Ayodhya Ram Mandir: उत्तर प्रदेश के अयोध्या राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास सेवामुक्त होंगे। मार्च 1992 में 100 रुपए के मानदेय पर उन्होंने मुख्य अर्चक की जिम्मेदारी संभाली थी। 34 साल बाद उनके स्वास्थ्य को देखते हुए ट्रस्ट ने सेवामुक्त होने का आग्रह किया है। साथ ही कहा, सेवामुक्त के बाद भी उन्हें आजीवन वेतन दिया जाएगा। कोई रोक टोक नहीं रहेगी। वह जब चाहेंगे मंदिर आकर पहले की तरह पूजा अर्चना कर सकेंगे। 

रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की 25 नवंबर को हुई बैठक में आचार्य सत्येंद्र दास से कार्यमुक्ति के निवेदन का निर्णय लिया गया। तर्क दिया गया कि सत्येंद्र दास 87 साल के हो गए हैं। उनका स्वास्थ्य भी अनुकूल नहीं रहता। इसलिए उनसे सेवामुक्ति का निवेदन किया जाना उचित होगा। उन्हें आजीवन वेतन दिए जाने पर ट्रस्ट के सभी पदाधिकारी भी सहमति हैं। 

रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद इतना वेतन 
आचार्य सत्येंद्र दास ने 1 मार्च 1992 को जब राममंदिर में मुख्य अर्चक की जिम्मेदारी संभाली तो उन्हें में मानदेय के तौर पर महज 100 रुपए मिलते थे। 2018 तक उन्हें 12 हजार रुपए मासिक मानदेय मिलता रहा, लेकिन 2023 में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद आचार्य सत्येंद्र दास का वेतन बढ़ाकर 38500 रुपए कर दिया गया है। 

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बाबरी विध्वंस व राममंदिर निर्माण तक के साक्षी
अयोध्या राम मंदिर में आचार्य सत्येंद्र दास के साथ कुल 14 पुजारी हैं। चार उनके सहायक पुजारी लंबे समय से सेवारात हैं। जबकि, 9 पुजारियों की नियुक्ति गत वर्षों में की गई है। आचार्य सत्येंद्र दास बाबरी विध्वंस से लेकर राममंदिर निर्माण तक के साक्षी हैं। उन्होंने 28 साल तक रामलला की टेंट और चार साल अस्थायी मंदिर में रामलला उपासना की है। अब दिव्य राम मंदिर में रामलला की मुख्य पुजारी के रूप में सेवा दे रहे हैं।