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Relationship Tips: प्रोफेशनल रिलेशन हों या पर्सनल, हर तरह के रिलेशन को मधुर और मजबूत बनाए रखने के लिए आपको संबंधों की बारीकियां समझनी होंगी, उसको इसी के हिसाब से निर्वाह करना होगा। संबंधों की क्या हैं बारीकियां, इन्हें समझें और अपने संबंध हमेशा मधुर और मजबूत बनाकर रखें। 
  • क्या आपको अकसर लगता है कि आप लोगों के लिए जितना करती हैं, उनकी तरफ से उसका पचास फीसदी भी आपको नहीं हासिल होता?
  • क्या आपको लगता है कि लोग आपको जानबूझकर नजरअंदाज करते हैं या प्यार नहीं करते?
  • क्या आपको अपने आस-पास का हर दूसरा-तीसरा व्यक्ति निहायत स्वार्थी, चतुर और घुन्ना लगता है?

Relationship Tips: अगर आप ऐसा महसूस करती हैं तो आपको मानवीय स्वभाव और लोकाचार से जुड़ी कुछ बारीकियों को समझना होगा। भगवान बुद्ध ने कहा है, ‘हजार लड़ाइयां जीतने की कोशिश करने से अच्छा है आप खुद अपने मन को नियंत्रित कर लें।’ सवाल यह है कि लोगों के प्रति आप पूर्वाग्रहों से उबर कर कैसे सबसे मधुर और मजबूत रिश्ते बनाकर रखें, इसके लिए किन बातों का ध्यान रखें।

रिश्तों पर करें मेहनत
किसी से रिश्ते मधुर ना हों, मनमुटाव हो तो अपने सही व्यवहार से रिश्ते सुधारे जा सकते हैं ना कि भाग्य के भरोसे छोड़ दिया जाए। आपको अपने रिश्तों को सुधारने के लिए एक गंभीरता के साथ मेहनत करनी होगी, जैसे लोग अपनी प्रोफेशनल या बिजनेस लाइफ में क्लाइंट के साथ रिश्तों को अच्छे बनाए रखने के लिए करते हैं। समझदारी और सूझबूझ से आप विपरीत स्वभाव वाले लोगों से भी अच्छे रिश्ते बना रख सकती हैं।

समझें मानवीय स्वभाव 
लोगों से अपने मधुर रिश्ते बनाए रखने के लिए आपको सबसे पहले यह समझना होगा कि हर व्यक्ति के अपने अलग गुण, अपनी रुचि और अपना स्वभाव होता है, जो उसे दूसरों से अलग व्यक्तित्व प्रदान करता है। हर किसी की अपनी एक सोच होती है, इच्छाएं, उम्मीदें होती हैं। इसी के अनुसार वह लोगों के साथ व्यवहार करता है। आपको लोगों की इस यूनीकनेस यानी खास व्यक्तित्व का सम्मान करना आना चाहिए, यह रिश्तों को अच्छा बनाए रखने के लिए जरूरी है।

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ज्यादा ना करें उम्मीदें 
हम सभी किसी से कोई भी संबंध या रिश्ता इसलिए बनाते या रखते हैं, क्योंकि इससे हमें सुकून और खुशी मिलती है या फिर कहीं ना कहीं कोई फायदा भी होता है। हम इस दुनिया में अकेले नहीं रह सकते। हम एक सामाजिक प्राणी हैं, इसलिए हमारा दूसरों की तरफ झुकाव होता ही है। इससे एक मानसिक शांति मिलती है। लेकिन समस्या तब आती है, जब हम एकतरफा फायदे की सोचने लगते हैं या फिर हम लोगों से बहुत ज्यादा उम्मीदें करने लगते हैं, उनसे जरूरत से ज्यादा फेवर लेने या पैसा, प्रशंसा या दूसरी चीजों की चाहत करने लगते हैं। जब हमारी मानसिकता रिश्तों का फायदा उठाने और दोहन करने की हो जाती है, तो जो लोग हमारे लिए इतना कुछ कर रहे होते हैं, उनसे हम और ज्यादा की उम्मीदें करने लगते हैं। इसकी परिणति रिश्तों में दूरियां लाती हैं, खटास पैदा करती है। अंत में रिश्ते टूट भी जाते हैं। इसलिए जितना आप दूसरों से लेने की चाहत रखें,उतना ही देने का भी चाहत रखें। रिश्तों की गाड़ी हमेशा टू वे पर सुगमता से चलती है, यह बात हमें समझनी चाहिए।

देने का भाव जागृत करें 
अपने रिश्तों को मजबूत बनाए रखने के लिए आप अपने दिलोदिमाग को विस्तार दीजिए। लोगों से अपने संबंधों के दायरे को बड़ा कीजिए। अपने परिवार, सोसाइटी, मोहल्ले, वर्कप्लेस के लोगों के लिए कुछ अच्छा कीजिए। उनके दुख-सुख में काम आएं, उनकी किसी मुसीबत के समय उन्हें हिम्मत बंधाएं। कहने का मतलब लोगों  के प्रति सहानुभूति रखने की आदत बनाएं। फिर देखिएगा, कैसे लोगों का प्यार और स्नेह आपको मिलता है, लोगों से आपके रिश्ते इंप्रूव होते हैं। आपको धीरे-धीरे पता चलेगा कि जो प्यार आपने बांटा है, अपना समय और ऊर्जा लगाई है, वह आपको किस प्रकार आंतरिक खुशी दे रही है। आपके रिश्तों को मधुर और प्रगाढ़ बना रही है। 

जो जैसा है, उसे वैसा ही स्वीकार करें 
लोगों को आप उसी तरह स्वीकार करें, जैसे वे हैं। उन्हें अपनी तरह बनाने की कोशिश ना करें। आप उनकी तरह बन सकें तो ठीक है, वरना समझ लें कि वे अपने स्वभाव के मुताबिक ही आचरण करेंगे। रिश्तों को प्रगाढ़ और मधुर बनाने वाला यह फार्मूला दांपत्य संबंधों के निर्वाह में भी कारगर साबित होता है। जब आप ऐसा करती हैं तो धीरे-धीरे आपको लोगों के सकारात्मक गुण नजर आने लगते हैं। आप उनकी बुराइयों या नकारात्मकता को नजरअंदाज करने लगती हैं। जाहिर है, इससे आपके मन में उनके प्रति चिढ़न या कुढ़न बंद हो जाती है, इससे रिश्ते बेहतर होने लगते हैं, हमेशा बने रहते हैं।

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