Develop your GPS system: भारत जैसे विकासशील देश की महिलाएं हों या फिर महाशक्ति कहलाने वाले अमेरिका और रूस की, विकसित यूके, फ्रांस, जापान आदि हों या फिर पिछड़े देशों की महिलाएं हों, सबको बचपन से ही दूसरों को खुश रखना, उनके अनुसार ही ढलना और कदम-कदम पर समझौता करना ही सिखाया जाता है।
दिलो-दिमाग में रहता है संकोच
महिलाएं सुबह से देर रात तक जो कुछ करती हैं, बस दूसरों को खुश करने और उनका मन रखने के लिए ही करती रहती हैं। जो महिलाएं अपने पिता, पति, बॉयफ्रेंड, भाई या बेटे के हक के लिए पूरे जमाने से लड़ जाने का दमखम रखती हैं, वे भी खुद के लिए बहुत कम ही लड़ पाती हैं, अकसर समझौता कर लेती हैं। अपने हक के लिए लड़ने की बात आए तो उन्हें अकसर ये सवाल सताते हैं, जैसे- कहीं वो बुरा मान गए तो?, वह नाराज होकर मुझसे संबंध ना तोड़ ले?, अगर मैं इस पर अपनी आवाज उठाऊंगी, तो कहीं जॉब ना चली जाए? कोई क्या सोचेगा, कितनी मुंहफट है?
हर वक्त दूसरों की फिक्र
टीवी सीरियल हों या महिला पत्रिकाएं या फिर पारिवारिक परंपराएं, सब महिलाओं को दूसरों को खुश रखने के नुस्खे सिखाते-बताते हैं, जैसे सास को खुश कैसे रखें, पति को खुश कैसे रखें, संतान के साथ तालमेल कैसे बैठाएं, बॉयफ्रेंड को कैसे मनाएं, सुंदर कैसे दिखें, आकर्षण का केंद्र कैसे बनें आदि इत्यादि। ये सब सुनते-सीखते महिलाएं खुद को भूल सी जाती हैं। अकसर अपने मन में अपराध बोध पालती रहती हैं कि वे दूसरों के पैमानों पर खरी नहीं उतर पा रही हैं। महिलाएं खुद की नजर से दुनिया को देख ही नहीं पातीं। बस हर चीज और हर स्थिति को दूसरों की नजर से देखने लगती हैं। संबंधों पर बनाए रखने और उन्हें पुष्पित-पल्लवित करने की पूरी जिम्मेदारी मानो उन्हीं पर हो और अपना कोई आत्मसम्मान या वजूद ही ना हो। उन्हें कदम-कदम पर समझौता करना पड़ता है।
समझती हैं खुद को कमतर
महिलाओं का इस तरह समझौता करना, खुद को कमतर समझना और जितने की वे हकदार हैं, उससे कम पर संतोष करना ना सिर्फ खुद उनके लिए बल्कि पूरे समाज के लिए नुकसानदायक है। क्योंकि यही सब वे अपने बेटियों को भी सिखाती हैं और पीढ़ी दर पीढ़ी ऐसा ही होता रहता है। महिलाओं पर बढ़ रहे अत्याचारों के लिए दूसरों को दोष देना बेकार है, इसके लिए खुद महिलाएं ही दोषी हैं, क्योंकि जब कोई खुद ही खुद पर हो रहे अत्याचारों, शोषण और कमतर व्यवहार के लिए मुखर नहीं होगा, तो दूसरा क्यों उनकी लड़ाई लड़ने में दिलचस्पी लेगा?
