RTE Act Change: भारत में मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (RTE) 2009 में लागू किया गया था। इसका उद्देश्य बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना था। इसके तहत छात्रों को कक्षा में रोकने (फेल) की नीति को समाप्त कर दिया गया था, जिसे नो-डिटेंशन नीति कहा गया। हालांकि, अब केंद्र सरकार ने RTE नियम, 2010 में एक संशोधन किया है, जिसके तहत कक्षा 5वीं और 8वीं के छात्रों के लिए नियमित परीक्षा आयोजित करने का प्रावधान किया गया है। यह संशोधन "नो-डिटेंशन" नीति को बदलते हुए, असफल छात्रों को रोकने की अनुमति देता है।
क्या है नया संशोधन?
संशोधित नियमों के अनुसार, अब राज्य सरकारें कक्षा 5वीं और 8वीं के छात्रों के लिए हर शैक्षणिक वर्ष के अंत में वार्षिक परीक्षा आयोजित कर सकेंगी। अगर छात्र इस परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हो पाते हैं, तो उन्हें उसी कक्षा में रोक दिया जाएगा।
सरकार ने खत्म की No Detention Policy, अब फेल छात्र अगली क्लास में नहीं होंगे प्रमोट#NoDetentionPolicy #Educations #RTE pic.twitter.com/DdCpD9ia6n
— sumit kumar (@eyeamsumit) December 23, 2024
इन राज्यों में अब छात्रों को परीक्षा में उत्तीर्ण होना अनिवार्य
इस कदम से पूरे देश में अलग-अलग प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। जहां कुछ राज्यों ने पहले ही कक्षा 5वीं और 8वीं में फेल होने पर रोकने के उपाय लागू करने का निर्णय लिया है, वहीं कुछ लोग इसे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के रूप में देख रहे हैं। बता दें, गुजरात, ओडिशा, मध्य प्रदेश, झारखंड, कर्नाटका और दिल्ली ने पहले ही इन संशोधित नियमों को लागू करने का फैसला लिया है। इन राज्यों में अब कक्षा 5वीं और 8वीं के छात्रों को परीक्षा में उत्तीर्ण होना अनिवार्य होगा, और असफल छात्रों को वही कक्षा दोबारा करनी होगी।
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