Viral video: पड़ोसी देश चीन में ट्रेनों की हालत भारत से कुछ ज्यादा ठीक नहीं है। एक इंडियन यूट्यूबर द्वारा चाइनीज रेलगाड़ी में शूट किया गया वीडियो तेजी से सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है, जिसमें खचाखच भरे कोच, फर्श पर सोते और टॉयरेट के पास बैठे मुसाफिर साफतौर पर नजर आ रहे हैं। ये मंजर देखकर लगता है कि भारत और चीन की ट्रेनों में ओवरक्राउडिंग की समस्या एक जैसी है, बिल्कुल वैसे ही जैसे कहा जाता है- हिंदी चीनी भाई-भाई।
एक यात्री तो सीट के नीचे सोते हुए नजर आया
यह वीडियो यूट्यूबर Nomad Shubham ने रिकॉर्ड किया है और इसे करीब एक लाख व्यूज और हजारों कंमेंट मिले हैं। वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे यात्री फर्श पर बैठते हैं और कई टॉयलेट के अंदर या उसके दरवाजों को ब्लॉक करते हुए नजर आते हैं। यूट्यूबर ने वीडियो में चीन की एक ट्रेन के जनरल कोच की हालत दिखाई है, जहां बिना रिजर्वेशन वाले यात्री फर्श पर बैठे थे। एक मुसाफिर को तो सीट के नीचे सोते हुए भी देखा गया।
Indian YouTuber finds the Chinese General Class similar to the Indian General Class. The only difference is that these have AC & Automatic Doors.
— Gems of Engineering (@gemsofbabus_) September 20, 2024
People are sitting outside the washroom and traveling with buckets and their chairs. 🤷🏽♂️pic.twitter.com/KgpA9D1LeO
यूट्यूबर ने दोनों देशों की ट्रेनों के अंतर भी उजागर किए
पहला- जनरल कोच में एयर कंडीशनिंग की सुविधा और दूसरा- कोचों के बंद दरवाजे। हालांकि, यूजर्स ने इन दोनों के अलावा कई अंतर भी पहचाने। एक सोशल मीडिया यूजर ने चीन के जनरल कोच की सफाई की तारीफ करते हुए लिखा- “फिर भी फर्श पर कोई कागज़ नहीं है, यह साफ है और गुटका भी नहीं है।” दूसरे कमेंट में लिखा गया- “चीन का दूसरा पक्ष भारत से भी खराब है।” एक अन्य यूजर ने लिखा- “चीनी जनरल कोच सच में भारतीय डिब्बों से बेहतर लगते हैं, एसी और ऑटोमैटिक दरवाजों जैसी सुविधाओं के साथ।”
सोशल मीडिया यूजर्स ने दिया अलग-अलग रिएक्शन
किसी यूजर कमेंट में लिखा- “अगर कोई यही अंतर बता रहा है, तो उसने शायद भारतीय जनरल कोच में सफर नहीं किया। यूट्यूबर इतनी आजादी से हमारे जनरल क्लास में नहीं चल सकता था! (इसके अलावा, मुझे उम्मीद है कि यूट्यूबर ने स्पष्ट किया कि ये चीन की हाई-स्पीड ट्रेन नहीं है)” एक यूजर ने कहा- ''भाई, लोगों को गलत जानकारी देना बंद करो। ये चीन की बहुत पुरानी और सस्ती ट्रेन थी, फिर भी उसमें अंदरूनी हिस्से हमारे सबसे महंगी ट्रेनों से भी बेहतर दिखते हैं।”