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Tanot Mata Mandir: भारत-पाकिस्तान युध्द के दौरान तनोट माता मंदिर पर 3 हजार से ज्यादा बम गिराए गए, लेकिन माता की कृपा से उसका कोई असर नहीं हुआ।

Tanot Mata Mandir: आज शुक्रवार, 4 अक्टूबर को नवरात्र का दूसरा दिन है। राजस्थान के प्रसिध्द शक्तिपीठों और देवी मंदिरों में सुबह से ही भक्तों की लंबी कतार लगी हुई है। अगर आप भी घर बैठे तीर्थस्थलों का दर्शन करना चाहते हैं तो, हरिभूमि.कॉम प्रत्येक दिन आपको प्रसिध्द मंदिर का दर्शन कराएगा। आज आपको एक ऐसी मंदिर के बारे में बताएंगे, जो राजस्थान ही नहीं पूरे देश का काफी प्रसिध्द और प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। इस मंदिर का नाम तनोट माता मंदिर। पाकिस्तान ने इस मंदिर पर हजारों बम गिराए लेकिन इस पर कोई असर नहीं हुआ। जानें इस अद्भुत मंदिर से जुड़ी कहानियां।

तनोट माता मंदिर
राजस्थान के जैसलमेर का एक गांव है, जिसका नाम है तनोट। यह भारत-पाक सीमा के पास है। यहां भाटी राजपूत राव तनुजी द्वारा बसाए गए गांव तनोट में ताना माता का मंदिर है। जो राजस्थान ही नहीं बल्कि पूरे देश के श्रद्धालुओं की श्रद्धा का केंद्र है। इस मंदिर की स्थापना आठवीं शताब्दी की शुरुआत में हुई थी।

Tanot Mata mandir
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मान्यता
चरण साहित्य के अनुसार तनोट माता, दिव्य देवी हिंगलाज माता का अवतार हैं, जिसे करणी माता के अवतार के रूप में देखा जाता है। इस मंदिर में कई ऐसी चमत्कारी चीजें हुईं जिसे सुनकर हर कोई हैरान हो जाता है। भारत-पाकिस्तान के बीच 1965 में युद्ध हुआ। इस दौरान पाकिस्तानी सेना साडेवाला चौकी के पास किशनगढ़ सहित बड़े क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया। इसके बाद 17 नवंबर 1965 को तनोट माता मंदिर के पास चौकी पर भी गोलाबारी शुरू कर दिया। लेकिन मंदिर को कोई नुकसान नहीं हुआ।

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बीएसएफ के हाथ में है सुरक्षा
कहा जाता है कि 19 नवंबर तक पाकिस्तानी की सेना ने 3000 से ज्यादा बम मंदिर में गिराए, लेकिन तनोट माता मंदिर को एक भी खरोंच नहीं आई। जब भारत ने इस लड़ाई में पाकिस्तान को हरा दिया। इसके बाद बीएसएफ ने मंदिर परिसर के अंदर चौकी की स्थापना की। तब से तनोट माता मंदिर की पूरी जिम्मेदारी भी बीएसएफ के ऊपर रहती है। आज भी मंदिर की सुरक्षा बीएसएफ के हाथ में है।

Tanot Mata mandir
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नवरात्र विशेष
वैसे तो यह मंदिर हमेशा दर्शन के लिए खुला रहता है और काफी श्रध्दालु भी आते हैं। लेकिन नवरात्र के दिनों में यहां विशेष आयोजन होता है। जिसमें लाखों की तादात में लोग पहुंचते हैं। इसके साथ ही यहां की सुरक्षा भी बढ़ा दी जाती है। 

मंदिर तक कैसे पहुंचे?
मंदिर जैसलमेर जिला मुख्यालय से करीब 153 किलोमीटर दूर है। यहां से आपको मंदिर तक ले जाने के लिए काफी संख्या में टैक्सियां चलती हैं, जो शहर से दो घंटे में पहुंचा देती हैं। यहां पर आपको मंदिर के साथ-साथ म्यूजियम भी घूमने के लिए मिलता है। जिसमें भारत-पाकिस्तान युध्द के दौरान के हथियार और गोला-बारूद देखने को मिल जाएंगे।

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