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Car Sickness: कई बच्चों को बस या कार में बैठने के थोड़ी देर बाद ही उल्टियां करने लगते हैं। ऐसे में कुछ बातों का ख्याल रखना जरूरी होता है, जिससे बच्चे का सफर आरामदायक बन सके।

Car Sickness in Children: बस या कार का सफर करने के दौरान कई लोगों को जी मिचलाना या उल्टी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। खासतौर पर बच्च मोशन सिकनेस से ज्यादा प्रभावित होते हैं। इसके चलते कई बच्चे तो बस या कार के सफर का सुनते ही रोने तक लग जाते हैं। बच्चों की इस परेशानी को लेकर वैसे तो कोई ठोस मेडिकल इलाज नहीं है, लेकिन धीरे-धीरे सफर की आदत डालकर परेशानी को कम किया जा सकता है। 

मायोक्लीनिक के अनुसार, मोशन सिकनेस उस वक्त होता है जब दिमाग के पास आंख, कान, मसल्स की नसों से गलत जानकारियां पहुंचने लगती हैं। ऐसा होने पर पेट गड़बड़ होना, थकान, भूख न लगना या उल्टी जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि कुछ बच्चों में मोशन सिकनेस क्यों होती है, इसका कोई ठीक-ठीक उत्तर नहीं मिलता है। ये समस्या 2 साल से 12 साल तक के बच्चों में ज्यादा देखने को मिलती है। 

मोशन सिकनेस से बचाव के टिप्स

  • बस या कार की ट्रैवलिंग के दौरान बच्चों को मोबाइल या किताब देने के बजाय उन्हें खिड़की से बाहर देखने के लिए कहें। ऐसा करने से उन्हें कम समस्या का सामना करना पड़ेगा। बच्चा अगर ट्रेवल के दौरान सो जाए तो उसे सफर में दिक्कत नहीं होगी। 
  • बच्चा अगर कार या बस में बैठने पर उल्टी करने लगता है तो इस बात का ध्यान रखें कि सफर के पहले उसे ज्यादा कुछ न खिलाएं। लंबा सफर होने पर लाइट फूड दें। कोशिश करें कि बच्चे लिक्विड चीजों को लेकर हाइड्रेट रहें। 
  • बच्चा अगर कार का सफर कर रहा है तो उसे ऐसी जगह बैठाएं जहां सफोकेशन की स्थिति न बने। खिड़की के पास बैठाए या ऐसी जगह जहां सही तरीके से हवा आ रही हो और प्रॉपर वेंटिलेशन हो। सफोकेशन मोशन सिकनेस को ट्रिगर करने का काम कर सकता है। 
  • सफर के दौरान बच्चा जब भी मोशन सिकनेस महसूस करे तो उसका ध्यान उस ओर से हटाने की कोशिश करें। उसके पसंद का गाना बजाएं या फिर उससे उसके पसंद की बातें करें, जिससे उसका माइंड डाइवर्ट हो सके। 
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