Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के छह बागियों सहित 11 विधायक शनिवार को भाजपा शासित उत्तराखंड पहुंचे। इन विधायकों ने ऋषिकेश के ताज होटल में अपना डेरा जमाया है। विधायकों को सुबह हरियाणा नंबर प्लेट की एक बस ताज होटल लेकर आई। सुरक्षा के भी कड़े इंतजाम किए गए हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार में अभी अंदरूनी कलह खत्म नहीं हुई है।
दो दिन पहले तलब हुए थे सुक्खू
यह घटनाक्रम कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व द्वारा मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को दिल्ली तलब किए जाने के दो दिन बाद सामने आया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुक्खू राजनीतिक हालात पर रिपोर्ट पेश करने और लोकसभा चुनाव पर चर्चा करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी गए थे।
पत्रकारों ने जब सीएम से सवाल किया कि क्या वह छह विद्रोहियों को पार्टी में वापस लेंगे तो उन्होंने कहा कि अगर किसी को अपनी गलती का एहसास होता है तो उसे एक और मौका दिया जा सकता है।
विक्रमादित्य सिंह बोले- अब गेंद नेतृत्व के पाले में
इससे पहले, हिमाचल के मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि उन्होंने कांग्रेस आलाकमान और विद्रोहियों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाई है। अब निर्णय राष्ट्रीय नेतृत्व के पाले में है।
राज्यसभा चुनाव में सामने आई कलह
पिछले महीने छह बागियों और तीन निर्दलीय उम्मीदवारों ने राज्यसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में मतदान किया। नतीजा कांग्रेस उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा। भाजपा नेता हर्ष महाजन ने चुनाव जीता। कांग्रेस ने कहा था कि वह इस बात की जवाबदेही तय करेगी कि क्रॉस वोटिंग की अनुमति क्यों दी गई।
जिन छह विधायकों ने कांग्रेस से बगावत की, उन्हें सुधीर शर्मा, रवि ठाकुर, राजिंदर राणा, इंदर दत्त लखनपाल, चेतन्य शर्मा और देविंदर कुमार भुट्टो शामिल हैं। बाद में उन्हें विधान सभा स्पीकर ने अयोग्य घोषित कर दिया। बागी विधायक स्पीकर के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चले गए हैं।
सुक्खू को क्यों बुलाया गया?
कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने पार्टी को संकट से उबारने में मदद के लिए कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार, हरियाणा के पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुडा और छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल को भेजा था। पर्यवेक्षकों को एक रिपोर्ट कांग्रेस नेतृत्व को सौंपनी थी। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को सौंपी गई एक रिपोर्ट में मुख्यमंत्री के राजनीतिक कौशल पर सवाल उठाए गए हैं, जो संकट से निपटने में उनकी विफलता को उजागर करता है।