Ayodhya Ram lala Idol: अयोध्या में राम मंदिर के गर्भगृह की शोभा बढ़ाने के लिए स्थापित राम लला की मूर्ति  "श्यामल" रंग की होगी। यह मूर्ति खड़ी मुद्रा में है। मूर्ति पर पानी, दूध और चढ़ावे के लिए इस्तेमाल होने वाली अन्य चीजों का असर नहीं होगा। इसके साथ ही मूर्ति पर अर्पित चढ़ावों से भी किसी प्रकार का नुकसान नहीं होगा यह मूर्ति 51 इंच ऊंची है। इस चयनित मूर्ति की ही गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने पहली बार मूर्ति को लेकर यह खुलासा किया।

जानिए मूर्ति का स्वरूप कैसा होगा
गर्भगृह में स्थापित की जाने वाली राम लला की मूर्ति के नीचे एक कमल होगा। भगवान राम के बाएं हाथ में धनुष और दाएं हाथ में तीर सुशोभित होगा। इसके साथ ही उनकी पीठ पर तरकश होगा। मूर्ति की पैर की उंगलियों से लेकर भौहों तक की लंबाई 51 इंच होगी। भगवान की यह मूर्ति मुकुट (मुकुट), कुंडल (झुमके), हार, भुजवस्त्रम, अंग्युलिका (उंगली की अंगूठी), और नूपुर (पायल) जैसे आभूषणों से सजी होगी। 

श्याम शिला से तैयार की गई हैं मूर्तियां
मूर्ति के चयन के लिए ट्रस्ट के 11 सदस्यों ने 29 दिसंबर को बैठक की थी। तीन मूर्तियों का चयन राम मंदिर के लिए किया गया है। इनमें दो मूर्तियां कर्नाटक के दो अलग-अलग मूर्तिकारों ने अरुण योगीराज और गणेश भट्ट ने तराशी है। इन दोनों मूर्तियों को कर्नाटक के श्याम शिला से तैयार किया गया है। एक मूर्ति का रंग भूरा और नीला है और दूसरे का रंग श्यामल है। वहीं, तीसरी मूर्ति मूर्तिकार सत्यनारायण पांडे ने मकराना के सफेद संगमरमर से तैयार की है। कर्नाटक के अरुण योगीराज की बनाई मूर्ति गर्भ गृह में स्थापित करने पर सहमति बनी है। 

मंदिर बनाने में नहीं हुआ है लोहे का इस्तेमाल
चंपत राय ने कहा कि मंदिर को इस तरीके से तैयार किया गया है कि इसकी उम्र  साल से ज्यादा होगी। इसमें लोह का इस्तेमाल नहीं किया गया है। उत्तर भारत में बीते 300 साल में ऐसा मंदिर नहीं बनाया गया है। मंदिर के पत्थरों पर सूर्य की रोशनी हवा और पानी का असर नहीं होगा। इसके लिए ऊपरी पत्थर के नीचे ग्रेनाइट की लेयर बिछाई गई है जिससे यह नमी को सोख ले। जैसे-जैसे मंदिर की उम्र बढ़ेगी जमीन के अंदर एक मजबूत पत्थर तैयार हो जाएगा। इसकी नींव में कंक्रीट का इस्तेमाल नहीं किया गया है। इसके निर्माण में लोहे का इस्तेमाल नहीं किया गया है।