ना करें खुद को इग्नोर
दुनिया की हर महिला अपने आपको बराबर के हक का एक सामान्य इंसान समझे और त्याग की देवी बनने के नाम पर अपने हितों, अपनी खुशियों और अपने व्यक्तित्व का परित्याग न करें। रिलेशनशिप कोच, प्रेरक वक्ता और मनोवैज्ञानिक सलाहकार लिसा मर्लो बूथ कहती हैं, "महिलाओं को जीपीएस यानी ग्राउंडेड पावरफुल स्ट्रेंथ की दुनिया में जीने की आदत डालनी चाहिए।"
क्या है इंटरनल जीपीएस
जैसे जीपीएस सुगम यात्रा के लिए रोड मैप दिखाता है, वैसे ही यहां जिस जीपीएस की चर्चा हम कर रहे हैं, वो महिलाओं की सुगम जिंदगी का रोड मैप है। यह जीपीएस वास्तव में महिला के अंतर्मन की शक्ति है। यह आत्मविश्वास की ताकत है। इसमें खुद के लिए लड़ने का साहस जगाने की जरूरत होती है। इसके तहत स्त्री को मानसिक शक्ति जुटानी होती है ताकि वह हर चीज दूसरे के चश्मे से ना देखें। दूसरे क्या सोचेंगे, वो क्या प्रतिक्रिया देंगे, इन बातों से बेपरवाह रहें। जीपीएस आपको यह सोचने की ताकत देती है कि आप क्या चाहती हैं, आप क्या महसूस करती हैं और आपको क्या अच्छा लगता है? आपको अपने सपने और अपनी इच्छाएं पूरी करने का भी पूरा हक है।
कैसे मिलेगी ग्राउंडेड पावरफुल स्ट्रेंथ
आपको "लोग क्या कहेंगे" से बेपरवाह होना पड़ेगा। सिर्फ तर्कसंगत बातों पर विचार करें बाकी बातों का संज्ञान ना लें। हर वक्त दूसरों को खुश करने की कोशिश ना करें। एक्सरसाइज करें, डाइटिंग करें, लेकिन खुद की सेहत के लिए। मेकअप करें, सजें-संवरें, लेकिन अपनी खुशी के लिए दूसरों को आकर्षित करने के लिए नहीं। घर के बड़े-बुजुर्गों का ख्याल रखें, लेकिन अपना मानवीय कर्तव्य समझ कर। घर के दूसरे लोगों या दुनिया का दिल जीतने के लिए नहीं। दूसरों के नाराज होने के डर से अपनी खुशियों और हॉबीज का त्याग ना करें, और ना ही आप दूसरों पर गुस्सा करें। आपको समझना होगा कि आपको लिए क्या फायदेमंद है और क्या नुकसानदेह। अपने विकल्पों, लक्ष्य और स्वहित पर पूरा विमर्श करने के बाद ही निर्णय लें।
इनको कहां से मिलता है जीपीएस
कुछ कामयाब और अपने क्षेत्र की चर्चित महिलाएं बता रही हैं कि उन्हें अपना जीपीएस कहां से मिलता है-
श्वेता राठौड़, बॉडी बिल्डर: ताकत जीतने से नहीं आती। आपका संघर्ष ही ताकत पैदा करता है। जब आप कठिन दौर से गुजर रही हों और आत्मसमर्पण ना करने की ठान लें, तो यही आपकी सबसे बड़ी ताकत है। मैं अपनी जिम्मेदारियों से मानसिक और शारीरिक ताकत हासिल करती हूं। हर महिला को अपने अंदर की खास ताकत को समझना चाहिए।
दीपिका मेहता, योग गुरु: मेरे लिए ताकत अपनी हार ना मानने की जिद और कठिन समय में पानी की तरह तरल होकर आसानी से कठिनाइयों से पार हो जाने की युक्ति के बीच का संतुलन है। आप अपनी मंजिल और चाहत तक पहुंचने का हर संभव प्रयास कीजिए और नतीजों की चिंता छोड़ दीजिए।
सहर जमान, टीवी प्रेजेंटर: अपने लक्ष्य और इच्छाओं को हासिल करने की स्टेमिना बरकरार रखिए। इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है मजबूत विल पावर। साथ ही अपना सपोर्ट सिस्टम भी डेवलप करें। जो लोग आपके विचारों से इत्तेफाक रखते हैं, उनसे नजदीकियां बढ़ाएं।
सुजेन बर्नर्ट, एक्टर: विपरीत परिस्थिति या संकट में भी अपना आपा ना खोएं। इससे आप अपनी एनर्जी और सोचने-समझने की शक्ति का भरपूर फायदा उठा सकेंगी। औरत की सबसे बड़ी ताकत है, अपनी लड़ाई खुद लड़ने का माद्दा। दूसरा कोई आपकी मदद को आगे नहीं आने वाला।
शिखर चंद जैन