World Heart Day 2024: वाशिंगटन स्थित द अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी के अनुसार हाइपरटेंशन या हाई ब्लड प्रेशर और कोरोनरी आर्टरी डिजीज (सीएडी) अनहेल्दी और तनावपूर्ण जीवनशैली का नतीजा है। इसलिए हाइपरटेंशन और सीएडी को नियंत्रित करने के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल और डॉक्टर के परामर्श पर अमल कीजिए, तनाव के प्रबंधन का हुनर सीखिए, तभी आपका हार्ट हेल्दी रहेगा। आइये कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल, मुंबई के सीनियर कार्डियक सर्जन डॉ. मनीष हिंदुजा से जानते हैं इसके बारे में। 

क्या है हाइपरटेंशन
वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन के अनुसार धमनियों (आर्टिरीज) की आंतरिक दीवार पर जब रक्त संचार का प्रेशर 140/90 के पार पहुंच जाता है तो यह स्थिति हाइपरटेंशन कहलाती है। सामान्य रक्त चाप 120/80 होता है। यानी सिस्टोलिक या आसान भाषा में ऊपर का ब्लड प्रेशर 120 मिमी. एचजी. और डायस्टोलिक या नीचे का ब्लड प्रेशर 80 मिमी. एचजी. या इससे थोड़े कम को शुमार किया जाता है। हाइपर टेंशन के कई स्टेज होते हैं।

  • स्टेज 1 हाई बीपी: सिस्टोलिक बीपी 130 से 139 मिमी एचजी के बीच होता है और डायस्टोलिक 80 और 89 मिमी एचजी के मध्य होता है।
  • स्टेज 2 हाई बीपी: सिस्टोलिक बीपी 140 मिमी एचजी या अधिक होता है और डायस्टोलिक बीपी 90 मिमी एचजी या अधिक दर्ज किया जाता है।
  • इमरजेंसी स्टेज: 180/120 मिमी एचजी से अधिक रक्त चाप को मेडिकल इमरजेंसी माना जाता है। ऐसे मरीजों या उनके परिजनों को आपातकालीन चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए। ऐसी स्थिति में मरीज को हार्ट अटैक और  स्ट्रोक पड़ने  का खतरा बढ़ जाता है।

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हाई बीपी के लक्षण
दिल की धड़कन का अचानक बढ़ जाना, बेचैनी महसूस होना, सांस तेजी से चलना और सांस लेने में तकलीफ, सीने में जकड़न या तकलीफ, सिर में भारीपन या फिर सिरदर्द, चक्कर आना, श्रम किए बगैर पसीना आना, जी मिचलाना आदि। 

हाइपरटेंशन के कारण
हाइपरटेंशन का मुख्य कारण अनहेल्दी डाइट और टेंशन है। अनहेल्दी डाइट के अंतर्गत जंक फूड्स और बाजार में उपलब्ध अत्यधिक चिकनाई युक्त खाद्य पदार्थ शामिल हैं। नियमित रूप से व्यायाम ना करना, मोटापा और 7 से 8 घंटे की नींद ना लेने से उच्च रक्तचाप बढ़ने का जोखिम रहता है। 

हाइपरटेंशन मेडिकेशन 
हाइपरटेंशन को नियंत्रित करने के लिए जो दवाएं दी जाती हैं, उन्हें एंटीहाइपरटेंसिव्स ड्रग्स कहा जाता है। डॉक्टर मरीजों की समस्या, उनकी उम्र अन्य शारीरिक स्थितियों और जांचों जैसे लिपिड प्रोफाइल आदि के मद्देनजर हाइपरटेंशन को नियंत्रित करने वाली दवाएं प्रिसक्राइब करते हैं। 

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हाइपरटेंशन पेशेंट्स रखें ध्यान

रेग्युलर बेस पर बीपी चेक कराएं
असहज महसूस करने पर ब्लड प्रेशर चेक करें। अगर ब्लड प्रेशर सामान्य नहीं है तो डॉक्टर से परामर्श लें। अपने बीपी को 120/80 या फिर अधिकतम 140/90  तक सीमित रखने का प्रयास करें। डॉक्टर द्वारा सुझाई गई दवाओं के नियमित सेवन से यह संभव है। 

धूम्रपान-शराब से दूरी
जो लोग धूम्रपान कर रहे हैं, उन्हें अपनी इच्छाशक्ति से इसे शीघ्र छोड़ देना चाहिए। धूम्रपान छोड़ने से सिस्टोलिक और डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। इसी तरह किसी भी रूप में अल्कोहल से परहेज़ करना हाइपरटेंशन को नियंत्रित रखने और दिल की सेहत के लिए फायदेमंद है।

तनाव का प्रबंधन करें
इंडियन हार्ट फेडरेशन और वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन के अनुसार ज्यादातर समय तनावग्रस्त रहना हाइपरटेंशन को बुलावा देना है। तनाव की स्थिति में शरीर में ऐसे न्यूरोकेमिकल्स और हार्मोन स्रावित होते हैं, जो हाइपरटेंशन को बढ़ावा देते हैं और दिल की सेहत के लिए नुकसानदेह हैं। इसलिए तनाव का प्रबंधन करने के लिए आपको अपनी सोच सकारात्मक या आशावादी रखनी होगी। अपनी दिनचर्या में मेडिटेशन शामिल करें।

नमक का कम से कम सेवन
नमक में मौजूद सोडियम,  हाइपरटेंशन की समस्या को बढ़ाता है। इसलिए अधिक नमक के सेवन से बचना चाहिए। खाद्य पदार्थों पर अलग से नमक न छिड़कें। एक व्यक्ति को विभिन्न व्यंजनों के जरिए दिन भर में लगभग 4 से 5 ग्राम मात्रा भर नमक का सेवन करना चाहिए।

जंक फूड्स से परहेज
जंक फूड्स में वसा या चिकनाई अधिक मात्रा में पाई जाती है। इनमें नमक भी प्रचुर मात्रा में होता है। चूंकि ये वस्तुएं रक्त में कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को बढ़ाती हैं, जो हार्ट डिजीज और उच्च रक्त चाप की समस्या को बढ़ाने में सहायक हैं। इसलिए जहां तक संभव हो ऐसे फूड्स से परहेज करें।

कंट्रोल बॉडी वेट
जो लोग हाइपरटेंशन और सीएडी की समस्या के साथ मोटापे से भी ग्रस्त हैं, उनकी सेहत कभी भी खतरे में पड़ सकती है। खासतौर पर पेट पर संचित अतिरिक्त वसा हाइपरटेंशन और सीएडी की समस्याएं बढ़ा सकती है।

करें एक्सरसाइज
यदि आप प्रतिदिन 30 मिनट तक व्यायाम करते हैं तो इससे जहां वजन को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी वहीं कोलेस्ट्रॉल की समस्या से बचाव संभव है। प्रत्येक व्यक्ति की उम्र और शारीरिक क्षमता और अलग-अलग होती है। कौन सा व्यायाम कितनी देर करना है, इन सब बातों के संदर्भ में फिटनेस एक्सपर्ट से परामर्श लें।