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Brijmohan Agrawal Exclusive Interview: पूर्व मंत्री और विधायक बृजमोहन अग्रवाल का कहना है कि कांग्रेस ने अगर भूपेश बघेल के चेहरे पर चुनाव लड़ा होता तो भाजपा को 54 नहीं 64 सीटों पर जीत मिलती।

Brijmohan Agrawal Exclusive Interview: रायपुर से लगातार आठवीं बार चुनाव जीतने वाले पूर्व मंत्री और विधायक बृजमोहन अग्रवाल (MLA Brijmohan Aggarwal) का कहना है, कांग्रेस (congress) ने अगर भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) के चेहरे पर चुनाव लड़ा होता तो भाजपा (BJP) को 54 नहीं 64 सीटों पर जीत मिलती। मुख्यमंत्री का चेहरा इतना ज्यादा दागदार हो गया था कि कांग्रेस ने अंत में भूपेश है तो भरोसा है के स्थान पर कांग्रेस है तो भरोसा है का नारा दिया। लेकिन कांग्रेस भी जनता के बीच से अपना भरोसा खो चुकी थी। कांग्रेस ने अपना कोई वादा पूरा नहीं किया। जनता ने कांग्रेस को नकार दिया और भाजपा को फिर से मौका दिया। अब भाजपा जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। चुनावी संवाद में हरिभूमि-आईएनएच (Haribhoomi-Inh News) के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने विधायक बृजमोहन अग्रवाल से खास बातचीत...

कौन सी जीत हैरत में डालने वाली है, भाजपा की 54 सीटों की या फिर आपके 67 हजार से ज्यादा मतों से जीतने वाली?
जवाब: दोनों जीत से कोई हैरत नहीं है। मोदी की गारंटी, अमित शाह की रणनीति के कारण भाजपा ने 54 सीटों पर जीत प्राप्त की। हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का मार्गदर्शन भी अहम रहा। भूपेश सरकार के भ्रष्टाचार, माफिया राज, महिलाओं पर अत्याचार और जनता से किए गए वादों को न निभाने के कारण जनता ने मौका मिलते ही बदला लिया।

भूपेश पर भरोसे से कांग्रेस के पीछे हटने का कितना फायदा मिला?
जवाब: भूपेश बघेल के चेहरे पर चुनाव लड़ते तो भाजपा को 54 नहीं 64 सीटें मिलती। भूपेश का चेहरा दागदार हो गया था। उनका चेहरा भ्रष्टाचार, धोखेबाज का चेहरा हो गया था। मुख्यमंत्री का काम सिर्फ और सिर्फ पैसे कमाने का रह गया था, फिर वो पैसे चाहे किसी भी तरह से आए।

आपकी 67 हजार से ज्यादा मतों से जीत के लिए भी क्या शाह की रणनीति काम आई?
जवाब: श्री शाह का मार्गदर्शन, राष्ट्रीय नेतृत्व की सीख के साथ हमारे राष्ट्रीय नेतृत्व ने जो रणनीति बनाकर घोषणापत्र जारी किया और उनमें महतारी वंदन योजना, गरीब महिलाओं को पांच सौ में गैस सिलेंडर, 18 लाख वंचितों को पीएम आवास, 31 सौ में धान खरीदी, दो साल का बकाया बोनस देने की रणनीति बनाई, उसने बड़ी जीत का रास्ता दिखाया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तो अपने गुर्गे लगा दिए थे चुनाव का माहौल खराब करने के लिए। लेकिन जनता ने भी सोच लिया था कि लोगों के दिलों में रहने वाले और सनातन धर्म की रक्षा करने वाले को ही जीत दिलानी है।

मुख्यमंत्री से तो आपके संबंध अच्छे रहे हैं, फिर गुर्गे क्यों लगा दिए?
जवाब: मेरे संबंध तो हमेशा से कांग्रेस के नेताओं अर्जुन सिंह, दिग्विजय सिंह, मोतीलाल वोरा, श्यामाचरण शुक्ल से लेकर सभी से अच्छे रहे हैं। राजनीति में भले प्रतिद्वंदिता होती है, लेकिन व्यक्तिगत प्रतिद्वंदिता नहीं होनी चाहिए। भूपेश बघेल जानते थे कि रायपुर से ही प्रदेश भर में हवा बनती है। मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा दांव पर थी, इसलिए उन्होंने संबंधों को तोड़ दिया।

चुनाव घोषित होते ही परिणाम तय थे या बाद में माहौल बदला?
जवाब: चुनाव घोषित हुए तभी तय था कि जीत भाजपा की होगी। जनता को जब मौका मिलता है तो वह इसी तरह से बदला लेती है। भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने का काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभाओं ने भी किया। अमित शाह ने साजा से ईश्वर साहू को टिकट देकर मास्टर स्ट्रोक खेला। शाह की रणनीति ने कोरी स्लेट पर इबारत लिखी।

चुनाव जीतने के बाद भाजपा क्यों उलझ गई है, मुख्यमंत्री का नाम तय नहीं हो रहा है, उलझन के बादल क्यों छाए हैं?
जवाब:
कोई उलझन के बादल नहीं छाए हैं। भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व ऐसा फैसला लेना चाहता है कि आने वाले समय में लोकसभा के चुनाव में सभी 11 सीटों पर जीत मिल सके।

