Sharad Pawar plans to fight back: महाराष्ट्र का मौसम भले ही खुशगवार हो, लेकिन सियासत में गर्माहट आ गई है। शिवसेना के बाद अब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) का हाल भी ठीक वैसा ही हो गया है। चुनाव आयोग ने मंगलवार को अजित पवार गुट को असली एनसीपी माना। इस तरह दशकों से अपनी दूरदर्शिता के चलते भारतीय राजनीति पर छाए शरद पवार से पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह घड़ी छिन गई। बारामती के ताकतवर नेता शरद पवार को लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा झटका लगा है।

शरद पवार ने 1999 में पीए संगमा और तारिक अनवार के साथ मिलकर एनसीपी का गठन किया था। फिलहाल, 84 साल के शरद पवार पूरे दमखम के साथ अजित पवार पर पलटवार करने की तैयार कर रहे हैं। इस मामले में उनके घर बैठक भी हुई।  

आइए जानते हैं शरद पवार की अगली प्लानिंग क्या है? क्या वे अपने गुट की पार्टी का नया नाम और चुनाव निशान रखेंगे? सुप्रीम कोर्ट में कैसे लड़ेंगे?

सबसे पहले आयोग को देना होगा नया नाम और निशान
शरद पवार के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपनी पार्टी के लिए एक नाम और निशान ढूंढना है। चुनाव आयोग ने शरद पवार गुट को अपने राजनीतिक दल के लिए एक नाम और निशान का दावा करने के लिए बुधवार, 7 फरवरी शाम 4 बजे तक का समय दिया है। पवार की बेटी और बारामती से सांसद सुप्रिया सुले ने मंगलवार को कहा था कि वे आज नाम और चुनाव निशान सौंप देंगी। 

शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार के बीच सियासी जंग जारी है।

क्या पहले से ही ऐसे फैसले का अनुमान था?
चर्चा है कि शरद पवार गुट को ऐसे ही फैसले का अनुमान था। इसलिए उन्होंने पार्टी के लिए कुछ नामों पर पहले ही चर्चा कर ली थी। पार्टी के नए नाम में राष्ट्रवादी शब्द रहेगा। जैसे शरद पवार कांग्रेस, मैं राष्ट्रवादी या शरद पवार स्वाभिमानी पक्ष हो सकता है। वहीं, चश्मा, उगता सूरज और सूरजमुखी कुछ ऐसे प्रतीक हैं, जिन पर विचार किया जा रहा है।

शरद पवार के सहयोगी और पूर्व मंत्री जितेंद्र अवहाद ने कहा कि अनुभवी नेता फीनिक्स की तरह उभरेंगे। भविष्य की रणनीति के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि शरद पवार हमारी पार्टी हैं। वह हमारे प्रतीक हैं और इस राज्य के लोग उन्हें जानते हैं। राज्य में कई लोग हैं जो अभी भी मजबूती से पवार के पीछे हैं।

चुनाव चिन्ह और नाम मिलने के बाद क्या होगा?
चुनाव आयोग की तरफ से पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह तय होने के बाद इसे जनता में प्रचारित करना बड़ी चुनौती होगी। कई मतदाता, विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में अभी भी घड़ी को शरद पवार की पार्टी मानते हैं। जब तक उनका खेमा राज्य भर के मतदाताओं तक पहुंचने और नई पार्टी के नाम और प्रतीक के बारें में जागरुकता नहीं फैलाता है भ्रम की स्थिति बनी रहेगी। वरना अजीत पवार गुट को चुनाव में अनुचित लाभ मिल सकता है।

सुप्रीम कोर्ट की लड़ाई
चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ शरद पवार खेमे ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। मंगलवार के फैसले के तुरंत बाद सुप्रिया सुले ने कहा कि शिवसेना के उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट को भी इसी स्थिति का सामना करना पड़ा। मुझे लगता है कि जो शिव सेना के साथ हुआ वही आज हमारे साथ हो रहा है। इसलिए ये कोई नया आदेश नहीं है। बस नाम बदल दिए गए हैं, कंटेंट वही है। हम लड़ेंगे। हम निश्चित तौर पर सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। 

उन्होंने राजनीतिक साजिश का आरोप लगाते हुए कहा कि हमारे दस्तावेज ठीक थे। इस पार्टी के संस्थापक सदस्य और संस्थापक नेता केवल शरद पवार हैं। लेकिन अब माहौल कुछ और है। देश में एक अदृश्य शक्ति है जो यह सब कर रही है।

अजित पवार ने दाखिल की कैविएट
फिलहाल अजित पवार गुट ने शरद पवार के सुप्रीम कोर्ट जाने से पहले कैविएट दाखिल कर दी है। उनकी तरफ से मांग की गई है कि विपक्ष की तरफ से मामले में दायर किसी भी याचिका पर उन्हें भी सुना जाए। माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट की लड़ाई लंबी चलेगी और शरद पवार खेमे को चुनाव से पहले कोई बड़ी राहत मिलने की संभावना नहीं है।

गठबंधन में क्या बदलाव?
शरद पवार भारतीय विपक्षी गुट के प्रमुख नेताओं में से एक हैं। ऐसे में गठबंधन में कोई बदलाव होने की गुंजाइश नहीं है। क्योंकि पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न खो देने वाले उद्धव ठाकरे अब भी इंडिया ब्लॉक में बने हुए हैं। हालांकि, पवार सौदेबाजी की स्थिति में अब नहीं हैं।