SpaceX Moon landing mission: अमेरिकी उद्योगपति एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने गुरुवार (27 फरवरी) सुबह 5:45 अपने दूसरे मून मिशन एथेना IM-2 की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग की। नोवा-सी श्रेणी का यह चंद्र लैंडर 8 दिन बाद चांद में लैंड करेगा। अमेरिका के कैनेडी स्पेस सेंटर से फाल्कन-9 रॉकेट के जरिए लॉन्च किए गए
मिशन का उद्देश्य
- इस मिशन का उद्देश्य ड्रोन के साथ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के करीब पहुंचना और चंद्रमा की सतह से जुड़ी जरूरी जानकारी एकत्रिक करना है।
- लैंडर के रोवर में ड्रिल मशीन लगाई गई। जो करीब 10 ड्रिल करेगी और करीब 10 सेंटीमीटर खुदाई करेगी। इस तरह से यह मिशन करीब मीटर गहराई से मिट्टी और मिनलर के सैंपल कलेक्ट करेगी।
स्पेसएक्स ने पहले भी भेजा मून लैंडर
पिछले दो माह में स्पेसएक्स की तरफ से चंद्रमा पर भेजा जाने वाला यह दूसरा लैंडर है। पहला मून लैंडर ओडिसियम IM-2 अंतरिक्ष में 15 जनवरी 2025 को भेजा गया था। इसने 22 फरवरी को चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग की, लेकिन थोड़ी देर बाद पलट गया। पहला लैंडर के फेल होने के बाद स्पेसएक्स ने 5 दिन बाद दूसरा मून मिशन लॉन्च किया।
Lighting the way to the Moon: As @Int_Machines’ lander lifts off aboard a @SpaceX Falcon 9 rocket, it takes with it NASA science and tech. Its mission? To help us better understand the lunar environment in preparation for future human explorers. pic.twitter.com/KIx5vnpHRC
— NASA (@NASA) February 27, 2025
नासा ने पोस्ट किया वीडियो
अमेरिका के स्पेश सेंटर नासा ने लान्चिंग का वीडियो शेयर कर लिखा-@Int_Machines का लैंडर चांद की ओर जाने का रास्ता रोशन करेगा। @Int_Machines का लैंडर @SpaceX फाल्कन 9 रॉकेट पर सवार होकर उड़ान भरता है और अपने साथ नासा की विज्ञान और तकनीक लेकर जाता है। इसका मिशन क्या है? भविष्य के मानव खोजकर्ताओं के लिए तैयारी में हमें चंद्रमा के वातावरण को बेहतर ढंग से समझने में मदद करना।
एथेना IM-2 मून लैंडर की खासियत
एथेना IM-2 एक मून लैंडर है, जो 8 दिन में धरती से चंद्रमा की दूरी तय कर लेगा। चांद पर इसकी सॉफ्ट लैंडिंग 6 मार्च को संभव है। इसे इसे इंट्यूशिव मशींस (IM) नाम की कंपनी ने बनाया है। इसलिए एथेना IM-2 नाम दिया गया। एथेना मून लैंडर चंद्रमा के जिस दक्षिण ध्रुव के पास लैंड करेगा। वहां करीब 100 किमी क्षेत्रफल और 20 हजार फीट ऊंचा पर्वत है। मून लैंडर लैंडिंग के बाद चंद्रमा पर 10 दिन काम करेगा। इसमें दो छोटे रोबोट लगे हैं, जो चांद की सतह पर डेटा कलेक्ट करेंगे।