Government Employees RSS Joining: केंद्र सरकार ने सोमवार को सरकारी कर्मचारियों के RSS (संघ) के कार्यक्रमों में शामिल होने परप लगा बैन हटा दिया। विपक्षी पार्टियां इस पर हमलावर हैं। बसपा प्रमुख मायावती ने कहा, RSS एक राजनीतिक पार्टी है। संघ और भाजपा के बीच चल रही तल्खी दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने यह निर्णय लिया है।
1. सरकारी कर्मचारियों को आरएसएस की शाखाओं में जाने पर 58 वर्ष से जारी प्रतिबंध को हटाने का केन्द्र का निर्णय देशहित से परे, राजनीति से प्रेरित संघ तुष्टीकरण का निर्णय, ताकि सरकारी नीतियों व इनके अहंकारी रवैयों आदि को लेकर लोकसभा चुनाव के बाद दोनों के बीच तीव्र हुई तल्खी दूर हो।
— Mayawati (@Mayawati) July 22, 2024
बसपा प्रमुख ने सोमवार को 2 ट्वीट किए। लिखा, RSS की शाखाओं में सरकारी कर्मचारियों को जाने पर 58 साल से जारी प्रतिबंध हटाना केंद्र का निर्णय देशहित में नहीं है। सरकार का यह फैसला राजनीति और तुष्टीकरण से प्रेरित लगता है। सरकारी नीतियों और अहंकारी रवैए के चलते RSS और भाजपा के बीच तल्खी व्याप्त है। जिसे दूर करने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है।
1966 में केंद्र सरकार ने लगाया था बैन
- दरअसल, सरकारी कर्मचारियों के RSS से जुड़ने पर रोक का पहला आदेश 1966 में केंद्र की तत्कालीन सरकार ने जारी किया था। तर्क दिया गया कि RSS राजनीतिक से प्रभावित संगठन है। संघ की वजह से कर्मचारियों की तटस्थता प्रभावित होगी। धर्मनिरपेक्ष समाज के लिए यह उचित नहीं है। केंद्र सरकार ने सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1964 का हवाला देते हुए यह बैन लगाया था।
- 1977 में जनता पार्टी की सरकार ने इस कानून को निरस्त कर दिया, लेकिन 1980 में इंदिरा गांधी सत्ता में लौटीं तो इसे दोबारा लागू कर दिया। तब से कर्मचारियों के सर्विस रूल पर प्रभावी है।