Bathua khane Ke Fayde: जाड़े के मौसम में कई तरह की हरी पत्तेदार सब्जियां खूब मिलती हैं। बथुआ भी उनमें से एक है। बथुआ प्रकृति से गर्म है, जो सर्दियों में ही पैदा होता है। इसे रायता, परांठे या भुजिया सब्जी के रूप में खूब पसंद किया जाता है। इसको जंगली पालक, मेल्ड और चेनोपोडियम अल्बम के नाम से भी जाना जाता है। इसको सर्दी के मौसम में पारंपरिक आहार के रूप में सेवन करते हैं। बथुआ में पानी की प्रचुरता होती है। इसके अलावा इसमें पाया जाने वाला फाइबर पाचनतंत्र को मजबूत बनाता है। इसमें मिलने वाले प्रमुख पोषक तत्व हैं-विटामिन सी, विटामिन बी2, बी 3, बी 5, कैल्शियम, लोहा, मैग्नीशियम, मैगनीज, फास्फोरस, पोटेशियम और सोडियम आदि।
कई रोगों में कारगर:
बथुआ का सेवन बवासीर रोग में लाभदायक होता है। महिलाओं की पीरियड्स संबंधी समस्याओं के समाधान में भी बहुत मददगार है बथुआ। मूत्र रोगों से परेशान व्यक्ति को इसका सेवन लाभकारी है। आजकल कारण कुछ भी हो छोटे-बड़े हर उम्र के लोग बाल झड़ने से परेशान हैं। उनके लिए बथुआ का सेवन और बथुआ के पानी से बाल धोना लाभदायक है। त्वचा संबंधी समस्याओं में इसका सेवन हितकर है। पेट दर्द आदि की परेशानी में इसका सेवन लाभकारी है। बथुआ का सेवन करने से खून को साफ कर रक्त का संचार सुचारु रूप से होता है। साथ ही इसका सेवन शरीर की प्रतिरोधक शक्ति को सुदृढ़ कर बलवान बनाता है। इसका सेवन आंखों के लिए लाभदायक और पेट की कीड़ो को नष्ट कर पाचन शक्ति बढ़ाने वाला है। गला खराब होने पर इसको भिगोकर रखे गए गुनगुने पानी से गरारे करना आवाज को सुधारता है।
बथुए की एक प्रजाति, जिसे लाल बथुआ के नाम से जाना जाता है, का सेवन (त्रिदोष) वात, पित्त और कफ के प्रकोप को शमन करता है। नाक, कान से अचानक बहने वाले खून को रोकने में यह बहुत मददगार है। इसके बीजो का चूर्ण बनाकर दो से तीन चुटकी चूर्ण को शहद के साथ सेवन करना लाभकारी है। इसके पत्तों का जूस पीने से ठंड से बचाव होता है। अन्य कई बीमारियों को स्वत; ही नष्ट कर शरीर को निरोग बनाने में भी सक्षम है।
यहां बताए गए उक्त सभी उपाय, उपचार सामान्य हैं। प्रयोग करने से पहले अपने वैद्यजी से सलाह अवश्य करें।
वैद्य हरिकृष्ण पांड ‘हरीश’