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Giorgia Meloni Deepfake Videos: दावा है कि दो लोगों ने मेलोनी का चेहरा अडल्ट मूवी की स्टार के चेहरे पर लगाया। फिर उसे अमेरिकी एडल्ट कॉन्टेंट वेबसाइट पर अपलोड कर दिया। आरोपियों में पिता-पुत्र शामिल है।

Giorgia Meloni Deepfake Videos: इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी डीपफेक का शिकार हो गई हैं। उन्होंने डीपफेक अश्लील वीडियो बनाए जाने और उसे ऑनलाइन प्रसारित करने के आरोपी से 100,000 यूरो ($109,345) का हर्जाना मांगा है। भारतीय करेंसी में यह करीब 90 लाख रुपए हैं।  

दावा है कि दो लोगों ने मेलोनी का चेहरा अडल्ट मूवी की स्टार के चेहरे पर लगाया। फिर उसे अमेरिकी एडल्ट कॉन्टेंट वेबसाइट पर अपलोड कर दिया। आरोपियों में पिता-पुत्र शामिल है। बेटे की उम्र 40 साल और उसके पिता की उम्र 73 साल है। दोनों ने मिलकर मेलोनी का अश्लील वीडियो बनाया। दोनों आरोपियों पर मेलोनी ने मानहानि का मुकदमा दायर किया है। 

स्मार्टफोन से आरोपियों तक पहुंची पुलिस
पुलिस के अनुसार, वे वीडियो अपलोड करने के लिए इस्तेमाल किए गए स्मार्टफोन को ट्रैक करके आरोपियों तक पहुंचे। डीपफेक वीडियो 2022 में उनके देश के प्रधान मंत्री के रूप में नियुक्त होने से पहले का है। वीडियो को तब से लाखों बार देखा गया है। मेलोनी ससारी कोर्ट में 2 जुलाई को गवाही देंगी। इटली में मानहानि के मामले में आरोपियों को सजा भी हो सकती है। 

मुआवजे की राशि दान करेंगी मेलोनी
प्रधानमंत्री की कानूनी टीम ने कहा कि मुआवजा की मांग करना एक प्रतीकात्मक कार्रवाई है। मेलोनी मुआवजे की पूरी राशि पुरुष हिंसा की शिकार महिलाओं की सहायता के लिए दान करेंगी। मेलोनी की वकील मारिया गिउलिया मारोंगिउ ने कहा कि मुआवजे की मांग उन महिलाओं के लिए एक संदेश है, जो इस तरह की हिंसा की शिकार हैं। मेलोनी का कहना है कि हिंसा की शिकार महिलाएं आवाज उठाने से न डरें। 

क्या है डीपफेक?
डीपफेक शब्द पहली बार 2017 के अंत में सामने आया था। रेडिट पर इसी नाम के एक यूजर ने ओपन सोर्स फेस स्वैपिंग तकनीक के साथ बनाए गए अश्लील वीडियो को शेयर करने के लिए एक प्लेटफॉर्म बनाया था। डीपफेक मतलब झूठ। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से ऐसी तस्वीरें या फिल्में बनाई जाती हैं, जो सच नहीं होती हैं। लेकिन सच दिखती हैं। यह जनता के विश्वास और सच्चाई के लिए खतरा हैं। 

पीएम मोदी ने बताया था डीफेक टेक्नोलॉजी को खतरनाक
पीएम मोदी ने डीपफेक वीडियो को लेकर कहा था कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की ताकत से बना वीडियो बेहद चिंता का विषय है। डीपफेक गलत सूचना फैलाने, जनता की राय को विकृत करने और प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण है। क्योंकि इनका उपयोग व्यक्तियों द्वारा कुछ ऐसा कहने या करने की ठोस ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग बनाने के लिए किया जा सकता है जो उन्होंने कभी नहीं किया। कई विश्व नेताओं ने डीपफेक की बढ़ती प्रकृति के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की है।
 

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