Gardening Tips: मानसून के मौसम में वैसे ही हर तरफ हरियाली आ जाती है। जहां तक नजरें जाती हैं, हरियाली का जादू बिखरा होता है। ऐसे मौसम में अगर आप चाहती हैं कि आपकी बगिया रंग-बिरंगे फूलों से खिलखिला कर महके उठे तो आपको कुछ बातों पर ध्यान देना होगा। मानसून के मौसम में एक-दो नहीं, दर्जनों ऐसे खूबसूरत फूलों वाले पौधे हैं, जो अपनी खूबसूरती की छटा बिखेरते हैं। इनमें से अपनी पसंद के फूलों वाले पौधे आप भी अपनी बगिया में लगा सकती हैं।
मैरीगोल्ड: मैरीगोल्ड यानी गेंदा, भारत में सबसे लोकप्रिय फूलों में शामिल है। यह उन गिने-चुने फूलों में से है, जो पूजा-पाठ ही नहीं सजावट में भी उपयोग किया जाता है। यूं तो गेंदा पूरे साल खिलता है, लेकिन आषाढ़, सावन की उमड़-घुमड़ वाले बारिश के दिनों में इसकी खिलखिलाती छटा कुछ और ही समा बांधती है। भारत में कई किस्म के गेंदे के फूल पाए जाते हैं, लेकिन सबसे मशहूर अफ्रीकी मैरीगोल्ड यानी ‘टैगेटेस इरेक्टा’ और फ्रेंच मैरीगोल्ड यानी ‘टैगेटेस पैटुला’ हैं। पूरे मानसून ये आपकी बगिया को इंद्रधनुषी रंगत दें, इसके लिए जरूरी है कि जल्द से जल्द इन्हें बो दिया जाए या इनकी पौध को बगिया में लगा दिया जाए। इससे मानसून के आने वाले दिनों में ये मुस्कुराने लगेंगे और हर तरफ इनकी खूबसूरती और भीनी-भीनी महक फैल जाएगी। ध्यान रखें, मानसून के दिनों में बगिया में लगे मैरीगोल्ड के पौधों से जल निकासी अच्छी होनी चाहिए और जिस मिट्टी में ये पौधे लगाए गए होते हैं, वह मिट्टी भी अच्छी और उर्वर होनी चाहिए, तभी ये पौधे गलेंगे नहीं और इनमें अधिक संख्या में फूल भी खिलेंगे।
गुलमेहंदी: हालांकि गुलमेहंदी में कोई खास सुगंध नहीं होती, लेकिन इसके फूल इतने रंग-बिरंगे, चटख और चमकीले होते हैं कि आंखों को इनको देखते ही रहना अच्छा लगता है। इसका वैज्ञानिक नाम ‘इंपेंसंस’ है और अंग्रेजी में इसे ‘बालसम’ कहते हैं। गुलमेहंदी के बीज जल्द से जल्द आपको बो देने चाहिए या इसके पौधे लगा देने चाहिए। इससे अगले कुछ दिनों बाद गुलमेहंदी के पौधों में रंग-बिरंगे फूल आने शुरू हो जाएंगे। गुलमेहंदी के फूल करीब-करीब हर रंग के होते हैं। लेकिन सफेद, लाल, नीली और गुलाबी गुलमेहंदी का तो कहना ही क्या! ध्यान रहे, गुलमेहंदी के पौधे जहां लगाएं, वहां सूर्य का प्रकाश अच्छी तरह से आना चाहिए।
कॉसमॉस: इसे हिंदी में ब्रह्मांड फूल भी कहते हैं, लेकिन यह ‘कॉसमॉस’ के नाम से ही ज्यादा मशहूर है। बारिश के दिनों में यह भी अपनी जबरदस्त छटा बिखेरता है। करीब 1 से 5 फीट तक लंबे और 1 से 2 फीट तक चौड़े कॉसमॉस के पौधे को घर के गमले या ग्रो-बैग में भी आसानी से उगाया या लगाया जा सकता है। अगर गर्मी में इसे लगा दिया जाए तो बरसात के मौसम में यानी जुलाई-अगस्त में अपनी खूबसूरती बिखेरने लगता है। इसके फूल सुनहरे, पीले, सफेद, गुलाबी, नारंगी, लाल और चॉकलेटी रंग के होते हैं। ध्यान रखें, कॉसमॉस के पौधे को हमेशा अच्छी मिट्टी में लगाएं, जिसका पीएच 6 से 8 के बीच हो। अगर गमले में या ग्रो-बैग में लगाना हो तो ड्रेनेजयुक्त गमले या ग्रो-बैग का चुनाव करें। इसकी देखभाल करना बहुत मुश्किल नहीं होता, लेकिन इसे पानी ठीक तरीके देते रहने की जरूरत होती है और पौधों को पानी देने से पहले इसकी मिट्टी को चेक करना चाहिए। कॉसमॉस के पौधे को 5 से 6 घंटे की धूप और समय-समय पर खाद या उर्वरक की जरूरत होती है।
रेन-लिली: इसका वैज्ञानिक नाम ‘जेफिरेंथस’ है। वैसे तो रेन-लिली एक बारहमासी फूल का पौधा है, लेकिन बारिश के मौसम में यह तेजी से बढ़ता है और इसमे ढेर सारे सुंदर फूल आते हैं। रेन लिली का पौधा बीज से या कंद से उगाया जाता है। इसके बीज या कंद को गर्मियों में बो दिया जाए तो बारिश की फुहारों में रेन लिली के पौधे में फूल मुस्कुराने लगते हैं। इसके फूलों की अच्छी-खासी कलर रेंज होती है, मसलन- ये पीले, लाल, गुलाबी, सफेद, कुछ हल्के हरे और पीले मिश्रित रंग के भी होते हैं।
बोगनविलिया: बोगनविलिया का पौधा झाड़ी की तरह फैलता है और इसमें फूल इस तरह से लदे होते हैं कि कई बार इसकी पत्तियां भी नजर नहीं आतीं। इसके फूल बहुत पतले और नाजुक होते हैं। बारिश के दिनों में बोगनविलिया के फूल इस कदर खिलते हैं कि लगता है फूलों के अलावा इस पौधे में कुछ है ही नहीं। बोगनविलिया के पौधे को बीज से भी उगाया जाता है और कटिंग के जरिए भी लगाया जाता है। जब सावन-भादो की रिमझिम झड़ती है, तो बोगनविलिया के पौधे पर बहार आ जाती है और जमकर फूलता है। हालांकि यह दूसरे मौसमों में भी अपनी ताजगी बरकरार रखता है।
गार्डनिंग टिप्स- अनु आर.