डॉ. रमन सिंह, बृजमोहन अग्रवाल जैसे कई दिग्गजों के बाद क्षमता पर संदेह क्यों?
जवाब:
कोई संदेह नहीं है। जो 54 विधायक जीत कर आए हैं, सभी में क्षमता है। इसलिए समय लग रहा है।

बड़ा आदमी बनाने का बयान आपके संदर्भ में क्यों नहीं आता है?
जवाब:
जो नए लोग चुनाव लड़ते हैं उनके बारे में ऐसा कहना पड़ता है। सिर्फ दो लोगों के लिए प्रदेश में 8 लोगों के लिए ऐसा कहा गया था। जहां तक मेरा सवाल है तो मैं अपने को छोटा-बड़ा दोनों आदमी मानता हूं। मैं 40 साल से लोगों के दिलों में बसता हूं। इससे ज्यादा औरक्या बड़ा आदमी हो सकता है। लोगों ने मुझे 68 हजार मतों से जीत दिला दी।

शीर्ष नेतृत्व के दिलों में क्यों नहीं हैं बृजमोहन?
जवाब:
ऐसा नहीं है, नरेंद्र मोदी, अमित शाह, जेपी नड्डा, राजनाथ सिंह हो या फिर कोई भी राष्ट्रीय नेता, वे अगर मुझे नाम से जानते हैं और नाम लेकर पुकारते हैं तो इसका मतलब यही है कि मैं उनके भी दिलों में हूं।

आपके किसको मुख्यमंत्री देखना चाहते हैं?
जवाब:
केंद्रीय नेतृत्व जो फैसला करेगा, वह मुझे और सबको मंजूर होगा।

पाटन से तो भूपेश बघेल जीत गए?
जवाब:
मुख्यमंत्री थे, इसलिए जीत गए। उनकी यह जीत कोई मायने नहीं रखती। मुख्यमंत्री होते हुए महज 19 हजार मतों से जीते, जबकि विजय शर्मा, राजेश मूणत 40-40 हजार मतों से जीते, मोतीलाल साहू 35 हजार मतों से जीते। जब ये इतने मतों से जीते तो फिर मुख्यमंत्री 50 हजार से ज्यादा मतों से क्यों नहीं जीत सके।

भूपेश बघेल का राजनीतिक भविष्य क्या देखते हैं?
जवाब:
किसी का भविष्य हमेशा एक समान नहीं होता है। अभी उनसे सितारे ठीक नहीं चल रहे हैं।

कांग्रेस ने जो काम किए क्या चुनाव में उनकी अहमियत नहीं रही?
जवाब:
झूठे वादे किए थे। किसानों का पूरा कर्ज माफ नहीं किया। सिर्फ शार्ट टर्म कर्ज माफ किया। छोटे किसान कांग्रेस से खुश नहीं थे। किसानों को कांग्रेस की कर्ज माफी से अच्छा यह लगा कि भाजपा दो साल का बोनस एक साथ देगी और धान की कीमत भी एकमुश्त दी जाएगी।

डॉ. रमन सिंह का भविष्य क्या है?
जवाब:
मैं कोई भविष्य वक्ता नहीं हूं। वरिष्ठ नेता हैं, उनके बारे में कोई भी फैसला केंद्रीय नेतृत्व करेगा।

मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लेकर क्या कहेंगे?
जवाब:
मेरे अच्छे मित्र हैं। जन नेता हैं। पार्टी उनका कोई दूसरा उपयोग करना चाहती होगी। भाजपा राष्ट्रीय पार्टी है। वे फिर से मुख्यमंत्री भी बन सकते हैं।

कांग्रेस का भविष्य क्या है?
जवाब:
कांग्रेस में नेतृत्व का अभाव है। कांग्रेस सर्वमान्य नेता तैयार नहीं कर पाई। जो नेता हैं, वो बचकाना हरकत करते हैं। इससे विश्व में देश की छवि खराब होती है।

इंडिया गठबंधन के बारे में क्या कहेंगे?
जवाब:
इसमें कहीं कुछ नहीं दिखता है। महज मेंढक तोलने का काम है, कभी मेंढक कम हो जाते हैं, कभी ज्यादा हो जाते हैं।

पिछली बार क्या गलतियां हुई थीं जो हारे, जो अब ऐसी गलतियां नहीं करना चाहेंगे?
जवाब:
कोई गलती नहीं हुई थी। जनता को टेस्ट बदलना था। लेकिन जनता को समझ आ गया कि उनको टेस्ट बदलना भारी पड़ा, इसलिए वापस भाजपा को मौका दिया। प्रदेश की जनता जानती है कि प्रदेश का विकास भाजपा ही कर सकती है।

स्काईवॉक पूरा होगा या तोड़ा जाएगा?
जवाब: स्काईवॉक जरूर पूरा होगा। भाजपा शासनकाल के वो सभी काम पूरे होंगे, जो कांग्रेस ने अपने पांच साल के कार्यकाल में पूरे होने नहीं दिए हैं।

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