Maha Kumbh 2025: उत्तर प्रदेश की प्रयागराज में महाकुंभ मेले की तैयारियां युद्धस्तर पर चल रही हैं। संगमनगरी प्रयागराज में इस धार्मिक आयोजन के लिए शिविर लगाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। 13 अखाड़ों की ओर से यहां भूमि पूजन, धर्म ध्वजा प्रतिष्ठा और छावनी प्रवेश जैसी कई महत्वपूर्ण गतिविधियां संपन्न कराई जा रही हैं।
धर्मध्वज का महत्व
पंचायती निरंजनी अखाड़े ने सोमवार को कुंभ मेला क्षेत्र में अपनी धर्म ध्वजा स्थापित की। इस दौरान अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने मीडिया से बात की। उन्होंने धर्मध्वजा का महत्व बताते हुए कहा, ध्वजारोहण निरंजनी अखाड़े की भूमि पर किया गया है। सभी संत-महात्माओं ने विधि पूर्वक इसकी स्थापना की है।
संन्यास परंपरा में 52 मणियां
नागा संतों द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में महंत रवींद्र पुरी ने कहा, हमारी संन्यास परंपरा में 10 नाम और 52 मणियां होती हैं। इन मणियों को हमारे ध्वज में 52 बंदों के रूप में लगाया जाता है। हर बंद का विशिष्ट प्रतीक होता है, जो हमारी धार्मिक परंपरा का हिस्सा है।
4 जनवरी को छावनी प्रवेश
प्रयागराज में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने बताया कि 4 जनवरी को पंचायती निरंजनी अखाड़े के संत महात्माओं की पूरी जमात मेला क्षेत्र में छावनी प्रवेश करेगी। इस दौरान देश-विदेश से आए सभी संतों के साथ भव्य आयोजन होगा। यह सब निरंजनी अखाड़े की छावनी में वास करेंगे।
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महाकुंभ-2025 का महत्व
संगम नगरी प्रयागराज में हर 12वें साल होने वाला महाकुंभ मेला इस बार 13 जनवरी से शुरू होगा। इसमें लाखों साधु-संत और श्रद्धालु शामिल होकर पुण्यलाभ लेंगे। मान्यता है कि कुंभ के दौरान पवित्र नदियों में स्नान करने से सभी पाप मिटते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।