रामचरित मानस की चौपाइयों पर बयान देकर चर्चा में आए स्वामी प्रसाद मौर्य कुछ दिन से असहज महससू कर रहे थे। हाल ही में समाजवादी पार्टी का महासचिव पद छोड़ा था।
Swami Prasad Maurya forms new party
- Published: 19 Feb 2024, 12:15 PM IST
- Last Updated: 19 Feb 2024, 03:42 PM IST
Swami Prasad Maurya forms new party: लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी समाजवादी पार्टी को एक के बाद एक नए झटके लग रहे हैं। हाल ही में सहासचिव पद छोड़ने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य ने नई पार्टी के गठन का ऐलान कर दिया। 22 फ़रवरी को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में विशाल रैली के साथ आधिकारिक घोषणा करेंगे। हालांकि, उनके पार्टी का नाम (राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी) और झंडा सामने आ गया है। झंडे में लाल, नीला और हरा कलर हैं।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने सपा अध्यक्ष अखिलेश के साथ महासचिव रामगोपाल यादव पर भी निशाना साधा। कहा, उनकी भाषा में न सम्मान है न बातचीत का सलीका। प्रो रामगोपाल यादव समाजवादी पार्टी के हितेषी हैं या दुश्मन हैं। बताया कि अखिलेश यादव गलतफहमी में हैं। मैंने हमेशा पद छोड़ा है। वैचारिकता को प्राथमिकता दी है। बसपा में नेता प्रतिपक्ष रहते पार्टी छोड़ी थी। सत्ता में रहते भाजपा छोड़ी।
अखिलेश यादव को लिखे इस्तीफे में स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि जबसे सपा ज्वाइन की है, तब से ही पार्टी का जनाधार बढ़ाने की कोशिश की। आदिवासियों, दलितों व पिछड़ों के स्वाभिमान को जगाकर संगठित करने की कोशिश की। 2022 के विधानसभा चुनाव में ऐन वक्त पर बड़ी संख्या में प्रत्याशी और उनके सिम्बल बदले गए। इसके बावजूद पार्टी का जनाधार बढ़ाने में हम सफल रहे। 45 से बढ़कर 110 विधायक हो गए। डॉ. भीमराव आंबेडकर और डॉ. राममनोहर लोहिया सहित सामाजिक न्याय की आवाज बुलंद करने वाले महापुरुषों ने 85 बनाम 15 का नारा दिया, लेकिन सपा लगातार निष्प्रभावी कर रही है।
स्वामी प्रसाद मौर्य राजनीतिक कॅरियर
- 1980 में इलाहाबाद में युवा लोकदल के संयोजक के रूप में राजनीति राजनीतिक करियर की शुरुआत की।
- 1981 में युवा लोक दल प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य बने।
- 1982 से 1985 तक लोक दल में प्रदेश महामंत्री और प्रदेश कार्यसमिति सदस्य रहे।
- 1986 से 1989 तक लोक दल के प्रदेश महामंत्री रहे।
- 1989 से 1991 तक मुख्य महासचिव रहे।
- 1991 से 1995 तक जनता दल के प्रदेश महासचिव रहे।
- 1996 में बसपा ज्वाइन की और डलमऊ सीट से पहली बार विधायक बने।
- 2002 में इसी सीट से बसपा की टिकट पर दोबारा विधायक निर्वाचित हुए।
- 2009 में पडरौना उपचुनाव में जीत दर्ज कर तीसरी बार विधायक चुने गए।
- 2012 में पडरौना सीट से चौथी बार वे विधायक निर्वाचित हुए।
- 2017 में बसपा छोड़ भाजपा ज्वाइन की और पडरौना सीट से विधायक बने।
- 2022 में भाजपा छोड़ सपा में आए। समाजवादी पार्टी ने फाजिलनगर से विधानसभा चुनाव लड़ाया, लेकिन सुरेंद्र कुशवाहा से हार गए।
- स्वामी प्रसाद मौर्य बसपा में रहते मंत्री, नेता प्रतिपक्ष, पार्टी अध्यक्ष और योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे।
कौन हैं स्वामी प्रसाद मौर्य?
स्वामी प्रसाद मौर्य का जन्म प्रतापगढ़ जिले के चकवड़ गांव (कुंडा) में 2 जनवरी 1954 को हुआ था। वह छात्र जीवन से ही सामाजिक मुद्दों पर मुखर रहते थे। 1980 में लोकदल के जरिए सक्रिय राजनीति में आए। 1980 से सन 1989 तक विभिन्न पदों पर रहे। 1991 से 1995 तक जनता दल रहे। 1996 में बसपा ज्वाइन कर ली। स्वामी प्रसाद मौर्य बसपा और भाजपा की सरकारों में कैबिनेट मंत्री रहे। नेता प्रतिपक्ष और पार्टी अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भी संभाली, लेकिन अब नई पार्टी गठन करने का निर्णय लिया है। हाल ही में उन्होंने सपा के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दिया है।
करोड़पति हैं स्वामी प्रसाद मौर्य
चुनावी हलफनामे के मुताबिक, स्वामी प्रसाद मौर्य के पास 1 करोड़ 93 लाख से ज्यादा की संपत्ति है। उनकी पत्नी शिवा मौर्य 2 करोड़ 21 लाख से ज्यादा सम्पत्ति की मालकिन हैं। स्वामी के पास 50 हजार नकद, पत्नी के पास 65 हजार नकदी है। 30 हजार की नीलम की अंगूठी, एक रिवाल्वर और एक राइफल भी है। पत्नी शिवा के नाम फॉर्च्यूनर कार (कीमत 30 लाख) है। शिवा के पास भी रायफल रिवाल्वर और साढ़े 7 लाख की ज्वेलरी है।