लखनऊ। उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद से बड़ी खबर है। बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के दरबार में भगदड़ मच गई। दरबार में शामिल होने के लिए भारी भीड़ उमड़ी। रेलिंग तोड़कर भीड़ अंदर घुस गई। पुलिस और बाउंसरों की पब्लिक से धक्का-मुक्की हो गई। पंडित धीरेंद्र शास्त्री मुरादाबाद में श्रीहनुमंत कथा सुना रहे हैं। शास्त्री का कार्यक्रम सोमवार को शुरू हुआ और बुधवार तक चलेगा।

पुलिस ने तुरंत स्थिति को काबू में किया 
भगदड़ की सूचना मिलते ही पुलिस के अधिकारी मौके पर पहुंचे और तुरंत स्थिति को काबू में कर लिया। भगदड़ में कोई भी घायल या फिर चोटिल नहीं हुआ है। पुलिस बल अलर्ट है। 700 से ज्यादा पुलिसकर्मी तैयान कर दिए गए हैं। इधर एक दिव्यांग को पीठ पर उठाकर पंडित धीरेंद्र शास्त्री के दरबार में ले जाया गया। 

मुरादाबाद भी भगवा रंग में रंग जाएगा  
बागेश्वर बाबा के दरबार का आयोजन नया मुरादाबाद में चल रहा है। यहां भारी तादाद में भीड़ उमड़ रही है। धीरेंद्र शास्त्री ने कथा के दौरान कहा कि अब हम मुरादाबाद आ गए हैं। बहुत जल्द मुरादाबाद भी भगवा रंग में रंग जाएगा। शास्त्री ने कहा कि संभल में एक मंदिर है जो सालों से बंद है, लेकिन बंद मंदिर से भी भगवान की आवाज आती है।

मुरादाबाद का नाम बदलकर माधव नगर करने का सुझाव 
बता दें कि सोमवार को कथा सुनात हुए पं धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने मुरादाबाद का नाम बदलकर माधव नगर करने का सुझाव दिया था। पं धीरेंद्र शास्त्री ने कहा, मुरादाबाद में कैंची धाम की तर्ज पर बाबा नीब करौरी का धाम भी है। इसलिए इसे मुरादाबाद कहना उचित नहीं है। इसे माधव नगर कर देना चाहिए। लोहिया एस्टेट चल रही हनुमंत कथा के दौरान पं धीरेंद्र शास्त्री ने कहा, किसी को बुरा लगे तो आई एम वैरी-वैरी नॉट सॉरी। 

काशी और अयोध्या की तरह हो हरिहर मंदिर में पूजा

  • लोहिया एस्टेट में हनुमंत कथा के दौरान पं धीरेंद्र शास्त्री ने कहा, जहां सिद्धबली हनुमान मंदिर, हरिहर मंदिर, गढ़ गंगा और शीतला माता का मंदिर हो, उसे मुरादाबाद कहना मंदिरों की अवहेलना है। कहा, जब फैजाबाद अयोध्या और इलाहाबाद प्रयागराज हो गया तो मुरादाबाद को माधव नगर कर देने में कौन सी बड़ी बात है।
  • धीरेंद्र शास्त्री ने कहा यह सिद्धबली हनुमान का धाम है। आज का नजारा देख लगता है कि पिछले साल ही हमें आ जाना चाहिए था। क्योंकि यहां धर्म विरोधी भी यहां बहुत हैं। अब उनकी ठठरी हम नहीं बांधेंगे तो कौन बांधेगा। अयोध्या और काशी की तरह यहां हरिहर मंदिर में भी पूजा होनी चाहिए।