Stock Market Crash: मंदी की आशंकाओं के चलते वॉल स्ट्रीट में बिकवाली के बाद आज भारतीय शेयर बाजार में भी गिरावट दर्ज की गई। सेंसेक्स (Sensex) में 700 अंकों की गिरावट आई और निफ्टी (Nifty) में 200 अंकों से अधिक की गिरावट दर्ज की गई। इससे पहले, वॉल स्ट्रीट में कमजोर मैन्युफैक्चरिंग डेटा (Manufacturing Data) के कारण मंदी की चिंताओं के बाद अमेरिकी शेयर बाजार में भी भारी गिरावट देखी गई थी।
अमेरिकी और यूरोपीय बाजारों में गिरावट
अमेरिकी बाजार के तीन प्रमुख सूचकांक नीचे बंद हुए, जिसमें नास्डैक कम्पोजिट (Nasdaq Composite) 2.3% की गिरावट के साथ सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ। फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल (Jerome Powell) ने सितंबर में ब्याज दरों में कटौती का संकेत दिया था, लेकिन जुलाई के मैन्युफैक्चरिंग इंडेक्स (Manufacturing Index) के 46.8% पर रहने के बाद बाजार में गिरावट आई। यूरोपीय बाजारों में भी गिरावट दर्ज की गई।
मंदी की आशंका और आर्थिक आंकड़े
स्पार्टन कैपिटल के पीटर कार्डिलो (Peter Cardillo) के मुताबिक,आर्थिक मंदी की चिंता के कारण बाजार में गिरावट देखी जा रही है। बाजार को शायद अब यह डर है कि अर्थव्यवस्था इतनी धीमी हो रही है कि हम अगले आठ से बारह महीनों में मंदी की स्थिति देख सकते हैं। अमेरिकी बाजार में शुक्रवार को मासिक नौकरियों के आंकड़ों का इंतजार कर रहा है, जो महत्वपूर्ण हो सकते हैं।
यूके और यूरोप में भी बाजार पर असर
यूके में, बैंक ऑफ इंग्लैंड (Bank of England) ने महामारी के बाद पहली बार अपनी मुख्य ब्याज दर (Interest Rate) में कटौती की है, जिससे डेब्ट रेट 5% पर आ गई है। इससे पाउंड को स्थिरता मिली, हालांकि, लंदन के शेयर बाजार पर इसका असर नहीं है। यूरोप में मुद्रास्फीति डेटा (Inflation Data) के बाद अनिश्चितता बढ़ी है। यह सवाल भी उठने लगा है कि क्या यूरोपीय सेंट्रल बैंक (European Central Bank) भी सितंबर में ब्याज दरों में कटौती करेगा।
एशियाई बाजारों में भी गिरावट
एशिया में, टोक्यो ने सबसे अधिक नुकसान दर्ज किया, जहां निक्केई 225 (Nikkei 225) 5% से अधिक गिर गया। जापानी मुद्रा येन (Yen) के मजबूत होने के कारण ऐसा हुआ। जापान के एक्सपोर्ट सेक्टर पर भी इसका असर हुआ है। हांगकांग, सिडनी, सियोल, और ताइपे में भी शेयर बाजार में 2% से अधिक की गिरावट दर्ज की। शंघाई, जकार्ता, वेलिंगटन, सिंगापुर, और मनीला में भी शेयर मार्केट में गिरावट हुई। इस बीच, मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव के बावजूद तेल की कीमतों (Oil Prices) में गिरावट आई। विश्लेषकों का मानना है कि ये तनाव कच्चे तेल के बाजार को प्रभावित नहीं करेंगे।