Zakir Hussain Funeral: भारत के मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन का 15 दिसंबर की रात सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में निधन हो गया था। फेंफड़ों की बीमारी के चलते जाकिर हुसैन ने 73 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। गुरुवार को उन्हें सैन फ्रांसिस्को में नम आखों से सुपुर्द-ए-खाक किया गया। उनकी अंतिम विदाई में ड्रमर आनंदन शिवमणि भी उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे जहां उन्होंने अपने बैंड के साथ जाकिर को अलविदा कहा।
इसका एक वीडियो भी सामने आया है जिसमें आनंदन शिवमणि और उनकी टीम ड्रम और अन्य इंस्ट्रूमेंट्स बजाते हुए उन्हें म्यूजिकल ट्रिब्यूट दे रहे हैं।
VIDEO | Tabla maestro Zakir Hussain was laid to rest in San Francisco. Drummer Anandan Sivamani attended the funeral in the US city.
— Press Trust of India (@PTI_News) December 20, 2024
Hussain, one of the world's most accomplished percussionists, died at a San Francisco hospital on Monday due to complications arising from… pic.twitter.com/N0sB6fW8R0
जाकिर के परिवार ने एक बयान में कहा, "वह अपने पीछे दुनिया भर के अनगिनत संगीत प्रेमियों द्वारा संजोई गई एक असाधारण विरासत छोड़ गए हैं, जिसका प्रभाव आने वाली पीढ़ियों तक रहेगा।" तबला वादक की बहन खुर्शीद औलिया ने कहा कि वह शातिपूर्ण तरीके से इस दुनिया से चले गए। ज़ाकिर हुसैन अपने पीछे पत्नी एंटोनिया मिनेकोला और बेटियां अनीसा कुरैशी और इसाबेला कुरैशी को छोड़ गए।
9 मार्च, 1951 को संगीत क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले परिवार में जन्मे ज़ाकिर हुसैन प्रसिद्ध तबला वादक उस्ताद अल्ला रक्खा के सबसे बड़े बेटे थे जो बचपन से ही एक प्रतिभाशाली व्यक्तित्व के थे। उन्होंने 12 साल की उम्र में भारतीय शास्त्रीय संगीत में अपना पेशेवर करियर शुरू किया था। 18 साल की उम्र तक, वह पहले से ही अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रदर्शन कर सरताज बन चुके थे।
संगीत दिग्गज ने अपने 6 दशक के करियर में 4 ग्रैमी अवॉर्ड प्राप्त किए, जिसमें से 3 तो उन्हें साल ही 66वें ग्रैमी पुरस्कार में मिले। वह पद्म श्री (1988), पद्म भूषण (2002), और पद्म विभूषण (2023) पुरस्कारों से सम्मानित थे।