New Year 2025: हममें से अधिकांश लोगों के जीवन का एक बड़ा हिस्सा इस सोच और चिंता में गुजर जाता है कि हमारे पास किस-किस चीज की कमी है, दूसरों के पास जो चीजें हैं, वो हमारे पास क्यों नहीं हैं? हम हमेशा अपने पास कुछ ना कुछ कमी महसूस करते हैं। इसको लेकर तनाव में रहते हैं। लेकिन जिस दिन हम इस सोच को बदल कर अपने पास जो कुछ भी है, उसके लिए आभार व्यक्त करने लगेंगे, उस दिन से अपने जीवन को जीने का नजरिया बदल जाएगा। हम खुश रहेंगे। तो क्यों ना, इस नए साल के अपने रेजोल्यूशन लिस्ट में ग्रैटिट्यूड प्रैक्टिस को भी शामिल करें।
मेंटल हेल्थ के लिए जरूरी:
आज हम जैसी भागम-भाग भरी तनावपूर्ण जिंदगी जी रहे हैं और डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं, ऐसे में ग्रैटिट्यूड यानी आभार जताना एक ऐसा माध्यम है, जिसे अपनाकर हम अपने तनाव को कम कर सकते हैं। यह हमारे मन को शांत रखेगा। किसी भी चीज के लिए, जो हमारे पास नहीं है, खुद को संतुष्ट कर लेना, ग्रैटिट्यूड प्रैक्टिस का ही हिस्सा है। आपके पास जो है, उसमें खुश रहना जीवन के प्रति आभार व्यक्त करना है।
बने रहते हैं रिश्ते:
कई बार छोटी-छोटी बातें हमारे नजदीकी संबंधों को कमजोर बना देती हैं, क्योंकि हम बातों को अनदेखा करना नहीं जानते। लेकिन जब हम उसी रिश्ते की अच्छी बातों को लेकर आभार प्रकट करने लगते हैं तो ना सिर्फ इससे मन हल्का होता है, टूटते रिश्ते बने रहते हैं।
बनती है पॉजिटिव सोच:
जब भी जीवन में हम किसी चीज को लेकर या किसी व्यक्ति के लिए आभार प्रकट करते हैं तो यह हमारी सोच को पॉजिटिविटी की तरफ ले जाता है। आज के समय में जब दूसरों के लिए मन बहुत जल्दी नफरत से भर जाता है, दिल जल्दी किसी को माफ करने को तैयार नहीं होता, ऐसे में ग्रैटिट्यूड प्रैक्टिस एक सरल माध्यम है, जिससे आप अपने को पॉजिटिव रख सकती हैं।
अपने अंदर की इंसानियत को रखें जिंदा:
आज समय ऐसा है, किसी अपने के ना रहने का गम, हमें सताता नहीं है। इसका मतलब यही है कि कहीं ना कहीं हमारे अंदर की पीड़ा-करुणा यानी इंसानियत के भाव मर गए हैं। आभार प्रकट करना जीवन जीने की एक कला है, यह हमारे अंदर की इंसानियत को कभी मरने नहीं देती है।
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