohanji Temple of ISKCON in Navi Mumbai pic.twitter.com/yyyfxdRtCF
— BJP (@BJP4India) January 15, 2025
इस्कॉन ने दुनिभर में सांस्कृतिक जागरूकता को बढ़ावा दिया
इस्कॉन ने अपने शिक्षाओं और कार्यों के माध्यम से विश्व स्तर पर भक्ति और सांस्कृतिक जागरूकता को बढ़ावा दिया है। पीएम मोदी ने इस्कॉन के संस्थापक श्रील प्रभुपाद की शिक्षाओं का उल्लेख करते हुए इसे वैश्विक एकता का अनूठा माध्यम बताया।
उन्होंने कहा कि इस्कॉन के लाखों भक्त कृष्ण भक्ति के एक विशेष आध्यात्मिक सूत्र से जुड़े हुए हैं। यह संस्था न केवल भक्ति को बढ़ावा देती है, बल्कि हमारे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्यों को भी संजोती है।