RBI MPC Meeting:भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में लिए गए फैसलों का ऐलान किया। इस बैठक में प्रमुख नीतिगत निर्णयों पर विचार-विमर्श किया गया। बैठक में खासकर खाद्य मुद्रास्फीति और आर्थिक स्थिरता के मुद्दों पर चर्चा हुई। एमपीसी ने लगातार आठवीं बार रेपो रेट को 6.5% में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया है।
यह निर्णय खाद्य मुद्रास्फीति की चिंता और आर्थिक विकास को समर्थन देने की आवश्यकता के मद्देनजर लिया गया है। बता दें कि एमपीसी में तीन आरबीआई अधिकारी और तीन बाहरी सदस्य शामिल हैं, जिन्होंने महंगाई नियंत्रण और आर्थिक विकास को संतुलित करने जैसे मुद्दों पर गौर करते हुए यह फैसला लिया।
जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान बढ़ाया गया
आरबीआई ने FY25 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि का अनुमान 7% से बढ़ाकर 7.2% कर दिया है। ऐसा देश की मजबूत आर्थिक गतिविधियों और नियंत्रित खुदरा महंगाई दर को देखते हुए किया गया है। FY24 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 5.6% रहा, जो संशोधित अनुमान 5.8% से थोड़ा बेहतर है। विभिन्न क्षेत्र, विशेष रूप से फूड और कमोडिटीज, महंगाई पर असर डाल रहे हैं।
महंगाई को लेकर चिंता बरकरार
अप्रैल 2024 में खुदरा महंगाई दर 4.83% के 11 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई, जो आरबीआई के टॉलरेंस बैंड 2-6% के भीतर है। हालांकि, खाने पीने की चीजों का महंगाई दर अभी भी चिंता का विषय बनी हुई है, जिसमें शहरी क्षेत्रों में 1.03% और ग्रामीण क्षेत्रों में 0.59% की वृद्धि दर्ज की गई। मई महीने में खाद्य महंगाई दर चार महीने के सबसे ऊंचे स्तर 8.7% पर पहुंच गई थी।
वैश्विक आर्थिक स्थिरता बने रहने की संभावना
गवर्नर दास ने कहा कि वैश्विक आर्थिक विकास 2024 में स्थिर रहेगा और इसके लचीले बने रहने की संभावना है। उन्होंने यह भी बताया कि रेट में कटौती के समय और गति पर बाजार की अपेक्षाएं आने वाले आंकड़ों के आधार पर बदल रही हैं। जून 2022 से, आरबीआई ने "विड्रॉल ऑफ एकोमोडेशन" के रुख को बनाए रखा है। अधिकांश बाजार पंडितों को फिलहाल इसमें बदलाव की उम्मीद नहीं है।
EMI पेमेंट में कोई बदलाव नहीं होगा
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की ओर से की गई घोषणाओं से ऐसे लोगों की उम्मीदाें का झटका लगा है, जो इंटरेस्ट रेट में कमी की उम्मीद कर रहे थे। रेपो रेट जस का तस रखने से EMI पेमेंट में कोई बदलाव नहीं होगा। अब भी लोगों को पहले की तरह ही EMI भरना होगा। वहीं एफडी निवेशकों के लिहाज से यह एक अच्छी खबर है, क्योंकि रेपो रेट बरकरार रहने की सीधा मतलब यह है कि एफडी पर मिलने वाले ब्याज में किसी भी तरह की कटौती नहीं होगी।
क्या है रेपो रेट और EMI पेमेंट में संबंध
रेपाे रेट वह ब्याज दर होता है जिसके आधार पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है। यही वजह है कि जब भी रेपो रेट में बदलाव होता है तो सभी प्रकार के कर्ज का इंटरेस्ट रेट बदल जाता है। इसके दायरे में पर्सनल लोन, कार लोन और होम लोन समेत सभी प्रकार के कर्ज आते हैं। रेपा रेट जब भी कम होता है तो ब्याज कम हो जाता है, वहीं इसके बढ़ने से ब्याज बढ़ जाता है। वहीं रिवर्स रेपा रेट उस ब्याज दर को कहते हैं जो आरबीआई बैंकों काे उनके द्वारा जमा रकम पर देता है।