Tea Adultration: चाय भारत में सबसे अधिक पिया जाने वाला पेय है। लेकिन, बढ़ती मांग और कम कीमत पर अधिक मुनाफा कमाने की लालच में कुछ लोग चायपत्ती में मिलावट करते हैं। यह मिलावट न सिर्फ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि चाय के स्वाद और गुणवत्ता को भी प्रभावित करती है। चायपत्ती में कागज, सूखे पत्ते, रंग, चाय की धूल जैसी चीजों की मिलावट की जाती है।
मिलावटी चाय पत्ती का उपयोग न सिर्फ चाय का स्वाद बिगाड़ देता है, बल्कि ये शरीर के लिए भी हानिकारक हो जाता है। आइए जानते हैं मिलावटी चाय पत्ती को पहचानने के आसान तरीके।
चाय पत्ती में मिलावट करने वाली चीजें
पुराने पत्ते: कई बार पुरानी और बेकार हो चुकी चायपत्तियों को रंग और सुगंध मिलाकर नई चायपत्ती के रूप में बेच दिया जाता है।
खराब पत्ते: खराब हुए या कीड़े लगे पत्तों को भी मिलाया जा सकता है।
मिट्टी: चायपत्ती के वजन को बढ़ाने के लिए इसमें मिट्टी मिलाई जाती है।
रंग: चायपत्ती को आकर्षक बनाने के लिए कृत्रिम रंगों का उपयोग किया जाता है।
चाय की धूल: चाय बनाने के दौरान निकलने वाली धूल को भी चायपत्ती में मिला दिया जाता है।
अन्य पत्ते: कभी-कभी चायपत्ती में अन्य पत्तों जैसे कि नीम के पत्ते, आम के पत्ते आदि मिला दिए जाते हैं।
कागज: कुछ मामलों में चायपत्ती में कागज के टुकड़े भी मिलाए जाते हैं।
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मिलावटी चायपत्ती के नुकसान
स्वास्थ्य समस्याएं: मिलावटी चाय से कैंसर, किडनी की समस्याएं, एलर्जी और पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
स्वाद और गुणवत्ता में कमी: मिलावट से चाय का स्वाद और गुणवत्ता खराब हो जाती है।
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मिलावटी चायपत्ती की पहचान कैसे करें?
दिखावट: असली चायपत्ती का रंग एक समान होता है, जबकि नकली चायपत्ती का रंग थोड़ा भिन्न हो सकता है।
स्पर्श: असली चायपत्ती स्पर्श करने में रूखी होती है, जबकि नकली चायपत्ती चिकनी हो सकती है।
पानी में डालकर: असली चायपत्ती को पानी में डालने पर पानी का रंग धीरे-धीरे बदलता है, जबकि नकली चायपत्ती पानी को तुरंत रंग दे देती है।
फिल्टर पेपर टेस्ट: एक टिश्यू पेपर पर थोड़ी सी चायपत्ती रखें और उस पर पानी डालें। असली चायपत्ती पानी को सोख लेगी और टिश्यू पेपर पर कोई दाग नहीं लगेगा। नकली चायपत्ती पानी को नहीं सोखेगी और टिश्यू पेपर पर रंगीन दाग लग जाएगा।
स्वाद: असली चाय का स्वाद प्राकृतिक होता है, जबकि नकली चाय का स्वाद थोड़ा कृत्रिम लग सकता है।
सुगंध: असली चाय की सुगंध प्राकृतिक होती है, जबकि नकली चाय की सुगंध थोड़ी कृत्रिम लग सकती है।